इतिहास बताने वाले दुलर्भ सिक्कों के छायाचित्र बने आकर्षण
प्राचीनकाल के सिक्कों से हमें प्राचीन इतिहास का पता चलता है। ऐसे ही दुलर्भ सिक्के बुधवार को शहरवासियों ने बौद्ध संग्रहालय में लगी सिक्कों पर आधारित प्रदर्शनी में देखने को मिले। प्रदर्शनी में विभिन्न...
प्राचीनकाल के सिक्कों से हमें प्राचीन इतिहास का पता चलता है। ऐसे ही दुलर्भ सिक्के बुधवार को शहरवासियों ने बौद्ध संग्रहालय में लगी सिक्कों पर आधारित प्रदर्शनी में देखने को मिले। प्रदर्शनी में विभिन्न काल में लाये गये एतिहासिक सिक्कों को छायाचित्र प्रदर्शनी के माध्यम से देखने को मिले।
प्रदर्शनी में 206 ईसा पूर्व से 300 ई तक दुलर्भ सिक्कों के छायाचित्रों को जगह दी गई है। प्रदर्शनी में आये लोगों की उत्सुकता मुख्य रूप से ब्राहृमी, खरोष्ठी, ग्रीक, नागरी, अरबी लिपि एवं कुछ अजीबोगरीब आकार के सिक्कों के छायाचित्र को देखने के लिए दिखी। प्रदर्शनी का शुभारंभ पूर्वोत्तर रेलवे मुख्य संरक्षा अधिकारी बीआर विप्लवी ने किया। इस मौके पर श्री विप्लवी ने कहा कि प्रचीन इतिहास के स्रोत के रूप में सिक्कों का महत्वपूर्ण स्थान है।
सिक्कों की कहानी का प्रारंभ मनुष्य मनुष्य के एक स्थान पर समूहों में बसने के साथ तब प्रारंभ हुआ, जब विभिन्न वस्तुओं का आदान-प्रदान करना उनके जीवन की अनिवार्य आवश्यकता बन गई। संग्रहालय के उप निदेशक डा. मनोज कुमार गौतम ने कहा कि हड़प्पा और मोहनजोदड़ों में प्राप्त विशाल भण्डारों के अवशेष इस ओर संकेत करते हैं कि ईसा पूर्व के तीसरी सहस्राब्दी तक विनिमय के माध्यम के रूप में अनाज का उपयोग होता रहा होगा। आगे चलकर वैदिक काल में गायों को विनिमय का माध्यम माना गया। आयोजित छायाचित्र प्रदर्शनी में सिक्कों के प्रारम्भ से लेकर वर्तमान में उनके ढालने की प्रक्रिया को छायाचित्रों के माध्यम से दर्शाने का प्रयास किया गया है।