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बीआरडी में जांच का मतलब मामले को भूल जाओ

केस एक- घटना मार्च 2016 की है। वार्ड नंबर आठ में भर्ती एक महिला को  रात में तेज दर्द हो रहा था। उसकी बेटी डॉक्टर को बुलाने गई। दोस्तों से बात करने में मशगूल डॉक्टर ने बेटी को भगा दिया। कुछ देर...

बीआरडी में जांच का मतलब मामले को भूल जाओ
कार्यालय संवाददाता,गोरखपुरThu, 25 Apr 2019 01:05 PM
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केस एक- घटना मार्च 2016 की है। वार्ड नंबर आठ में भर्ती एक महिला को  रात में तेज दर्द हो रहा था। उसकी बेटी डॉक्टर को बुलाने गई। दोस्तों से बात करने में मशगूल डॉक्टर ने बेटी को भगा दिया। कुछ देर बाद महिला की मौत हो गई। बेटी जब उलाहना देने गई तो डॉक्टर ने साथियों के साथ उसे पीट दिया। 
परिणाम--इस मामले दो डॉक्टरों की कमेटी ने जांच की। जांच कमेटी को डॉक्टर के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिले। 

केस दो-  शाहपुर निवासी प्रिया गौतम का बेटा बालरोग विभाग में अप्रैल 2016 में भर्ती था। उसकी हालत नाजुक थी। पांच दिन बाद मासूम की मौत हो गई। परिवारीजनों ने उलाहना दिया तो जूनियर डॉक्टरों ने उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। पीड़ित ने प्राचार्य से शिकायत की।
परिणाम--  तत्कालीन प्राचार्य ने बालरोग विभाग के विभागाध्यक्ष को जांच सौंप दिया। जांच में डॉक्टरों को क्लीन चिट दे दी गई। 
केस तीन- जून 2016 में जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल किया। इससे पूर्वी यूपी में हाहाकार मच गया। पांच दिन तक कालेज में इलाज ठप रहा। ट्रॉमा सेंटर बंद रहा। सैंकड़ों मरीजों को लौटा दिया गया। हाईकोर्ट इस मामले में सख्त हुआ। उसने प्राचार्य से जांच करने को कहा।
परिणाम- तीन विभागाध्यक्षों की कमेटी ने जांच की। जांच में कोई जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर नहीं मिला। टीम ने सभी को क्लीन चिट दे दी। 

केस चार--- वर्ष 2017 में बीआरडी के चर्मरोग वार्ड के एक कमरे में 60 लाख रुपये की दवाईयां मिली। यह दवाईयां मरीजों के इलाज के नाम पर स्टोर से निकाली गई। अधिकांश दवाईयां एक्सपायर हो गई। एसआईसी ने कमरा सील कर प्राचार्य से जांच कराने को कहा।
परिणाम--- दो सदस्यीय कमेटी ने मामले की जांच की। जांच में कोई खामी नहीं मिली। किसी को लापरवाह नहीं करार दिया गया।

केस पांच - अगस्त 2018 में ब्लड बैंक में प्लाज्मा चोरी होने का मामला सामने आया। गिनती में बी पॉजिटिव ग्रुप का प्लाज्मा कम मिला। इस खबर के बाद प्राचार्य ने एसआईसी की अगुआई में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की।
परिणाम-- कमेटी को जांच में कोई खामी नजर नहीं आई। गायब प्लाज्मा को क्लर्क की गलती करार देकर मामला रफा-दफा कर दिया गया।

यह पांच मामले बानगी भर हैं। बीआरडी मेडिकल कालेज में जांच के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति भर होती है। मामले को ठंडे बस्ते में डालने या फिर  डॉक्टर व कर्मचारियों को क्लीन चिट देने के लिए कालेज प्रशासन जांच का सहारा लेता है। इन जांचों का कोई निष्कर्ष नहीं निकलता है। आज तक जांच रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

ताजा मामला सोमवार को गार्डों व तीमारदारों के बीच मारपीट का है। कालेज प्रशासन ने एक बार फिर जांच कमेटी गठित की है। जिम्मेदारी डॉ. पवन प्रधान और डॉ. महीम मित्तल को दी गई है। कमेटी एसआईसी को रिपोर्ट सौंपेगी। घटना के तीसरे दिन कमेटी ने कोई जांच नहीं शुरू की। 

बीआरडी में सख्त होगी सुरक्षा
सोमवार को तीमारदारों और गार्डों के बीच विवाद के बाद एक बार फिर से कैंपस की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। बीआरडी के मुख्य सुरक्षा अधिकारी डॉ. अभिषेक जीना ने बताया कि अब बाहरी गाड़ियों का प्रवेश नियंत्रित किया जाएगा। इसके लिए तीन जगहों पर बैरकेडिंग किया जाएगा। डॉक्टरों को वाहन पास दिया जाएगा। बगैर मरीज के कोई वाहन की इंट्री ट्रॉमा सेंटर के पार्किंग में नहीं हो सकेगी। 

ट्रॉमा के बाहरी हिस्सों में लगेंगे सीसी कैमरे
उन्होंने बताया कि ट्रॉमा सेंटर की सुरक्षा को बढ़ाने को लेकर कालेज प्रशासन संजीदा है। ट्रॉमा सेंटर के पार्किंग समेत बाहरी हिस्से में चार क्लोज सर्किट कैमरा लगाया जाएगा। इसके साथ ही गार्डों की गश्त बढ़ाई जाएगी।

गार्डों के साथ की बैठक
बुधवार को बीआरडी के मुख्य सुरक्षा अधिकारी डॉ. अभिषेक जीना व एसआईसी ने गार्डों के साथ बैठक की। दोनो अधिकारियों ने गार्डों की समस्याओं को जाना। बुधवार से घायल गार्ड विजय भी ड्यूटी ज्वाइन कर ली।

राजनेता के हस्तक्षेप के बाद सुलटा मामला 
बीआरडी मेडिकल कालेज में सोमवार को तीमारदारों और गार्डों के बीच मारपीट का मामला सुलट गया है। सूत्रों की माने तो जिले के बड़े नेता ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। उनके आवास पर पीड़ित परिवार और गार्डों के बीच वार्ता हुई। इसके बाद घायल गार्ड ने पुलिस को दी तहरीर वापस ले ली। पीड़ित परिवार के एक सदस्य ने पुलिस के कब्जे में वाहन को रिलीज करा लिया। 

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