संतकबीरनगर में तीन गाडि़यों के भरोसे फायर फाइटिंग, कहीं आग लग जाए तो
संतकबीरनगर का अग्निशमन विभाग संसाधन के आभाव में जूझ रहा है। जिले में तीन गाड़ियों के सहारे आग बुझाने का काम चल रहा है। जिले की दो तहसीलों में अभी तक दो फायर स्टेशन की भी व्यवस्था नहीं हो पाई...
संतकबीरनगर का अग्निशमन विभाग संसाधन के आभाव में जूझ रहा है। जिले में तीन गाड़ियों के सहारे आग बुझाने का काम चल रहा है। जिले की दो तहसीलों में अभी तक दो फायर स्टेशन की भी व्यवस्था नहीं हो पाई है।
मार्च माह से लेकर जून तक आग लगने की घटनाएं आम हो जाती हैं। इसी समय पछुआ हवाओं के बीच किसानों के खेतों में भी आग लगती रहती है, इससे किसानों के खेतों में खड़ी फसल का भी काफी नुकसान होता है। समय से अग्निशमन की गाड़ियां न पहुंच पाने की वजह से हजारों बीघा फसल जलकर स्वाहा हो जाती है। जनपद में संसाधन के अभाव में हर वर्ष लाखों का नुकसान हो रहा है। उसके बाद भी संसाधन बढ़ाने का कोई पहल अभी तक नहीं शुरू हो सका।
चार में सिर्फ तीन गाड़ियां ही हैं उपलब्ध
अग्निशमन विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो जिले में चार फायर टेंडर उपलब्ध हैं। जिसमें से एक फायर वाहन बलरामपुर जनपद में ड्यूटी पर गया है। इसकी वापसी 18 अप्रैल के बाद ही हो सकेगी। एक गाड़ी मुख्यालय और एक-एक धनघटा व मेंहदावल तहसील में लगाई गई है।
इसके अलावा एक हाई प्रेशर गाड़ी है। जिसकी क्षमता 400 लीटर पानी की है। जो छोटी-मोटी आगजनी की घटना को कंट्रोल करने के लिए लगाई जाती है। साथ ही एक बोलेरो कैम्पर डीजल पम्प उपलब्ध है। जिसे पानी की उपलब्धता वाले स्थानों पर ही भेजा जाता है। ऐसे में जनपद के दूर-दराज स्थानों पर आगजनी की सूचना के बाद जब तक वाहन मौके पर पहुंचता है तब तक काफी नुकसान हो चुका होता है।
जमीन न मिलने से अधर में लटका फायर स्टेशन
जनपद में दो फायर स्टेशन धनघटा और मेंहदावल में बनना प्रस्तावित है। धनघटा में प्रशासन द्वारा जो जमीन उपलब्ध कराई गई है वह विभाग के अनुसार उपयुक्त नहीं है। इस वजह से वहां पर फायर स्टेशन निर्माण का मामला अभी तक अधर में लटका है। मेंहदावल में अभी तक प्रशासनिक जिम्मेदारों के द्वारा जमीन मुहैया नहीं कराई जा सकी है।