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क्रास केस से सदमे में महराजगंज का कुरहवा गांव, कानून व्यवस्था संभालने में छूट रहा पसीना

एसएसबी जवान की गोली से कमलेश की मौत के तीन दिन बाद भी कुरहवां गांव सदमे से उबर नहीं पाया है। मंगलवार को ग्रामीण घर-गृहस्थी में रमे दिखे, लेकिन हर चेहरे पर उदासी थी। घटना को लेकर आक्रोश था। वहीं कानून...

क्रास केस से सदमे में महराजगंज का कुरहवा गांव, कानून व्यवस्था संभालने में छूट रहा पसीना
हिन्‍दुस्‍तान टीम ,महराजगंज Tue, 09 Jan 2018 09:25 PM
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एसएसबी जवान की गोली से कमलेश की मौत के तीन दिन बाद भी कुरहवां गांव सदमे से उबर नहीं पाया है। मंगलवार को ग्रामीण घर-गृहस्थी में रमे दिखे, लेकिन हर चेहरे पर उदासी थी। घटना को लेकर आक्रोश था। वहीं कानून व्यवस्था संभालने में पुलिस और प्रशासनिक अफसरों का सर्द मौसम में भी पसीना छूटता रहा। सबकी निगाह पुलिस की जांच पर टिकी हुई है। परिजनों का कहना है कि मामला एसएसबी के खिलाफ है। पुलिस वही करेगी जो पिछली घटनाओं में करती चली आ रही है। यही कारण है कि क्रास केस कर मृतक कमलेश को ही आरोपित बना दिया गया है। साथ ही गांव के दर्जनभर अज्ञात युवकों को भी मुकदमे में शामिल कर लिया गया है।   

रविवार को एसएसबी जवान ने झड़प के बाद कुरहवा गांव निवासी कमलेश पासवान को गोली मार दी। इससे उसकी मौत हो गई। गोली कांड ने पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के होश उड़ा दिए। कानून व्यवस्था संभालने के लिए दर्जन भर थानों की पुलिस तैनात कर दी गई। नौतनवा पुलिस कमलेश के परिजनों की तहरीर पर एसएसबी के अज्ञात जवानों के खिलाफ हत्या समेत कई धाराओं में केस दर्ज कर ग्रामीणों को भरोसा दी कि निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई की जाएगी। वहीं दूसरी तरफ एफआईआर दर्ज होने के बाद एसएसबी भी मृतक कमलेश के साथ-साथ अज्ञात ग्रामीणों के खिलाफ केस दर्ज कराकर कानूनी बचाव की जमीन तैयार कर ली। एसएसबी के डीआईजी भी मौके पर पहुंच स्थिति को संभालने की कोशिश करते दिखे। 
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क्रास केस में एसएसबी व ग्रामीणों के दावे से उलझी जांच 

कमलेश की मौत के बाद नौतनवा पुलिस अज्ञात एसएसबी जवानों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर ली है। वहीं दूसरी तरफ बीओपी जोगियाबारी के कमांडर की तहरीर पर मृतक कमलेश समेत अन्य ग्रामीणों के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ है। हालांकि कानून व्यवस्था के नाम पर कोई भी अफसर बोलने को तैयार नहीं है। क्योंकि मामला एसएसबी के खिलाफ है। अब क्रास केस से जांच और उलझती जा रही है। एसएसबी का कहना है कि कमलेश नेपाल की तरफ से आ रहा था। उसके हाथ में कुछ सामान था। जांच के लिए रोकने पर वह झड़प करने लगा। मामला गांव के करीब होने से वह फौजदारी पर उतर गया। तीन जवानों को मार कर घायल कर दिया। उनका असलहा छीनने का प्रयास किया। जवाबी कार्रवाई में जवान ने पैर में गोली मारी। पर पीएम रिपोर्ट एसएसबी के दावे को झुठला रही है। रिपोर्ट के मुताबिक उसे दो गोली लगी थी। इसमें एक गोली कमर के पास भी मारी गई थी। वहीं, घटना के चश्मदीदों के मुताबिक जवान गांव में घुस कर कमलेश को पहले गोली मारे फिर उसे घसीट अपने साथ उठा ले गए। लोगों की निगाह अब पुलिस की जांच पर टिकी है। सब जानना चाहते हैं कि जिस समय घटना हुई उस समय जवानों का लोकेशन कहां होना चाहिए और वह कहां पर थे। बहरहाल तीन दिन बाद भी कमलेश हत्याकांड की जांच दोराहे पर है। 
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छुट्टी से बुलाए गए थानेदार, सीओ की तैनाती पर जोर 
कुरहवा गोलीकांड के बाद गांव पुलिस छावनी में तब्दील है। आसपास के चौराहे पर भी जवान मुस्तैद हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए नौतनवा एसओ को छुट्टी से बुला लिया गया है। नौतनवा सीओ का पद रिक्त है। फिरोजाबाद जिले से एक क्षेत्राधिकारी स्थानान्तरित होकर जिले में आए हैं। ऐसे में नौतनवा के रिक्त पद पर सीओ की तैनाती को लेकर विभागीय माथापच्ची हो रही है। पुलिस अफसर इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि गांव की स्थिति पहले जैसी हो जाए। मंगलवार को एसओ नौतनवा मौके पर पहुंचे। शुरुआती जांच में यह जानने का प्रयास करते दिखे कि विवाद कहां और कौन परिस्थितियों में हुआ था। ग्रामीणों से बातचीत के आधार पर वह उन दोनों वारदात स्थल पर गए जहां की जमीन कमलेश के खून से रंगी हुई बताई गई। दोनों स्थानों पर फैले खून का नमूना पुलिस पहले ही ले चुकी है। 
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दलित कमलेश की मौत में एसओ से जांच पर सवाल
संघर्ष में एसएसबी जवान की गोली से जिस कमलेश की मौत हुई वह अनुसूचित जाति का है। गांव में घुस कर गोली मारने का आरोप है। पर गंभीर मामले में जांच एसओ नौतनवा से कराए जाने पर सवाल उठ रहा है। कानूनी जानकारो का कहना है कि दलित उत्पीड़न जैसे प्रकरण में कम से कम सीओ स्तर के अधिकारी से जांच कराई जानी चाहिए, लेकिन यहां एसओ को जांच सौंपी गई है। एसएसबी के मुताबिक ग्रामीणों के साथ संघर्ष हुआ था। इसमें उसके तीन जवान घायल हुए थे। ऐसे में मजिस्ट्रेटी जांच भी होनी चाहिए। लेकिन अभी ऐसा कुछ भी होता नहीं दिख रहा है।

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