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हमारे पितृ पुरूष: 50 करोड़ धार्मिक पुस्तकों में मित्रा, जगन्नाथ, भगवानदास के बनाए चित्र

देवी-देवताओं को किसी ने साक्षात नहीं देखा लेकिन गीता प्रेस की धार्मिक पुस्तकें ईश्वर के प्रति श्रद्धा-भाव बढ़ाती हैं। हमें धार्मिक और सांस्कारिक बनाती हैं। गीता प्रेस की धार्मिक पुस्तकों में उकेरी...

हमारे पितृ पुरूष: 50 करोड़ धार्मिक पुस्तकों में मित्रा, जगन्नाथ, भगवानदास के बनाए चित्र
अजय श्रीवास्‍तव,गोरखपुरWed, 26 Sep 2018 10:19 PM
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देवी-देवताओं को किसी ने साक्षात नहीं देखा लेकिन गीता प्रेस की धार्मिक पुस्तकें ईश्वर के प्रति श्रद्धा-भाव बढ़ाती हैं। हमें धार्मिक और सांस्कारिक बनाती हैं। गीता प्रेस की धार्मिक पुस्तकों में उकेरी गईं देवी-देवताओं की तस्वीरें हमें देव दर्शन कराती हैं। हमारे दिल-व-दिमाग में यह भावना भरने का श्रेय बीके मिश्रा, जगन्नाथ और भगवानदास को है जिन्होंने कल्पना के जरिए देवी-देवताओं और उनसे जुड़े प्रसंगों को दर्शाती 10000 से अधिक तस्वीरें  कागजों पर उकेरा है। चित्रकारी की क्षेत्र में धूम मचाने वाले इन चित्रकारों को दक्षता को देश-दुनिया ने महसूस किया। देश-दुनिया से चमक-दमक और मोटी रकम का उन्हें आफर भी मिला लेकिन अध्यात्म में रमे इन चित्रकारों ने सब कुछ ठुकरा दिया।  

66 करोड़ से अधिक धार्मिक पुस्तकें छापकर देश-दुनिया में पहुंचा चुका गीता प्रेस आस्था का केंद्र बन गया है। यहां से छपने वाली रामचरित मानस, गीता, हनुमान चालीसा, बाल्मिकी रामायण समेत सैकड़ों धार्मिक पुस्तकें लोगों में धर्म और संस्कार भर रही हैं। यहां से छपी 50 करोड़ से अधिक धार्मिक पुस्तकों में छपी देवी-देवताओं की तस्वीरें बीके मित्रा और उनके शिष्य जगन्नथ तथा भगवानदास ने बनाए हैं। इन चित्रकारों ने देवी-देवताओं के 10000 से अधिक तस्वीरें कोरे कागज पर उकेरा और उनमें जीवंतता का रंग भी भरा। भगवान राम और कृष्ण की लीला का सचित्र दर्शन देश-दुनिया में हिन्दू आस्थावानों को कराया।

गीताप्रेस के 1,800 से अधिक हिंदू-धार्मिक पुस्तकों में प्रकाशित अधिकतर बहुरंगी और श्वेत-श्याम चित्र इन्हीं तीन कलाकारों की हैं। 1930 और 1980 के इन कलाकारों द्वारा बनायए गए 10,000 से अधिक चित्रों को गीताप्रेस अनेक बार ‘कल्याण’ और अन्य ग्रंथों में प्रकाशित कर चुका है। चित्रकार बीके मित्रा, जगन्नाथ और भगवानदास गीताप्रेस की स्थापना के समय से ही 'कल्याण' के आदि सम्पादक भाईजी हनुमान_प्रसाद_पोद्दार के साथ जुड़े। पोद्दारजी ने इन चित्रकारों से गीताप्रेस के लिए हिन्दू देवी-देवताओं और अन्य पौराणिक प्रसंगों पर आधारित चित्र बनवाए। चित्रों में पौराणिक व धार्मिक पुस्तकों के श्लोक के आधार पर देवताओं के आभूषण, तिलक, आयुध, वस्त्र, आसन आदि दर्शाया गया। ब्लाक बनाने के बाद कोई चित्र पसंद नहीं आता तो उसे प्रकाशित होने से रोक दिया जाता था। ऐसे हजारों चित्र गीता प्रेस की फाइलों में पड़े हैं। कल्याण, रामचरित मानस, महापुराण, श्रीमद्भागवत जैसे धार्मिक ग्रंथों के लिए भाई जी की देव कल्पनाओं के आधार पर बने चित्र करोड़ों पुस्तकों के जरिए पूरी दुनिया में पहुंच रहे हैं। 

रामायण सीरियल बनाने से पहले गोरखपुर आए थे रामानंद सागर
गीता प्रेस में स्थित चित्रमंदिर में 3000 से अधिक चित्र इन्हीं बीके मित्रा, जगन्नाथ और भगवानदास के बनए हुए हैं। मशहूर फिल्म व सीरियल निर्माता-निर्देशक रामानंद सागर रामायण सीरियल बनाने से पहले गोरखपुर पहुंचे थे। रामानंद सागर ने चार दिन गोरखपुर और गीता प्रेस में गुजारा और इन चित्रों की बारीकियों को लेकर अध्ययन किया। गीता प्रेस के प्रोडक्शन मैनेजर लालमणि तिवारी बताते हैं कि रामानंद सागर ने तब कहा था कि हम गीता प्रेस का जूठन ले जा रहे हैं। जो चित्र यहां बने हैं, उन्हीं के आधार पर पात्रों की ड्रेस सज्जा और सेट बनाया गया था।

