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खांसी-बुखार वालों की एम्स में लम्बी लाइन

एम्स को भी वेटिंग का ‘रोग लग गया है। खांसी-बुखार वाले मरीजों की भारी भीड़ के चलते एम्स की व्यवस्था पटरी से उतरने लगी है। सर्वाधिक दिक्कत एक्सरे व अल्ट्रासाउंड कराने वाले मरीजों को है। उन्हें हफ्ते भर...

खांसी-बुखार वालों की एम्स में लम्बी लाइन
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरTue, 24 Sep 2019 02:23 AM
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एम्स को भी वेटिंग का ‘रोग लग गया है। खांसी-बुखार वाले मरीजों की भारी भीड़ के चलते एम्स की व्यवस्था पटरी से उतरने लगी है। सर्वाधिक दिक्कत एक्सरे व अल्ट्रासाउंड कराने वाले मरीजों को है। उन्हें हफ्ते भर तक इंतजार करना पड़ रहा है।

गोरखपुर एम्स में मरीजों की भारी भीड़ उमड़ने लगी है। यहां पर पूर्वी यूपी के 28 जिलों के अलावा नेपाल और बिहार के मरीज भी इलाज कराने पहुंच रहे हैं। सर्दी-जुकाम और बुखार जैसी सामान्य बीमारियों के मरीज भी इलाज कराने के लिए एम्स का ही रुख कर रहे हैं। दूर-दराज से आए मरीज जिला अस्पताल व बीआरडी मेडिकल कॉलेज को तवज्जो नहीं दे रहे हैं। मरीजों की भारी भीड़ से एम्स में मौजूद संसाधन नाकाफी साबित होने लगे हैं।

1200 मरीजों का रोजाना हो रहा इलाज : एम्स में 24 फरवरी से ओपीडी चल रही है। पहले चरण में 10 विभागों की ओपीडी का संचालन हो रहा है। इसमें नाक-कान-गला रोग, नेत्र रोग, दंत रोग, बाल रोग, चर्म रोग, मेडिसिन, गायनी, मानसिक रोग, हड्डीरोग और जनरल सर्जरी की ओपीडी शामिल है। एम्स प्रशासन ने मरीजों की सुविधा के लिए एक्सरे, अल्ट्रासाउंड और पैथोलॉजी जांच शुरू की। वर्तमान में हालत यह है कि मरीज व तीमारदार पंजीकरण व इलाज के लिए तड़के ही लाइन लगा ले रहे हैं। रोजाना करीब 1400 मरीज पंजीकरण करा रहे हैं। जबकि करीब 1200 मरीज इलाज कराते हैं। इसमें से 500 मरीज फॉलोअप में एम्स पहुंच रहे हैं।

जांच से लेकर इलाज तक है वेटिंग

एम्स में जांच से लेकर इलाज तक हर सुविधा में मरीजों को इंतजार करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत एक्सरे और अल्ट्रासाउंड जांच में हो रही है। दोनों जांचों के लिए एम्स में एक महीने की वेटिंग चल रही है। मेडिसिन व गायनी में इलाज के लिए बड़ी संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं। आलम यह है कि दोनों विभागों में रोजाना 50 से 100 मरीज बैरंग लौट रहे हैं।

70 से 75 फीसदी मरीज सामान्य बीमारी के

एम्स के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एम्स में अभी 70 से 75 फीसदी मरीज सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार, बदन दर्द, दांत दर्द जैसी बेहद सामान्य बीमारियों के पहुंच रहे हैं। इन बीमारियों का इलाज किसी भी सामान्य चिकित्सक के द्वारा हो सकता है। इन मरीजों के कारण गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

नहीं लागू है रेफरल सिस्टम

उन्होंने बताया कि अधिकांश मरीज ऐसे हैं जो बीमारी होने के बाद सीधे एम्स का रुख कर रहे हैं। वह किसी दूसरे डॉक्टर से सलाह तक नहीं ले रहे हैं। एम्स में अभी रेफरल सिस्टम लागू नहीं है। जबकि दिल्ली व कुछ दूसरे एम्स में रेफरल सिस्टम है। इसमें रेफर मरीज का ही एम्स में इलाज होता है।

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