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पर्वतारोही संतोष से सीएम ने पूछा, बच्चों को क्या बनाएंगी

गोरखनाथ मंदिर में दर्शन के लिए परिवार के साथ आई भारत की पहली पर्वतारोही महिला संतोष यादव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलीं। उन्होंने योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने की बधाई दी। सीएम ने उसने...

पर्वतारोही संतोष से सीएम ने पूछा, बच्चों को क्या बनाएंगी
Center,GorakhpurFri, 26 May 2017 04:20 PM
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गोरखनाथ मंदिर में दर्शन के लिए परिवार के साथ आई भारत की पहली पर्वतारोही महिला संतोष यादव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलीं। उन्होंने योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने की बधाई दी। सीएम ने उसने पूछा कि वे अपने बच्चों को क्या बनाना चाहती हैं? संतोष यादव ने कहा कि दोनों बच्चों को वैज्ञानिक बनाना चाहती हैं। सीएम से पांच मिनट की मुलाकात के बाद बाहर आई संतोष यादव ने उम्मीद जताई कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश विकास की नई सीढ़ियां चढे़गा। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ न केवल संवेदी महंथ है बल्कि वे जनता की नब्ज को समझने वाले कुशल राजनीतिज्ञ भी हैं। इसलिए वे सभी वर्गो को साथ लेकर चलेंगे। ऊत्तर प्रदेश में लोगों के जीवन स्तर को सुधारने की दिशा में कदम भी उठाएंगे। लोगों को उनके अच्छे कार्यो के लिए उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए न कि केवल आलोचना ही करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि वे अपने बच्चों को वैज्ञानिक बनाना चाहती है कि ताकि वे प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण के लिए काम करें। दो बार माऊंट एवरेस्ट की ऊंचाईयों को छुआ रेवाड़ी जिले की मूल निवासी संतोष यादव ने माउंट एवरेस्ट की उंचाइयों को एक नहीं बल्कि दो बार पार करते हुए दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई। महिला सशक्तिकरण की प्रतिनिधि प्रतीक संतोष पहली बार मई 1992 और दूसरी बार 1993 में एवरेस्ट की चोटियों को छुकर आने वाली विश्व की पहली महिला हैं। बेटे के जन्मदिन पर आशीर्वाद और दर्शन के लिए आई थी मंदिर गोरखनाथ मंदिर वे अपने कारोबारी पति उत्तम कुमार, पुत्र 12 वर्षीय माहिर प्रताप और 12 वर्षीय बेटी महिला नंदिनी के साथ आई थी। उन्होंने बताया कि शनिवार को उनके पुत्र का जन्मदिन है, इसलिए गोरखनाथ मंदिर में दर्शन और आशीर्वाद लेने के लिए दिल्ली से आई थी। सुबह 6 बजे योगी आदित्यनाथ का जनता दरबार शुरू हुआ तो मुलाकात करने पहुंच गई। बिहार के मुंगेर जिले में 2003 को ब्याही सुनीता यादव भारत तिब्बत सीमा पुलिस में एक पुलिस अधिकारी की कुछ दिन काम किया था। लड़कियों के लिए शिक्षा के लिए खोली नई राह संतोष का बचपन काफी कठिनाइओं में बिता। टूटे-फूटे झोपड़े में बचपन बिताने वाली संषोष बताती है कि तब घर की दीवारों और फर्श में गोबर लीपा जाता था लेकिन उन्होंने कभी परिस्थियों के समक्ष हार नहीं मानी। पदमश्री से सम्मानित संतोष यादव जिस गांव में जन्मी जहां लड़कियों के पढ़ने लिखने पर पाबंदी थी लेकिन न केवल पढ़ाई पूरी की, खुद के साथ अपने गांव का नाम रोशन कर दूसरी बेटियों के लिए नई राह खोली।

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