पौराणिक कथाओं के श्लोकों और कहानियों से बनाए हजारों चित्र
बीके मित्रा, जगन्नाथ और भगवानदास ने पौराणिक कथाओं के श्लोकों और कहानियों से हजारों चित्रों को बनाया। बीके मित्रा ने श्रीरामदरबार, भगवान विष्णु, महाप्रयाण के समय भीष्म, योद्धावेश में श्रीकृष्ण, श्रीकृष्ण द्वारा माता-पिता को बंधन से मुक्ति, लक्ष्मण निष्कासन, अशोक वाटिका में हनुमान, लंकिनीपुर मुष्टि प्रहार, शबरी के अतिथि और अहिल्या उद्धार के चित्र में रंग भरा। वहीं जगन्नाथ ने जाम्बवती परिणय, पार्थसारथी कृष्ण,  श्रीराम सभा, रावण की सभा में अंगद, जनकपुर में राम-लक्ष्मण और मत्स्यवेद्य सरीखे चित्रों को रंगों से जीवंत किया। वहीं भगवानदास ने यशोदा द्वारा श्रीकृष्ण का कान ऐंठना और रामभक्त हनुमान द्वारा सीना चीरकर भगवान राम की छवि दिखाने वाली छवि को चित्रों से यादगार बनाया। 

करोड़ों पुस्तकों पर छप चुके हैं बीके मित्रा के चित्र
बीके मित्रा का जन्म जुलाई, 1884 में वाराणसी में हुआ था। चित्रकारी के प्रति उनकी निष्ठा को देखकर झूँसी (प्रयाग) के सन्तप्रवर प्रभुदत्त ब्रह्मचारी ने प्रोत्साहन दिया। यहीं उनकी मुलाकात हनुमान् प्रसाद जी पोद्दार से हुई। पोद्दार जी उन्हें गोरखपुर लेकर आए और उन्होंने गीताप्रेस में हिंदू पौराणिक ग्रंथों के आधार पर चित्र बनाना आरम्भ किया। गीताप्रेस से निकलने वाली धार्मिक पुस्तकों के लिए उन्होंने 4,500 से अधिक रंगीन चित्रों का सृजन किया। बीके मित्रा ने भगवान् राम, कृष्ण के बाल्यकाल से लेकर युवावस्था तक के कई चित्र बनाए। 14 जुलाई, 1974 को इस महान् कलासाधक का गोरखपुर के उत्तरी हुमायूँपुर क्षेत्र में अपने आवास में निधन हो गया। 

जगन्नाथ को मिली थी ‘नोटेड हिंदू इलेस्ट्रेटर’ की उपाधि 
चित्रकार जगन्नाथ गुप्त को अमेरिका द्वारा ‘नोटेड हिंदू इलेस्ट्रेटर’ की उपाधि मिली थी। 1909 में अलीनगर में जन्में जगन्नाथ प्रसाद गुप्त ने गीताप्रेस के लिए दो हजार से अधिक चित्र बनाए। जगन्नाथ जी ने गीताप्रेस से प्रकाशित 6 खण्डों में सम्पूर्ण महाभारत में सैकड़ों की संख्या में चित्र बनाए जो बहुरंगी, श्वेत-श्याम और रेखाचित्र के रूप में छपे  हैं। जगन्नाथ जी ने भारत के भिन्न-भिन्न देवालयों की शैलियों का समावेश करके गीताप्रेस के मुख्य द्वार का मॉडल बनाया था। 

भगवानदास ने नामी उत्पादों के लिए भी चित्रकारी की
भगवानदास ने वैद्यनाथ आयुर्वेद भवन तथा डाबर के प्रतीक-चिह्नों को बनाया था। पचास के दशक में इन्होंने प्रसिद्ध फ़िल्म-अभिनेता मुगल-ए-आजम फिल्म को लेकर एक आदमकद रंगीन चित्र बनाया जिस पर मुग्ध होकर पृथ्वीराज कपूर ने मुंबई का आमंत्रण दिया। भगवानदास ने गोरखपुर में अपनी भक्ति-रचना के चलते मुंबई जाने से इनकार कर दिया। भगवानदास के पुत्र ज्ञानेश्वर की हुमॉयूपुर में नूडल्स बनाने की छोटी फैक्ट्री हैं। उन्होंने पिता भगवानदास की यादों को करीने से सहेज कर रखा है। ज्ञानेश्वर कहते हैं कि पिता के नाम सड़क का नामकरण हुआ है। उनके चित्रों को लेकर एक गैलरी बनाने का सपना संजोया गया था, लेकिन अमल में नहीं आ सका। परिवार के सभी सदस्य मिलकर प्रयास करेंगे कि उनके चित्रों को एक स्थान पर संग्रहित किया जा सके। 

इनका कहना है-
बीके मित्रा, जगन्नाथ गुप्त और भगवानदास जी में चित्रकारी को लेकर जुनून था। वह जब चित्र बनाने बैठते थे तो पूरी करने के बाद ही उठते थे। भले ही चित्र बनाने में 24 घंटे से अधिक का समय लगे। हमनें बीके मित्रा और भगवानदास को चित्र बनाते देखा है।
हरिद्वार प्रसाद, पड़ोसी

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