कालानमक धान की प्रोसेसिंग के लिए लगाएं प्लांट, मिलेगी आर्थिक मदद
गोरखपुर। मुख्य संवाददाता गोरखपुर जिले के केंद्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा एक जिला एक...
गोरखपुर। मुख्य संवाददाता
गोरखपुर जिले के केंद्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल ‘काला नमक चावल के उत्पादन, प्रसंस्करण के लिए उद्यान विभाग ने आवेदन मांगे हैं। आत्मनिर्भर भारत के तहत खाद्य उद्यम को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना (पीएम फॉरमलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज) शुरू की है। इस योजना के अंतर्गत ‘वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने ‘एक जिला एक उत्पाद की तर्ज पर सूबे 75 जिलों के लिए खाद्य उत्पाद तय किए हैं।
इस योजना के अंतर्गत असंगठित खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर को आर्थिक, तकनीकी मदद के साथ प्रशिक्षण प्रदान कर न केवल रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएंगे बल्कि उत्पाद की ब्रांडिंग, मार्केटिंग और विपणन में मदद देकर इन्हें मुनाफा वाली इकाईयों में तब्दील किया जाएगा। योजना के अंतर्गत गोरखपुर को कालानमक चावल के लिए चुना गया है। जिला उद्यान अधिकारी अरुण कुमार तिवारी ने बताया कि मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 2020-21 में सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना एवं उच्चीकरण के लिए 20 इकाई स्थापित करने का लक्ष्य मिला है। योजना चिन्हित फसल की ही इकाई को प्राथमिकता दी जाएगी। पीएम एफएमई योजना अन्तर्गत जनपद गोरखपुर को चिन्हित एक जनपद एक उत्पाद से संबंधित लाभार्थी एवं उद्यमी अपना पंजीकरण खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय भारत सरकार द्वारा एमआईएस पोर्टल पर करा सकते हैं।
पीएम-एफएमई योजना के तहत होंगे ये काम
मौजूदा छोटे फ्रूड प्रोसेसिंग उद्योगों को फाइनेंस, तकनीक और अन्य तरह की मदद पहुंचाने के लिए केन्द्र प्रायोजित पीएम फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोससिंग इंटरप्राइज (पीएम एफएमई) योजना के अंतर्गत 2020-21 से 2024-25 तक सबे में 6000 करोड़ रुपये के खर्च किए जाएंगे। इस योजना के खर्च होने वाली धनराशि में 60 फीसदी केंद्र और 40 फीसदी प्रदेश सरकार की हिस्सेदारी होगी। सरकार का मानना है कि इस योजना से 2 लाख लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।
35 प्रतिशत क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी का मिलेगा फायदा
छोटी फूड प्रोसेसिंग उद्योग इस योजना के तहत 35 प्रतिशत क्रेडिट-लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी का फायदा ले सकते हैं। एक इकाई को ज्यादा से ज्यादा 10 लाख रुपये तक की मदद की मिलेगी। इसमें इकाई लगाने वाले की हिस्सेदारी सिर्फ 10 फीसदी की होगी। परियोजना की लागत में भूमि की कीमत नहीं जोड़ी जाएगी।