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मदरसा शिक्षकों को 16 माह से नहीं मिला मानदेय

मानदेय और राज्यांश न मिलने की वजह है मदरसों की जांच-दर-जांच। डेढ़ माह का मानदेय आए हुए कई माह गुजर गए लेकिन अभी तक उसका भुगतान नहीं हो पाया है। यह दर्द है जिले के 400 से अधिक मदरसा शिक्षकों का। कई...

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राजीव दत्त पाण्डेय,गोरखपुर Sun, 17 Dec 2017 09:48 AM
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मानदेय और राज्यांश न मिलने की वजह है मदरसों की जांच-दर-जांच। डेढ़ माह का मानदेय आए हुए कई माह गुजर गए लेकिन अभी तक उसका भुगतान नहीं हो पाया है। यह दर्द है जिले के 400 से अधिक मदरसा शिक्षकों का। कई ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें पिछले 16 महीने से मानदेय नहीं मिला है। उनके सामने भूखमरी का संकट आ गया है। घर चलाना मुश्किल हो रहा है लेकिन विभाग एक के बाद एक जांच कर रहा है। 

लेटलतीफी
एक के बाद एक जांच हो रही पर मानदेय नहीं मिल रहा

मदरसों की जांच के क्रम में अब जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी संजय कुमार मिश्र द्वारा नए प्रोफार्मा पर मदरसों से 8 दिसंबर को जानकारी मांगी गई है। वर्ष 2015-16 का डेढ़ माह का बकाया मानदेय विभाग में कई माह पहले आया हुआ है। यह लाट संख्या 1446 वाले शिक्षकों को ही मिलेगा। अगस्त माह में गोरखपुर को 41,10,000  धनराशि आवंटित हुई थीं। इससे जिले के 58 मदरसों के 60 स्नातक डिग्री धारक एवं 106 परास्नातक और बीएड डिग्री धारक शिक्षकों को ही मानदेय मिलना था।

‘‘आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत मदरसों के लिए आए बजट में यह प्रावधान है कि सभी मानदण्डों की जांच कर आख्या भेजी जाए। उसके बाद ही शिक्षकों का भुगतान किया जाए, इसलिए जांच की जा रही है। चुनाव के कारण जांच में विलम्ब हुआ। दूसरे दो मदरसों की जांच में यह सामने आया कि वहां आधुनिकीकरण के अंतर्गत शिक्षक पूरे हैं लेकिन दीनी तालीम वाले शिक्षक मान्यता के मानक के मुताबिक नहीं है, इसलिए नए प्रोफार्मा में सभी मदरसों से सूचना मांगी गई है। उम्मीद है कि एक सप्ताह में जांच का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा।’’
संजय कुमार मिश्र, जिला अल्प संख्यक कल्याण अधिकारी गोरखपुर

 शिक्षकों का कहीं सोलह माह तो कहीं चार वर्ष तो कहीं-कहीं ढ़ाई वर्ष से मानदेय रुका हुआ है। अखिल भारतीय मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ के मंडल अध्यक्ष नवेद आलम के मुताबिक गोरखपुर में इस योजना के अंतर्गत 146 मदरसे हैं। इनमें 438 से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं लेकिन हर माह मानदेय नहीं मिल पा रहा है। उनका कहना है कि मदरसा शिक्षक जांच से परेशान नहीं हैं बल्कि मानदेय और राज्यांश रोके जाने से चिंतित हैं।

और आर्थिक तंगी के कारण उचित इलाज के अभाव में मां की मौत
मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार के शिक्षक मोहम्मद आजम की मां अहमद गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं। उनका इलाज कराने के लिए उनके पास पर्याप्त रुपये नहीं थे। तमाम जतन कर वह मॉ का उपचार करा रहे थे। शनिवार को उनकी माता का निधन भी हो गया। आजम कहते हैं कि उन्हें 16 माह का बकाया मानदेय मिल जाए तो उनकी परेशानी कुछ कम होती। डेढ़ माह का मानदेय और सात माह का राज्यांश विभाग में आया है लेकिन कई माह बाद भी नहीं मिल पाया।


 

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