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पांच महीनों में केवल 19 शुभ मुहूर्तों में ही गूंजेगी शहनाई

15 नवम्बर तक तुला राशि का नीच का सूर्य होने से विवाह कार्य नहीं होंगे। 16 नवम्बर, दिन वृहस्पतिवार को सूर्य वृश्चिक राशि पर मित्र मंगल के घर में प्रवेश करेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस परिवर्तन के...

पांच महीनों में केवल 19 शुभ मुहूर्तों में ही गूंजेगी शहनाई
राजीव यादव,गोरखपुरWed, 01 Nov 2017 02:07 PM
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15 नवम्बर तक तुला राशि का नीच का सूर्य होने से विवाह कार्य नहीं होंगे। 16 नवम्बर, दिन वृहस्पतिवार को सूर्य वृश्चिक राशि पर मित्र मंगल के घर में प्रवेश करेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस परिवर्तन के बाद से ही विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्य प्रारम्भ होंगे। 16 नवम्बर से मार्च 2018 तक के पांच महीनों में केवल 19 ऐसी तिथियां हैं जिसमें रात्रि में विवाह का शुभ मुहूर्त बन रहा है। 

पिछले एक महीने से बृहस्पति अस्त चल रहे हैं। नौ नवम्बर के बाद बृहस्पति ग्रह की शुद्धि का बल प्राप्त होगा। समस्त मांगलिक कार्यों में बृहस्पति ग्रह की शुद्धि का विचार किया जाता है। इसके अतिरिक्त 16 नवम्बर तक सूर्य अपनी नीच राशि तुला में गमन कर रहा है। इसलिए विवाह सहित अन्य मंागलिक कार्य 16 नवम्बर के बाद ही प्रारम्भ होंगे। यथार्थ ज्योतिष परामर्श केन्द्र के आचार्य पं. शरद चन्द्र मिश्र बताते हैं कि विवाह मेष, वृष, मिथुन, वृश्चिक और कुम्भ राशिगत सूर्य के महीनों में ही होते हैं। ये महीने प्राय: वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, अगहन, माघ और फाल्गुन हैं। चार महीने आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक भगवान विष्णु के शयन के कारण विवाह नहीं होते हैं। इसके अतिरिक्त धनु और मीन के सूर्य में (पौष और चैत्र) विवाह का निषेध माना जाता है। 

भारतीय विद्वत समिति के महामंत्री डॉ.जोखन पाण्डेय शास्त्री ने बताया कि विवाह सहित अन्य समस्त मांगलिक कार्य के लिए त्रिबल शुद्धि की आवश्यकता है। ये सूर्य, चन्द्रमा और बृहस्पति ग्रह हैं। दाम्पत्य का कारक ग्रह शुक्र है। इसलिए शुक्र ग्रह की भी स्थिति विवाह में देखी जाती है। यदि बृहस्पति और शुक्र अस्त होते हैं तो भी विवाह नहीं होते। वहीं गोरक्षपुर ज्योतिष एवं रत्नशोध केन्द्र के पं.नरेन्द्र उपाध्याय के अनुसार इस वर्ष देवोत्थानी एकादशी 31 अक्टूबर, दिन गुरुवार को रहा है। परन्तु 15 नवम्बर तक तुला राशि का नीच सूर्य होने से विवाह आदि कार्य नहीं होंगे। 16 नवम्बर, दिन गुरुवार को सूर्य वृश्चिक राशि पर मित्र मंगल के घर में प्रवेश करेगा। अत: विवाह के कार्य तभी से प्रारम्भ होगा। 

जनवरी माह में नहीं होंगे मांगलिक कार्य-
आचार्य शरद चन्द्र मिश्र ने बताया कि 11 दिसम्बर 2017 को शुक्र क्षीण प्रारम्भ हो जाएगा, जो फरवरी 2018 तक रहेगा। 7 फरवरी, दिन बुधवार को सुबह 5.30 मिनट पर शुक्र अस्त का दोष समाप्त हो जाएगा। इसके बाद से पुन:विवाह कार्य प्रारम्भ हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि पांच माह में केवल 19 मुहूर्त में ही रात्रि में विवाह की तिथि होगी। सूर्य को पाप ग्रह माना जाता है और दिन के भाग पर सूर्य का अधिकार और रात्रि पर चन्द्रमा का आधिपत्य रहता है। इसलिए उत्तर भारत में अधिकांश विवाह रात्रि में ही होते हैं। अगले वर्ष 14 मार्च से 14 अप्रैल तक खरमास रहेगा। नया वर्ष सम्वत 2075 आने पर ही विवाह कार्य फिर से शुरू होंगे।        

नवम्बर से मार्च तक यह है वैवाहिक मुहूर्त:-
नवम्बर- 16, 17, 19, 20, 21, 22, 23, 28, 29, 30
-(रात्रिकालीन दृष्टि से केवल 20, 21, 23, 28 व 29 नवम्बर है उत्तम)
दिसम्बर-  3, 4, 8, 10
-(3, 4 व 8 दिसम्बर हैं उत्तम)
फरवरी (2018)- 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 18, 19, 20, 23, 25, 28
-(रात्रि में विवाह के लिए 10, 12, 13, 18, 23, 24 फरवरी ही उत्तम)
मार्च- 3, 5, 6, 7, 8, 10, 11, 12       
-(5, 7, 8, 10,12 मार्च की तिथि ही उत्तम)   

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