भोजपुरी सिनेमा में अच्छी कहानियों का अभाव: पाखी हेगड़े
भोजपुरी फिल्मों में सिर्फ फूहड़ता परोसने वाली फिल्मे हीं नहीं बनती है। सामाजिक सरोकार और मूल्यों वाली फिल्मे भी बनती है। महिलाएं भी भोजपुरी फिल्मे देखना चाहती हैं लेकिन भोजपुरी फिल्मे जिन सिनेमाघरों...
भोजपुरी फिल्मों में सिर्फ फूहड़ता परोसने वाली फिल्मे हीं नहीं बनती है। सामाजिक सरोकार और मूल्यों वाली फिल्मे भी बनती है। महिलाएं भी भोजपुरी फिल्मे देखना चाहती हैं लेकिन भोजपुरी फिल्मे जिन सिनेमाघरों में लगती हैं वहां का माहौल ऐसा नहीं होता कि वे देखने जा पाये। इसीलिए महिलाएं जब टीवी पर फिल्में रिलीज होती हैं तब देखने जाती हैं।
ये बातें भोजपुरी फिल्मों की मशहूर अदाकारा पाखी हेगड़े ने कहीं। पाखी एश्प्रा के बलिया में खुलने वाले नये शोरुम की लांचिग से एक दिन पहले गोरखपुर पंहुची। पाखी ने गोलघर स्थित ऐश्प्रा जेम्स एण्ड ज्वेल्स के आउटलेट में काफी वक्त बिताया। ज्वेलरी की विस्तृत रेंज देखी और ऐश्प्रा की ज्वेलरी की खुले दिल से प्रशंसा की। पाखी का स्वागग अतुल सर्राफ और वंदना सर्राफ ने किया। पाखी ने भोजपुरी फिल्मों को बी ग्रेड फिल्मों के नजरिये से देखे जाने पर कहा कि यदि मल्टीप्लेक्स में भोजपुरी फिल्मों को हिन्दी फिल्मों की तरह स्थान मिलने लगे तो भोजपुरी फिल्मों की लोकप्रियता बढ़ेगी। हालांकि पाखी ने माना कि भोजपुरी फिल्मों में अच्छे विषय और कहानी की कमी है। इसलिए हर वर्ग के दर्शक भोजपुरी को नहीं मिल पाते हैं। पाखी ने कहा कि लोगों में आम धारणा है कि भोजपुरी फिल्मों में फूहड़ता होती है और ये फिल्मे बी ग्रेड की होती हैं लेकिन भोजपुरी में औलाद, संतान, बैरी पिया जैसी फिल्में भी बनी है जो पारिवारिक फिल्में हैं। महिलाएं इन फिल्मों को देखना चाहती हैं लेकिन जिन सिनेमाघरों में भोजपुरी फिल्में लगती हैं। वहां का वातावरण ऐसा होता है कि महिलाएं सिनेमाघरों में जाना पसंद नहीं करती हैं।