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Corona Lockdown: डाक रिसीव कर पेन फेंक देते हैं लोग

कोरोना के संक्रमण का खौफ इस कदर बढ़ चुका है कि डाकिये से डाक लेने से भी लोग बच रहे है। कई लोग डाक लेने से ही इनकार कर दे रहे हैं तो वहीं कुछ लोग डाक गेट के नीचे से सरकाने को कह रहे हैं तो कुछ...

Corona Lockdown: डाक रिसीव कर पेन फेंक देते हैं लोग
धर्मेन्‍द्र मिश्र,गोरखपुर Mon, 13 Apr 2020 07:06 PM
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कोरोना के संक्रमण का खौफ इस कदर बढ़ चुका है कि डाकिये से डाक लेने से भी लोग बच रहे है। कई लोग डाक लेने से ही इनकार कर दे रहे हैं तो वहीं कुछ लोग डाक गेट के नीचे से सरकाने को कह रहे हैं तो कुछ बाउंड्री में फेंकने को। बाउंड्री के भीतर आई डाक सैनेटाइज कर उठा रहे हैं। वहीं रजिस्टर्ड डाक रिसीव करने के बाद पेन बाहर फेंकने वाले भी हैं।
 
डाक सेवा से जुड़े कर्मचारियों को इन दिनों अजीबो-गरीब अनुभव से गुजरना पड़ रहा है। संक्रमण से बचाव को लेकर लोगों की सतर्कता देखकर डाकियों को भी अच्छा लग रहा है लेकिन लॉकडाउन और संक्रमण की बीच लोग डाक लेने से मना कर रहे हैं तो दरवाजे से लौटा रहे हैं तो उन्हें परेशान भी होना पड़ रहा है। ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में कुछ डाकियों ने इस तरह के अनुभव साझा किए।

केस एक-प्रधान डाकघर पर तैनात राम कवल यादव शनिवार को दाउदपुर में मझौली कोठी परिसर स्थित बड़े मकान में डाक देने गए थे। डोरबेल बजाने पर एक सज्जन निकले और कहा कि, पार्सल बाउण्ड्री में फेंक दो। जब उन्हें बताया कि डाक रिसीव करनी होगी तो उनका जवाब था कि तुम ही हस्ताक्षर कर दो। राम सकल के मना करने पर बोले, कागज गेट के नीचे से सरका दो। इसके बाद कागज और पेन लेकर आए और डाक के रजिस्टर पर दस्तखत के बाद पेज बाहर फेंक दी। पार्सल बाहर ही छोड़ गए। उनका कहना था कि धूप में पार्सल से वायरस खत्म हो जाएगा।

केस दो- धर्मशाला बाजार क्षेत्र के डाकिया सुरेन्द्र प्रसाद शुक्रवार को एक व्यापारी के यहां स्पीड पोस्ट देने गए तो उन्होंने लेने से इनकार कर दिया। बोले की हम रिसीव नहीं करेंगे तुम हस्ताक्षर बना लो। सुरेंद्र ने इनकार किया तो उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा है। पैकेट व कागज गेट से नीचे सरका दो। उनके हस्ताक्षर वाला कागज लेकर सुरेंद्र आगे बढ़ गए। एक घंटे बाद इसी रास्ते से लौटे तो देखा की पैकेट पड़ा हुआ है। उसी के पास एक पेन भी। पैकेट एसबीआई का था। संभव है इसमें डेबिट या क्रेडिट कार्ड रहा हो।

केस तीन- डाकिया राम मिलन ने बताया कि जिन घरों में लॉकडाउन से पहले लोग सम्मान के साथ बैठाकर चायनाश्ता कराते थे और बख्शीस भी देते थे। इधर डाक लेकर जाने पर वही लोग अछूत समझ रहे है। बीते गुरुवार को आजाद चौक क्षेत्र में एक शिक्षक के यहां गया था। उनका किसी बैंक से एटीएम कार्ड आया था। डोरबेल बजाने पर वह बाहर निकले। देखते ही बोल पड़े क्यों भाई इस लॉकडाउन में भी आराम नहीं मिल रहा। पैकैट देखकर बोले की बाउंड्रीवाल के भीतर फेंक दो। बहुत से घरों में लोग गेट तक छूने नहीं दे रहे है।

सुरक्षा के संसाधनों का अभाव
प्रधानडाक घर के एपीएमए सीपी पाण्डेय ने बताया कि अधिकारियों के निर्देश पर रोजाना सुबह 6 बजे से ही दफ्तर खुल जाता है। सभी 20 पोस्टमैन ड्यूटी देने बिना खाए -पिए आ जाते है। अपने-अपने क्षेत्र से सम्बन्धित डाक व पार्सल छांटकर बांटने को निकल जाते है। सप्ताहभर पहले अधिकारियों ने सैनेटाइजर व ग्लव्स भी मुहैया कराया था। इस्तेमाल के दौरान ग्लव्स फट गए और सैनेटाइजर खत्म हो गए। दोबारा डिमाण्ड भेजी गई है। अपने पास से मास्क की व्यवस्था कर सभी को मुहैया करा दिया है। रोजाना आरएमएस के माध्यम से डाक आती है। अभी लम्बी दूरी के पार्सल नहीं बुक किए जा रहे है।

आरएमएस के जरिये आने लगी फंसी डाक
लॉकडाउन के बाद से ही देश के विभिन्न राज्यों से पार्सल व दूसरी जरूरी डाक फंस गई थी जो अब आने लगी है। आरएमएस के जरिए ये डाक प्रधान डाकघर को मुहैया कराई जा रही है। डाकिए भी लाकडाउन में बेखौफ होकर बांटने निकल रहे हैं। आरएमएस के मुताबिक वैकल्पिक व्यवस्था के तहत लखनऊ से मेल मोटर के माध्यम से डाक इलाहाबाद आ रही है। वहां से वाराणसी आ रही है। फिर वाराणसी से मेल मोटर के माध्यम से डाक रोजाना गोरखपुर आती है। गोंडा और बलरामपुर समेत कई अन्य जिलों से भी मेल मोटर के जरिए डाक और पार्सल गोरखपुर आती है। यहां से मेल मोटर से वाराणसी भेजी जा रही है।

कोरोना के संक्रमण के खौफ से लोग डाक व पार्सल लेने से इनकार कर रहे है जबकि सभी डाकघरों में पार्सल पैकेट पर सैनेटाईजर का छिड़काव किया जा रहा है। सभी कर्मचारियों को ग्लब्स व सेनेटाइजर मुहैया कराया गया है। डाकिये बेखौफ होकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे है। ताकि किसी के जरूरी कागजात बंटने से न रह जाएं।
एसएन दूबे, प्रवर डाक अधीक्षक गोरखपुर

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