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Hindi News उत्तर प्रदेश गोरखपुरकोई बिरवा उगे कैसे उम्मीद का, कातिलों की गली में है घर न्याय का

कोई बिरवा उगे कैसे उम्मीद का, कातिलों की गली में है घर न्याय का

‘संगम की 232वीं मासिक काव्य गोष्ठी सोमवार को आरडीएन श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुई। इसमें विवि तथा महाविद्यालयों के शिक्षक-छात्रों ने अपनी-अपनी रचनाएं पढ़ीं। इन कवियों ने अपनी कविताओं के जरिए सार्थक...

कोई बिरवा उगे कैसे उम्मीद का, कातिलों की गली में है घर न्याय का
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरMon, 18 Dec 2017 10:09 PM
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‘संगम की 232वीं मासिक काव्य गोष्ठी सोमवार को आरडीएन श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुई। इसमें विवि तथा महाविद्यालयों के शिक्षक-छात्रों ने अपनी-अपनी रचनाएं पढ़ीं। इन कवियों ने अपनी कविताओं के जरिए सार्थक प्रश्न खड़े किए जिसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया।

रागिनी यादव ने अपनी कविता पढ़ी..जिंदगी एक पल है जिसमें आज है न कल है, जी लो इसको इस तरह कि जो भी मिले आपसे, वह बस यही कहे कि यही आपकी जिंदगी का सबसे हसीन पल है। इसे लोगों से खूब सराहना मिली। दीपिका चौबे की कविता...उन कायरों से लड़ने के लिए, हिन्दुस्तानी बच्चा ही काफी है, को लोगों ने खूब सराहा। शुभांगिनी मिश्रा ने दिलों को छू जाने वाली कविता पढ़ी...मैं उत्तेजित थी शोहदों को बोला-बेशर्मों! आज ही तो दामिनी की बरसी मनाई है, वे बोले, चीखो मत, हमने भी उसके लिए मोमबत्तियां जलाई है।

रहबर नवाज ने मार्मिक शेर पढ़े...दिया जो दर्द है उसका मलाल है कि नहीं, मैं तेरी मां हूं इसका खयाल है कि नहीं। प्रेमनाथ ने फरमाया...भ्रष्ट दरोगा भ्रष्ट सिपाही भ्रष्ट यहां पटवारी हैं, चोरी ऊपर सीनाजोरी लोकतंत्र पर भारी है।उषा पांडेय ने कहा...मुद्दतें हुईं खिड़की से बाहर नहीं झांके, अब तो लोग ही मुझे बारिश की खबर देते हैं। अवधेश शर्मा ने भोजपुरी में कविता पढ़ी...ठोकत पीठि गड़ावत दीठि बने दुनिया ई सवारथ साथी, गोबर कबो गनेश बने गोहरा कबो जाई रहे केहू पाथी। इसे लोगों ने खूब सराहा। संचालन डा. चेतना पांडेय ने किया।

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