सहयोग करने का विवेकपूर्ण चिंतन देता है साहित्य
गोरखपुर। निज संवाददाता दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के आचार्य प्रो. विमलेश मिश्र ने कहा कि साथ होना, सुख-दुख में शामिल होना, सहयोग करना,...
गोरखपुर। निज संवाददाता
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के आचार्य प्रो. विमलेश मिश्र ने कहा कि साथ होना, सुख-दुख में शामिल होना, सहयोग करना, साथ चलना आदि भावों को पैदा करने का कार्य साहित्य करता है। साहित्य सहयोग करने का विवेकपूर्ण चिन्तन देता है।
वे सोमवार को महाराणा प्रताप महाविद्यालय, जंगल धूसड़ में हिन्दी विभाग द्वारा ‘साहित्य क्या है विषय पर आयोजित विशिष्ट व्याख्यान को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि साहित्य मनुष्य को एक बेहतर सृजनशील प्राणी बनाने के लिए चेतना एवं संवेदना का विकास करता है। साहित्य मनुष्य को मशीन और यंत्र बनने से बचाता है। प्रीति, कीर्ति एवं नीति पैदा करना साहित्य का उद्देश्य है। साहित्य सुन्दर और सत्य की भी बात करता है। साहित्य रोजगार परक होने की ओर बढ़ रहा है लेकिन चिंता की बात यह भी है कि ऐसा होने पर जीवन मूल्य का ह्रास भी हो सकता है। हिन्दी विभाग की अध्यक्ष डॉ. आरती सिंह ने अध्यक्षता की। संचालन एवं स्वागत परिचय बीए द्वितीय वर्ष के छात्र ज्ञानेन्द्र पाण्डेय ने तथा आभार ज्ञापन डॉ. सुधा शुक्ल ने किया।