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एमएमएमयूटी शोध समागम: डिग्री के लिए नहीं, समाज के उत्थान के लिए हों शोध

पद्श्री प्रो. संजय गोविंद ढांडे ने कहा कि शोध केवल पीएचडी उपाधि के लिए नहीं होना चाहिए। बल्कि यह समाज के उत्थान के लिए होना चाहिए। यह एक दो दिन की नहीं बल्कि सतत चलने वाली प्रक्रिया है। नाम उसी का...

एमएमएमयूटी शोध समागम: डिग्री के लिए नहीं, समाज के उत्थान के लिए हों शोध
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरSat, 07 Jul 2018 10:50 AM
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पद्श्री प्रो. संजय गोविंद ढांडे ने कहा कि शोध केवल पीएचडी उपाधि के लिए नहीं होना चाहिए। बल्कि यह समाज के उत्थान के लिए होना चाहिए। यह एक दो दिन की नहीं बल्कि सतत चलने वाली प्रक्रिया है। नाम उसी का होता है जो समाज को अपने कार्यों से कुछ देता है। उपाधि मात्र हासिल करने वालों की लंबी फौज को कोई पूछता तक नहीं।

प्रो. ढांडे शुक्रवार को एमएमएमयूटी में मालवीय शोध समागम के उद्घाटन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने वास्तविक जीवन के उदाहरणों में स्पष्ट किया गया कि शोध कार्य की प्रासंगिकता एवं गुणवत्ता अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के मुख्यत: 4 उद्देश्य होते हैं। ज्ञान का हस्तान्तरण, ज्ञान की उत्पत्ति, ज्ञान से समृद्ध समाज का निर्माण और ज्ञान का संरक्षण। कहा कि शोध को सैद्धांतिक एवं अनुप्रयुक्त के विभिन्न खांचों में नहीं बांटा जा सकता है। एक शोधार्थी को विषय के सैद्धान्तिक एवं अनुप्रयुक्त दोनों पहलुओं की जानकारी होनी चाहिए।

विशिष्ट अतिथि आईआईआईटी इलाहाबाद के निदेशक प्रो. पी नागभूषण ने इस बात पर चिन्ता व्यक्त किया कि आजकल संस्थान प्लेसमेण्ट एजेन्सीज बनते जा रहे हैं। आजकल अभिभावकों की मुख्य चिन्ता ये है कि उनके बच्चों को सिर्फ अच्छी नौकरी मिल जाय। दूसरे विशिष्ट अतिथि प्रो. मार्सन ने स्मार्ट सिटी, स्मार्ट इण्डस्ट्री एवं स्मार्ट इन्वायर्नमेण्ट, स्मार्ट हेल्थ इत्यादि के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला।

तीन सत्रों में हुए विशेष व्याख्यान

पूर्वार्ध के सत्र के पहले विशेषज्ञ व्याख्यान में पोलैंड से आए प्रो. मर्सिन ने इण्टरनेट ऑफ थिंग्स की तकनीकी पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि तकनीकी के माध्यम से स्मार्ट सिटी, स्मार्ट हेल्थ और स्मार्ट पर्यावरण की संकल्पना को मूर्त स्वरूप प्रदान किया जा सकता है। वर्तमान में तकनीकी इतनी सस्ती है कि इसके माध्यम से स्वास्थ्य, शिक्षा, अवस्थापना सुविधाओं एवं तकनीकी के क्षेत्र में कम लागत में गुणात्मक परिवर्तन किया जा सकता है।

दूसरे विशेषज्ञ व्याख्यान में आईआईटी कानपुर के प्रो. विमल कुमार ने बताया कि एक इन्जीनियर के लिए अर्थशास्त्र का ज्ञान अत्यन्त आवश्यक है। एक इन्जीनियर को सफल उद्यमी बनने के लिए यह आवश्यक है कि वह कम लागत में गुणवत्तापूर्ण उत्पाद बनाये। आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर अजय घटक ने महान वैज्ञानिक आइंस्टीन द्वारा प्रतिपादित अत्यन्त महत्वपूर्ण सूत्र पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। प्रोफेसर घटक ने बताया कि देखने में यह सूत्र अत्यन्त सरल है किन्तु भौतिकी के क्षेत्र में इसका अत्यन्त व्यापक प्रभाव है।

आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर श्रीश सी चौधरी ने गुणवत्तापूर्ण शोध पत्र के प्रकाशन में भाषा एवं व्याकरण की महत्ता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के अन्त में समन्वयक प्रो. एएन तिवारी ने सभी गणमान्य अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

बौद्धिक खेलों में मशीनें कर रही इंसानों की बराबरी

उत्तरार्ध के सत्र में आईआईटी रूड़की के प्रो. एनपी पाधि ने आर्टिफिसियल इण्टेलीजेन्स एवं इण्टेलीजेन्स सिस्टम पर विशेषज्ञ व्याख्यान में आर्टिफिसियल इण्टेलीजेन्स के क्षेत्र में होने वाले क्रान्तिकारी बदलावों के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला।

उन्होंने बताया कि न्यूरल नेटवर्क की तकनीकों का उपयोग इन्जीनियरिंग की लगभग हर विधा में किया जा रहा है। न्यूरल नेटवर्क की मूल संकल्पना मानव मस्तिष्क की कार्य प्रणाली पर आधारित है। आज के समय में आर्टिफिसियल इण्टेलीजेन्स के क्षेत्र में इतनी प्रगति हो गयी है कि शतरंज जैसे अत्यन्त बौद्धिक खेलों में मशीनें इन्सानों की बराबरी कर रही हैं।

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