मानसिक बीमार को व्यस्त रखें, अकेले न छोड़ें
मानसिक विकृति का समय से उपचार जरुरी है। धीरे-धीरे यह गम्भीर हो जाती है। समाज में घबराहट, विषाद, चिंता समेत कई प्रकार की समस्याएं हैं। जिसमें मानसिक आघात, समाज में भेदभाव, पारिवारिक एवं व्यतिगत...
मानसिक विकृति का समय से उपचार जरुरी है। धीरे-धीरे यह गम्भीर हो जाती है। समाज में घबराहट, विषाद, चिंता समेत कई प्रकार की समस्याएं हैं। जिसमें मानसिक आघात, समाज में भेदभाव, पारिवारिक एवं व्यतिगत समस्याएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मानसिक बीमार व्यक्तियों को अकले नहीं छोड़ना चाहिए, उन्हें व्यस्त रखाना चाहिए।
उक्त बातें दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष्य में ‘मानसिक स्वास्थ्य साक्षरता विषय पर आयोजित गोष्ठी में वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ.तापस कुमार ने कहीं। बीमारी के लक्षणों पर चर्चा करते हुए डॉक्टर तापस ने बताया कि अवसाद की दशा में व्यक्ति दुखी, निराश हो जाता है। उसमें रूचि का अभाव, उत्साह की कमी, एकाग्रता की कमी आदि दिखायी देती है। जिसका सही समय पर पहचान हो जाने पर इसे दवाओं अथवा मनोवैज्ञानिक थेरेपी के द्वारा ठीक किया जा सकता है।
अवसाद की रोकथाम के उपायों पर चर्चा करते हुए डा. आईच ने बताया की यदि किसी व्यक्ति या उसके आस पास के लोगों में अवसाद के लक्षण दिखायी देते है तो उस पर सावधानी बरतनी चाहिए। ऐसे लोगों को पेशेवर मनोवैज्ञानिक से सहायता उपलब्ध करवानी चाहिए। उनको खाली रखने के बजाय किसी न किसी गतिविधियों में शामिल करवाना चाहिए। लोगों के सम्पर्क में रखना चाहिए। विशेषकर जब व्यक्ति सही था तो उस परिस्थिति में जो कार्य करता था वही कार्य करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि अवसाद से ग्रसित लोगों को किसी व्यसन से बचना चाहिए तथा नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए।
इसके पश्चात उन्होंने युवाओ में बढ़ती आत्महत्या विषय पर चर्चा करते हुए बताया कि आत्महत्या की प्रवृति वाले लोग अपने जीवन से अब ऊब चुके होते है। ऐसे लोगों में ज्यादातर संवेगात्मक समस्याएं होती हैं। एसे लोगों के बारे में जानना तथा उनके प्रति जिम्मेदारियां समाज की होती है। सही समय पर ऐसे लोगों की पहचान कर उनकी आत्महत्या की प्रवृति पर रोकथाम की जा सकती है। गोष्ठी की अध्यक्षता अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. सीपी श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. धनञ्जय कुमार और आभार ज्ञापन प्रो. अनुभूति दुबे ने किया। इस दौरान प्रो. जितेन्द्र मिश्रा, प्रो. गौर हरी बेहरा, प्रो. सुनीता मुर्मु, प्रो. गोपीनाथ आदि उपस्थित रहें।
पोस्टर प्रतियोगिता में अंजली प्रथम
गोष्ठी के पश्चात पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमे प्रथम पुरस्कार अंजली मिश्रा, द्वितीय पुरस्कार वत्सला पाठक तथा शुभांकर रॉय एवं तृतीय पुरस्कार अनुभा को मिला।