नाइलिट को मिलेगी एमएमएमयूटी की 28 एकड़ जमीन
मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) और राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (नाइलिट) के बीच जमीन को लेकर चल रहे विवाद का पटाक्षेप हो सकता है। शासन ने एमएमएमयूटी...

मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) और राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (नाइलिट) के बीच जमीन को लेकर चल रहे विवाद का पटाक्षेप हो सकता है। शासन ने एमएमएमयूटी को 28 एकड़ जमीन नाइलिट को देने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल के बाद शासन ने इस बाबत आदेश जारी कर लिया है।
शासन से जारी निर्देश के मुताबिक विश्वविद्यालय को एक महीने के अंदर 28 एकड़ भूमि नाइलिट को ट्रांसफर कर देगा। जिस पर नाइलेट बीते 32 वर्ष से काबिज है। जमीन हस्तांतरण की प्रक्रिया दोनों संस्थाओं के बीच 1988 में जारी शासनादेश के अनुसार पूरी की जाएगी।
बीते 25 जून को अपर मुख्य सचिव प्राविधिक शिक्षा, डीएम गोरखपुर और एमएमएमयूटी व नाइलिट के प्रमुखों की बैठक हुई। इसके बाद विशेष सचिव सुनील कुमार चौधरी ने हस्तांतरण प्रक्रिया पूरी करने के लिए पत्र जारी किया है। शासन के इस पत्र के अनुसार 28 एकड़ जमीन, जो वर्तमान राजस्व अभिलेख में प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के नाम दर्ज है उसे नाइलिट को हस्तांतरित किया जाना है।
जमीन देने से इनकार कर चुका था एमएमएमयूटी : इस 28 एकड़ जमीन को लेकर दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था। एमएमएमयूटी के कुलपति ने जमीन ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया था। एमएमएमयूटी के कुलपति ने जिलाधिकारी को फरवरी 2018 में पत्र लिखकर कहा था कि भूमि भारतीय इलेक्ट्रॉनिकी डिजाइन एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (सीईडीटीआई) के लिए दी गई थी। वह संस्था अब बंद हो चुकी है। ऐसे में 1988 के समझौते के अनुसार अब उक्त जमीन की सारी संपत्तियां फिर से एमएमएमयूटी की हो गई हैं।
विवि के विस्तार के लिए बताई थी जमीन की जरूरत: यही नहीं फरवरी 2018 को एमएमएमयूटी के प्रबंध बोर्ड ने यह निर्णय लिया था कि भूमि उपयोग के समझौते के शर्तों का दूसरे पक्ष द्वारा उल्लंघन किया जा रहा है। ऐसे में नाइलिट को वर्तमान परिसर से कहीं और स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए। बैठक में यह भी कहा गया था कि जमीन को खाली कराना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि विश्वविद्यालय के विस्तार के लिए उसकी जरूरत है।
1988 में हुआ था समझौता
सीईडीटीआई की स्थापना के लिए राज्यपाल के आदेश पर तत्कालीन एमएमएमयूटी प्रशासन ने अपनी 28 एकड़ भूमि वर्ष 1988 में केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय को दी थी। कुछ समय बाद सीईडीटी का डीओएसीसी में विलय हो गया और फिर कुछ वर्ष बाद डीओएसीसी का नाम बदलकर नाइलिट कर दिया गया। नाइलिट संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के अन्तर्गत एक कार्य करने वाली स्वायत्त संस्था है।
सीएम की पहल पर सुलझा मामला
सांसद रहने के दौरान योगी आदित्यनाथ नाइलिट को जमीन ट्रांसफर करने के हिमायती रहे। सीएम बनने के बाद उन्होंने जून 2017 में केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद से इसपर चर्चा की। दोनों के बीच जमीन हस्तांतरण को लेकर सहमति बनी। इसके बाद तो शासन व प्रशासन एक्शन में आ गया। हालांकि एमएमएमयूटी के वर्तमान कुलपति इसके विरोध में रहे। कुलपति ने शासन से कहा सीईडीटीआई बंद हो चुका, संपत्ति अब हमारी। हमें भूमि की जरूरत है। एमएमएमयूटी प्रबंध बोर्ड ने भी कुलपति की हिमायत की। शासन ने कुलपति के पत्र को दरकिनार कर दिया और निर्देश जारी कर हस्तांतरण प्रक्रिया पूरी करने को कहा।
शासन के निर्देश के क्रम में जल्द प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति से संपर्क साधा जाएगा और हस्तांतरण प्रक्रिया भी जल्द से जल्द पूरी की जाएगी। शासन ने न्यायोचित निर्णय लिया है, इसके लिए उसे बहुत-बहुत धन्यवाद।
- डॉ. एकेडी द्विवेदी, निदेशक, नाइलिट
