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अब 100 रुपये खर्च कर 15 मिनट में मापिये दूध की शुद्धता

शहर के वैज्ञानिक डॉ. प्रांजल चंद्रा ने ऐसी तकनीकि तैयार की है, जिससे घर बैठे कोई भी शख्स महज सौ रुपये के खर्च में दूध की शुद्धता माप सकता है। लैब में इसका परीक्षण करने के बाद डॉ. चंद्रा ने पेटेंट...

अब 100 रुपये खर्च कर 15 मिनट में मापिये दूध की शुद्धता
वरिष्ठ संवाददाता,गोरखपुरTue, 19 Feb 2019 02:00 PM
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शहर के वैज्ञानिक डॉ. प्रांजल चंद्रा ने ऐसी तकनीकि तैयार की है, जिससे घर बैठे कोई भी शख्स महज सौ रुपये के खर्च में दूध की शुद्धता माप सकता है। लैब में इसका परीक्षण करने के बाद डॉ. चंद्रा ने पेटेंट फाइल कर दिया है। उनकी इससे संबंधित रिसर्च पेपर प्रकाशित करने को इंटरनेशनल जर्नल बायो सेंसर व बायो इलेक्ट्रॉनिक्स ने मंजूरी दे दी है। अभी दूध की शुद्धता मापने को लाखों रुपये के उपकरणों की जरूरत पड़ती है, फिर भी सटीक नतीजा नहीं मिलता। 
डॉ. प्रांजल डीडीयू गणित विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. आरसी श्रीवास्तव के पुत्र हैं। वह शहर के विष्णुपुरम कॉलोनी निवासी हैं। मौजूदा समय डॉ. प्रांजल आईआईटी गुवाहाटी में बायो साइंस एंड बायो इंजीनियरिंग विभाग में तैनात हैं। उन्होंने अपनी यह रिसर्च भी वहीं के लैब में अपनी टीम के साथ की है। प्रांजल का दावा है कि उनके द्वारा तैयार किट व मोबाइल ऐप से दूध की शुद्धता 15 मिनट में घर बैठे मापी जा सकती है। यह बिल्कुल सटीक होगा। 
पेपर सेंसर किट व मोबाइल ऐप डॉ. चंद्रा ने तैयार किया है। उनका दावा है कि दूध में मिलने वाला एंजाइम अलकालाइन फॉस्फेट (एएलपी) दूध की शुद्धता का कारक होता है। शुद्धता मापने को उनकी टीम ने फिल्टर पेपर लिया। उसे छोटे गोल टुकड़ों में काट दिया गया। इन टुकड़ों में कुछ खास तरह के केमिकल मिलाए गए। इसके बाद गोल पेपर पर दूध की एक बूंद डाली गई।  दूध डालने पर पेपर में मौजूद केमिकल से दूध में मौजूद एएलपी का रिएक्शन होता है। इसकी स्मार्ट फोन से फोटो खींची गई। फिर डॉ. चंद्रा द्वारा तैयार ऐप पर इसे स्कैन कराया गया।
ऐप में थर्मामीटर की तरह शून्य से लेकर सौ तक शुद्धता के पैरामीटर बने हुए हैं। इन्हें ऐप में स्टोर किया गया है। पेपर सेंसर किट से ली गई दूध की फोटो स्कैन करने के बाद ऐप खुद बता देता है कि दूध में शुद्धता कितनी है। यानि ऐप में शुद्धता की वैल्यू यदि शून्य बताई गई तो वह दूध पूरी तरह से अशुद्ध है। वैल्यू सौ बताती है तो दूध शत प्रतिशत शुद्ध है। ऐप जितनी वैल्यू बताता है, दूध उतना ही शुद्ध है। डॉ. प्रांजल के अनुसार दूध में पानी, केमिकल आदि हर तरह की मिलावट के मामले में ऐप दूध की शुद्धता बताता है। क्या और कितना मिलाया गया है, यह परीक्षण लैब में होगा।  

80 से 125 रुपये तक आएगी किट की कीमत
डॉ. प्रांजल के अनुसार दूध की शुद्धता मापने वाले इंडस्ट्री में पेपर सेंसर किट तैयार करने के बाद कीमत 80 से 125 रुपये तक  आएगी। पेटेंट होने के बाद मोबाइल ऐप भी सार्वजनिक कर दिया जाएगा। यह उपाय बेहद सस्ता व हर परिवार के लिए उपयोगी साबित होगा।

देश विदेश की कई कंपनियां चंद्रा से संपर्क कर उत्पादन की जता रही इच्छा
डॉ. चंद्रा ने बताया कि वह अपनी रिसर्च को पेटेंट कराने के लिए आवेदन जमा कर चुके हैं। इस बीच कई देशी विदेशी कंपनियां उनसे संपर्क कर उत्पादन करने की इच्छा जता चुकी हैं। वह डॉ. चंद्रा की रिसर्च का कॉमर्सियल उपयोग करने को उनकी मंजूरी चाहती हैं। डॉ. चंद्रा के अनुसार पेटेंट होने के बाद ही कंपनी से कामर्सियल उपयोग का करार करेंगे।

बीएससी तक की पढ़ाई डीडीयू में हुई
डॉ. प्रांजल की बीएससी तक की पढ़ाई डीडीयू से हुई। इसके बाद इलाहाबाद से मोइक्रोबायलोजी में एमएससी की। फिर यूपीटीयू से बायो साइंस एंड बायो इंजीनियरिंग में एमटेक किया। साउथ कोरिया से उन्होंने पीएचडी की और इजराइल में बतौर पोस्ट डॉक्टोरल फेलो काम किया। दो साल पहले उनकी तैनाती आईआईटी गुवाहाटी में हुई है।
 

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