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 तो महराजगंज में ही है भगवान बुद्ध का आठवां अस्थि कलश!

भगवान बुद्ध के निर्वाण के बाद उनकी अस्थियों को आठ हिस्सों में बांटा गया। विभाजित हिस्सों में आठ स्तूप बनाए गए। इनमें बाकी की तो पहचान हो गई लेकिन आठवें रामग्राम के धातु स्तूप पर अब भी रहस्य बरकरार...

 तो महराजगंज में ही है भगवान बुद्ध का आठवां अस्थि कलश!
अभिषेक राज,महराजगंजMon, 09 Oct 2017 12:38 PM
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भगवान बुद्ध के निर्वाण के बाद उनकी अस्थियों को आठ हिस्सों में बांटा गया। विभाजित हिस्सों में आठ स्तूप बनाए गए। इनमें बाकी की तो पहचान हो गई लेकिन आठवें रामग्राम के धातु स्तूप पर अब भी रहस्य बरकरार है। इस बीच पुरातत्व विभाग ने सोनाड़ी रेंज के कन्हैया बाबा स्थान को धातु स्तूप होने की उम्मीद जताई है। 

कुषाण कालीन ईंटें और भौगोलिक स्थिति धातु स्तूप को काफी हद तक प्रमाणित करती है।
रामग्राम के धातु स्तूप के संरक्षण से जिला वैश्विक मानचित्र पर उभर आएगा।
रामग्राम के पास से मिले दुर्लभ सिक्के

क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी नरसिंह त्यागी ने कन्हैया बाबा स्थान का निरीक्षण कर वहां से पुरावशेष एकत्रित किया है। शुरुआती जांच में इसे भगवान बुद्ध से जुड़ा बताया जा रहा है। मामले में राज्य पुरातत्व विभाग के निदेशक डॉ. एके सिंह ने डीएम को पत्र लिख स्थल को संरक्षित करने के लिए नजरी नक्शा, खसरा, खतौनी सहित दूसरे राजस्व अभिलेख मांगा है। इतिहासकार डॉ. परशुराम गुप्त भी कन्हैया बाबा स्थान को ही धातु स्तूप के रूप में प्रमाणित करते हैं। 

डॉ. गुप्त कहते हैं कि राम ग्राम कोलियों की राजधानी थी। कोलियों का घनिष्ठ संबंध भगवान बुद्ध के ननिहाल पक्ष से रहा। ऐसे में जब बुद्ध कुशीनारा (कुशीनगर) में निर्वाण को प्राप्त हुए तो कोलिय भी वहां पहुंचे। पवित्र अस्थियों के आठवें भाग को प्राप्त कर अपनी राजधानी रामग्राम के पास विशाल धातु स्तूप बनवाए। वही स्तूप आज कन्हैया बाबा स्थान के नाम से जाना जाता है। वह कहते हैं कि चीनी यात्री ह्वेनसांग की गणना के अनुसार रामग्राम नगर महराजगंज के चौक कस्बे के पिश्चिमोत्तर कोढ़िया जंगल और धातु स्तूप सात किमी पश्चिम जंगल के बीच कन्हैया बाबा स्थान की ओर इंगित करता है। आज भी वहां विशाल स्तूप, पुस्करिणी और बौद्ध विहार के खंडहर हैं। 

नाग वंशीय करते थें धातु स्तूप की आराधना 
बौध धर्म ग्रंथों के अनुसार धातु स्तूप की आराधना तत्कालीन नाग वंशीय राजा राम के वंशज करते थे। दीघ निकाय के महापरिनिब्बाण में भी इसका वर्णन है। उसमें बताया गया है कि कोलियों ने भगवान बुद्ध की अस्थियों पर एक धातू स्तूप बनवाया था। उसकी आराधना नाग वंशीय करते थे। चीनी यात्री ह्वेनसांग और फाह्यान के वर्णन के अनुसार धातु स्तूप की वास्तविक स्थिति सोनाड़ी क्षेत्र के कन्हैया बाबा स्थान की ओर ही इंगित करता है।  

यह तथ्य धातु स्तूप के महराजगंज में होने की उम्मीद बढ़ाते हैं  
-ह्वेनसांग ने अपने यात्रा विवरण में लिखा है कि धातु स्तूप के पास एक पुस्करिणी है   
-कन्हैया बाबा स्थान के पास भी है पुस्करिणी 
-ह्वेनसांग के अनुसार स्तूप ईंटों से बना हुआ है 
-कन्हैया बाबा स्थान का टिला भी ईंटों से निर्मित है 
-आसपास श्रामणेर विहार के खंडहर आज भी मौजूद 
-बौद्ध कालीन तोरण द्वार और ईंटें आज भी जंगल के भीतर मौजूद  

यहां बने हैं भगवान बुद्ध की अस्थी से जुड़े आठ स्तूप 
कुशीनगर, पावागढ़, वैशाली, कपिलवस्तु, रामग्राम, अल्लकल्प, राजगृह और बेटद्वीप। 

‘‘कन्हैया बाबा स्थान का निरीक्षण किया गया है। वहां मिली ईंटें कुषाण और गुप्त काल के मध्य की प्रतीत हो रही हैं। ऐसे में उत्खनन की अनुमति मिली तो पूरी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। बौद्ध धर्म ग्रंथों और चीनी यात्रियों के वर्णन के अनुसार धातु स्तूप यह हो सकता है।’’ 
नरसिंह त्यागी, क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी

‘‘कन्हैया बाबा स्थान धातु स्तूप है तो यह हमारे लिए गौरव की बात है। संबंधित क्षेत्र के उत्खनन के लिए केन्द्र के साथ ही प्रदेश सरकार से पहल करूंगा। इससे जिला वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सकेगा। बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए यह महा तिर्थ के समान होगा।’’ 
पंकज चौधरी, सांसद

 

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