आरटीपीसीआर जांच के इंतजार में फैल रहा संक्रमण
गोरखपुर। वरिष्ठ संवाददाता केस एक- महानगर के निजी बैंक के कर्मी संक्रमित हुए।...
गोरखपुर। वरिष्ठ संवाददाता
केस एक- महानगर के निजी बैंक के कर्मी संक्रमित हुए। बैंक के दूसरे कर्मचारियों ने एहतियातन आरटीपीसीआर जांच कराई। इसके बाद वह ड्यूटी करते रहे। पांच दिन बाद मिली रिपोर्ट में दो कर्मी संक्रमित मिले।
केस दो- स्वास्थ्य विभाग के दो कर्मचारियों को कोविड जैसे लक्षण रहे। परिजनों ने कर्मचारियों ने एंटीजन से जांच कराई। रिपोर्ट निगेटिव रही। इसके बाद उन्होंने आरटीपीसीआर के लिए सैंपल भेजा। तीन दिन वार्ड में ड्यूटी की। रिपोर्ट में दोनों संक्रमित मिले।
यह दो मामले उदाहरण है। आरटीपीसीआर के रिपोर्ट मिलने में हो रही देरी स्वास्थ्य विभाग के लिए मुसीबत का सबब बन रही है। रिपोर्ट के इंतजार में संदिग्ध संक्रमित संक्रमण फैला रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग रियल टाइम पॉलीमरेज चेन रिएक्शन(आरटीपीसीआर) की रिपोर्ट 48 घंटे में देने का दावा करता है। पर हकीकत इससे जुदा है। जिले में आरटीपीसीआर की रिपोर्ट तीन से पांच दिन बाद मिल रही है। आलम यह है बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी लैब में जांच के लिए 3500 सैंपल इंतजार कर रहे हैं। यहां पर गोरखपुर और देवरिया के नमूनों की जांच होती है। रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर(आरएमआरसी) में कुशीनगर और महाराजगंज के नमूनों की जांच होती है। इस सेंटर के आधे कर्मचारी संक्रमित हो गए हैं। इसलिए इसका असर जांच पर पड़ा है। इस वजह से यहां पर भी वेटिंग चल रही है।
चार दिन में नहीं मिली रिपोर्ट
मोहद्दीपुर निवासी विनोद कुमार ने बताया कि उसके एक रिश्तेदार की जांच के लिए अर्बन पीएचसी पर नमूना लिया गया। चार दिन बीत गए, अभी रिपोर्ट नहीं आई। अगर वह पॉजिटिव हैं तो अब तक कितने ही लोग संक्रमित हो चुके होंगे।
आठ से नौ घंटे में होती है आरटीपीसीआर जांच
बीआरडी के माइक्रोबॉयोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि आरटीपीसीआर जांच की प्रक्रिया जटिल है। इस प्रक्रिया में एक समूह के नमूनों को जांचने में आठ से नौ घंटे का समय लगता है। इसकी जांच के कई चरण है। हर चरण में डेढ़ से दो घंटे का समय लग जाता है। यह चरण सैम्पल रिसीव करना, एलोकॉटिंग, पूल टेस्टिंग, आरएनए निकालने के बाद आरटीपीसीआर जांच की जाती है।
एक महीने में डेढ़ गुना होने लगी जांच
उन्होंने बताया कि जनवरी से संक्रमण के मामले कम होने लगे थे। ऐसे में जांच की संख्या भी धीरे-धीरे कम की गई। मार्च के पहले हफ्ते में रोजाना डेढ़ से दो हजार नमूनों की जांच की जा रही थी। इसमें देवरिया से आए नमूने शामिल रहे। अब तस्वीर बदल गई हैं। संक्रमण तेजी से बढ़ा है। इस समय लैब में दो शिफ्ट में काम हो रहा है। रोजाना तीन हजार से 3500 नमूनों की जांच की जा रही है।