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ड्रग ट्रॉयल से पहले जरूरी है मरीज की मंजूरी

चिकित्सा क्षेत्र में रिसर्च के लिए मरीज एक उपकरण के तौर पर होता है। रिसर्च के लिए मरीज पर क्लीनिकल ट्रॉयल या ड्रग ट्रॉयल से पहले उसकी मंजूरी लेना जरूरी है। बगैर मरीज की सहमति के उस पर कोई ट्रॉयल नहीं...

ड्रग ट्रॉयल से पहले जरूरी है मरीज की मंजूरी
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरThu, 23 Jan 2020 02:12 AM
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चिकित्सा क्षेत्र में रिसर्च के लिए मरीज एक उपकरण के तौर पर होता है। रिसर्च के लिए मरीज पर क्लीनिकल ट्रॉयल या ड्रग ट्रॉयल से पहले उसकी मंजूरी लेना जरूरी है। बगैर मरीज की सहमति के उस पर कोई ट्रॉयल नहीं किया जा सकता। यह कानूनन अपराध है। यह कहना है मुम्बई की एनआइआइआरएच की डॉ. ललिता सवारदेकर का।

वह रिसर्च एथिक्स पर आयोजित कार्यशाला के अंतिम दिन बतौर मुख्य वक्ता मौजूद रहीं। उन्होंने बताया कि मरीज अगर अनपढ़ है तो उसे डॉक्टर द्वारा ट्रॉयल की पूरी जानकारी देनी चाहिए। इतना ही नहीं उसे इसके खतरों की भी जानकारी दी जानी चाहिए। इसके बाद ही मंजूरी लेनी चाहिए।

कार्यशाला के अंतिम दिन शोध में जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार, सूचित कर शोध के लिए सहमति लिए जाने आदि बिंदुओं पर जानकारी दी गई। सीडीआरआई बंगलुरू के निदेशक डॉ. प्रशांत माथुर ने कहा कि किसी भी मेडिकल या नॉन मेडिकल क्षेत्र में शोध करते समय जिम्मेदारी पूर्ण व्यवहार बहुत जरूरी है। शोध के लिए जो भी मानक तय किए गए हैं उनका कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए तभी मानक पर और मान्य शोध रिपोर्ट तैयार होगी। इस कार्यशाला का आयोजन आरएमआरसी और बीआरडी मेडिकल कॉलेज की ओर से किया गया।

विशेषज्ञों ने दिए सवालों के जवाब

व्याख्यान के बाद डॉ. ललिता सवारदेकर और डॉ. नंदिनी कुमार के समन्वय में समूह संवाद हुआ। इसमें कार्यशाला में मौजूद शिक्षकों ने दोनों विशेषज्ञों से सवाल पूछे और अपनी राय भी रखी। अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र देने के साथ कार्यशाला का समापन हुआ। कार्यशाला में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. गणेश कुमार, आरएमआरसी गोरखपुर के निदेशक डॉ. रजनीकांत, डॉ. अशोक पांडेय, डॉ. हीरावती के साथ आरएमआरसी गोरखपुर, बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर विश्वविद्यालय, एम्स गोरखपुर, पीजीआई लखनऊ और देश के अन्य मेडिकल कॉलेज व विश्वविद्यालयों के दो सौ से अधिक फैकल्टी और विद्यार्थी मौजूद रहे।

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