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बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाएं लेकिन उनसे भोजपुरी में जरूर बतियाएं

समाज से लड़कर परम्पराओं को गीतों के माध्यम सींचने वाली मशहूर लोकगायिका शारदा सिन्हा आज भी भोजपुरी के प्रसार के लिए समर्पित हैं। शारदा सिन्हा कहती हैं कि भोजपुरी भाषा और गीतों का ये काल प्रदूषण का काल...


बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाएं लेकिन उनसे भोजपुरी में जरूर बतियाएं
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरSat, 12 Jan 2019 08:27 PM
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समाज से लड़कर परम्पराओं को गीतों के माध्यम सींचने वाली मशहूर लोकगायिका शारदा सिन्हा आज भी भोजपुरी के प्रसार के लिए समर्पित हैं। शारदा सिन्हा कहती हैं कि भोजपुरी भाषा और गीतों का ये काल प्रदूषण का काल है। जिसे साफ करना हमारी और नई पीढ़ी की जिम्मेदारी है। शारदा सिन्हा गोरखपुर महोत्सव में 12 जनवरी को अपनी प्रस्तुति देंगी। वह शुक्रवार को ही गोरखपुर आ गई हैं। ‘हिन्दुस्तान से बातचीत करते हुए उन्होंने माना कि भोजपुरी एक मीठी भाषा है जो अब संक्रमण काल से गुजर रही है। इस संक्रमण को ठीक करने के लिए हमें सही दिशा में काम करना होगा। भोजपुरी परिवार की भाषा है, त्योहार की बोली है, मेलों और संस्कार की पहचान है लेकिन विडम्बना है कि द्विअर्थी और अश्लील शब्द आज भोजपुरी गीतों के केन्द्र में आ गए हैं। भोजपुरी में संक्रमण के लिए शारदा सिन्हा ने कहा कि अश्लील गीत गाने वाले इसके लिए जितना दोषी है उतना ही दोष सुनने वालों का भी है।

धरोहर को सहेजना जरूरी

शारदा सिन्हा कहती हैं कि भोजपुरी के पारम्परिक गीत देश की धरोहर हैं। हमें मॉरीशस से सीखना चाहिए। मॉरीशस ने इस धरोहर को संभाल कर रखा है लेकिन अपने देश में कुछ लोगों को छोड़कर कोई भी पारम्परिक गीत गाते या गुनगुनाते नहीं दिखता है। हर कोई भोजपुरी फिल्मों के अश्लील गीत गा रहा है। जो जुबान के साथ आत्मा को भी गंदा कर रहे हैं। साथ ही आने वाली पीढ़ी को अपनी परम्पराओं से दूर कर रहे हैं। शारदा सिन्हा ने कहा कि हमने वह दौर देखा है जहां लड़कियां और महिलाएं भले ही पढ़ी लिखी न हो लेकिन उन्हें संस्कार गीत रटे होते थे, हर संस्कार का एक अलग गीत होता था। वह भोजपुरी का स्वर्णिम दौर था। शारदा सिन्हा ने कहा कि मैं निराशावादी नहीं आशावादी हूं इसलिए आज भी आशा रखती हूं कि वह स्वर्णिम दौर फिर लौटेगा।

विरोध देखा और सम्मान मिला

बातचीत के दौरान भोजपुरी भाषा के स्वर्णिम दौर की बात हुई तो शारदा सिन्हा को अपने संघर्ष के दिन भी याद आ गए। उन्होंने कहा कि आज जिस तरह लड़कियों को अपनी पसंद के क्षेत्र में काम करने की आजादी है, वह आजादी हमारे दौर में नहीं थी। मैं खुशकिस्मत थी कि मेरे पिता खुले विचारों के व्यक्ति थे। उन्होंने मुझे गाने की आजादी दी लेकिन समाज में विरोध भी झेलना पड़ा। इतना ही नहीं शादी के बाद ससुराल में भी विरोध हुआ लेकिन मैं गाती रही। जब एक शादी के दौरान मेरे गाए हुए विवाह गीत बड़े-बड़े साउण्ड पर बजते मेरी ससुराल के लोगों ने सुना तो स्वीकार किया कि मैं अच्छे गीत गाती हूं। मेरे प्रति सभी का नजरिया बदल गया और सम्मान मिलना शुरू हो गया।

अपनी जिद पर आज भी डटी हूं

लोकप्रिय गायिका शारदा सिन्हा ने कहा कि मुझे परम्परा के गीत अपनी माटी से जुड़े रहकर ही गाना था इसलिए तय किया कि यहीं रहूंगी और आगे बढ़ूंगी। मुम्बई से राजश्री प्रोडक्शन ने सम्पर्क किया और फिल्म मैने प्यार किया में ‘कहे तोसे सजनी ये तोहरी सजनिया, पग पग लिये जाऊं तोहरी बलईयां गीत गाने का मौका मिला। ये बात सही है कि इसके बाद लम्बे समय तक कोई मुम्बई वाला नहीं आया लेकिन अपनी माटी की सेवा करती रही और अपनी जिद पर समर्पण के साथ डटी रही कि अच्छा काम जब मिलेगा तभी करूंगी। यंही अपने घर में रहकर करूंगी। बहुत लम्बे समय के बाद फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप ने फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर के लिए मेरे गीत ‘तार बिजली से पतले हमारे पिया को लिया।

बच्चों से भोजपुरी में बात करें

शारदा सिन्हा ने कहा कि हम सबको दोष देते हैं कि हमारी भाषा पिछड़ रही है लेकिन दोषी भी तो हम स्वयं ही हैं। हमें चाहिए कि घर में अपने बच्चों के साथ भोजपुरी भाषा में बात करें जिससे वे भाषा को समझें। इसके साथ ही अपने बच्चों को भोजपुरी गीत सिखाएं। मैने अपने बेटे और बेटी दोनों को भोजपुरी गीत-संगीत की शिक्षा दी है। दोनों आज इस दिशा में अच्छा काम कर रहे हैं।

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