ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश गोरखपुरमां सिद्धेश्वरी के दरबार में भरती है भक्तों की झोली

मां सिद्धेश्वरी के दरबार में भरती है भक्तों की झोली

संतकबीरनगर के धनघटा तहसील के पौली में स्थित मां सिद्धेश्वरी का मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र बना है। नवरात्रि के अवसर पर मंदिर की शोभा निराली होती है। दूर-दूर से आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं अवश्य...

मां सिद्धेश्वरी के दरबार में भरती है भक्तों की झोली
हिन्‍दुस्‍तान संवाद,संतकबीरनगरTue, 20 Mar 2018 05:17 PM
ऐप पर पढ़ें

संतकबीरनगर के धनघटा तहसील के पौली में स्थित मां सिद्धेश्वरी का मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र बना है। नवरात्रि के अवसर पर मंदिर की शोभा निराली होती है। दूर-दूर से आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं। 

घाघरा और कुआनो नदी के बीच पौली के रामजानकी मार्ग पर स्थित माँ सिध्देश्वरी का अति प्राचीन मन्दिर है जो आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से माँ की आराधना कर अपनी मन की इच्छा प्रकट करता है माँ उसकी मनोकामनाएं जरूर पूर्ण करती है। 

मन्दिर के पुजारी बृजलाल तिवारी का कहना है कि सच्चे मन से जो भी भक्त माँ के दरबार में माथा टेकता उसकी इच्छा जरूर पूरी होती है। भक्त भी मां के प्रभाव के कायल हैं। मन्दिर परिसर में प्रत्येक सोमवार दोनों नवरात्रि व अन्य पर्वो पर माँ के दरबार में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। वातावरण हमेशा भक्तिमय बना रहता है। नवरात्रि में मंदिर पर भक्तों की भीड़ जुटती है। लोग पूजा-अर्चना कर मां से मनौतियां मांगते हैं।

राम ने की थी पूजा 
पौराणिक मान्यता व जनश्रुति के अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की बारात अयोध्या से जनकपुर जाते व वापस आते समय मन्दिर परिसर में पड़ाव डाला  विश्राम किया है। यहां पूजा-अर्चना कर प्रस्थान किया। तभी से मन्दिर के प्रति क्षेत्रवासियों की श्रद्धा और बढ़ गई। एक समय ऐसा भी आया जब प्राकृतिक आपदाओं की मार से मन्दिर टीले में तब्दील हो गया। पिंडी के रूप में माँ टीले पर विराजमान हो गई। समय बीतता गया मन्दिर के जीर्णोद्धार की तारीख की क्षेत्रीय लोगों को जानकारी नहीं है। 

देवीदीन ने कराया था जीर्णोद्धार
क्षेत्र के बुजुर्गों का कहना है था कि देवीदीन नाम का व्यक्ति पत्नी सहित कहीं से आ रहा था गर्मी से व्याकुल पीपल वृक्ष की छाया देख कुछ देर विश्राम करने की नीयत से रुक गया। पत्नी आवश्यकता वश कहीं बाहर चली गई। देवीदीन को वृक्ष की शीलत छाया से नीद आ गई। 

तो उसने सपने में देखा कि एक वृद्ध महिला सफेद साड़ी पहने उसके सामने खड़ी है। वह डरने लगा। महिला बोली कि डरो मत मैं सिध्देश्वरी माँ हूं कुछ मांग लो।  नि:सन्तान देवीदीन माँ से पुत्र की याचना की। माँ ने कहा कि तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी। तुमको मन्दिर का जीर्णोद्धार कराना होगा। पुत्र प्राप्ति के बाद पुत्र मोह में अपना वादा भूल गया। स्वप्न में माँ वादे को याद दिलाई तो उस भक्त ने क्षेत्रीय जन सहयोग से मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें