लोको पायलटों के प्रशासक बदले, अब पीसीओएम होंगे ‘बॉस
भारतीय रेलवे में एक नई व्यवस्था लागू की गई है, जिसके तहत अब लोको पायलट मुख्य परिचालन प्रबंधक के अधीन होंगे। इससे काम में सुगमता आएगी और गार्डों तथा चालकों के बीच तालमेल बेहतर होगा। तकनीकी नियंत्रण...
-अब प्रमुख मुख्य परिचालन प्रबंधक के अधीन होंगे रेल चालक -अभी तक इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल विभाग के अधीन आते थे
-नई व्यवस्था से और सहज होगा काम, संचलन में आएगी सुगमता
गोरखपुर, आशीष श्रीवास्तव
गार्डों (ट्रेन मैनेजर) की तरह अब चालक भी मुख्य परिचालन प्रबंधक के अधीन होंगे। लोको पायलट के प्रशासनिक नियंत्रण और पदस्थापना की जिम्मेदारी परिचालन विभाग के पास होगी। यू कह लें कि अब पीसीओएम ही चालकों के बॉस होंगे। इस सम्बंध में कार्मिक विभाग ने पत्र जारी कर दिया है। अभी तक चालक मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल विभाग के अधीन आते थे। हालांकि, तकनीकी कार्य इन्हीं विभागों के जरिए होंगे।
नई व्यवस्था ससे रेल संचलन में और सहजता आएगी। निर्देश, नियमावली और गाइडलाइन एक साथ ही गार्ड और चालक को दी जा सकेगी। अभी तक गार्डों को परिचालन विभाग और चालकों को मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल विभाग दिशा निर्देश जारी करते थे।
बेहतर होगा तालमेल
एक ही विभाग के पास प्रशासनिक नियंत्रण होने से गार्ड और चालकों में भी तालमेल बेहतर रहेगा। दोनों की रिपोर्टिंग एक ही अफसर को रहेगी। किसी भी प्रकार के दिशा-निर्देश एक ही विभाग से जारी हो सकेंगे।
तकनीकी कंट्रोल पीसीईई के पास
भले ही प्रशासनिक नियंत्रण परिचालन विभाग के पास चला गया हो पर तकनीकी कंट्रोल विद्युत विभाग के पास ही रहेगा। किसी भी तरह के प्रशिक्षण, कोर्स या अन्य जानकारी के लिए विद्युत विभाग के ही अफसर जिम्मेदार होंगे।
ट्रेन में तीन स्टाफ रहते हैं तैनात
किसी भी ट्रेन में एक लोको पायलट, सहायक लोको पायलट और गार्ड की तैनाती रहती है। इन्हीं के जिम्मे पूरी ट्रेन के संचालन की जिम्मेदारी रहती है। पूर्वोत्तर रेलवे के तीनों मण्डलों में करीब 700 गार्ड, जबकि 850 के करीब चालक और सहायक चालक कार्यरत हैं।
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