एचटीयू थाना अब खुद एफआईआर दर्ज करेगा और विवेचना भी
मानव तस्करी सहित अन्य मामलों में अब गोरखपुर की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग थाना खुद एफआईआर दर्ज करेगा और थाने की टीम ही खुद केस की विवेचना भी करेगी। चार साल पहले गोरखपुर को एचटीयू थाने का आदेश जारी किया...
मानव तस्करी सहित अन्य मामलों में अब गोरखपुर की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग थाना खुद एफआईआर दर्ज करेगा और थाने की टीम ही खुद केस की विवेचना भी करेगी। चार साल पहले गोरखपुर को एचटीयू थाने का आदेश जारी किया गया था। अब इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। इसी के साथ एंटी ट्रैफिकिंग यूनिट थाने के रूप में अस्तित्व में आ जाएगी। इसके लिए पैसा भी जारी कर दिया गया है। अभी तक एचटीयू के किसी भी कार्रवाई में कैंट थाने में ही एफआईआर दर्ज होती है।
2016 में प्रदेश के 23 जिलों में मानव तस्करी की रोकथाम के लिए एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को थाने का दर्जा दे दिया गया था। इनमें मुजफ्फरनगर, कुशीनगर, बाराबंकी, खीरी, बहराइच, बलरामपुर, बदायूं, सिद्धार्थनगर, उन्नाव, हरदोई, श्रावस्ती, मऊ, कानपुर नगर, गोरखपुर, बिजनौर, जौनपुर, आजमगढ़, फिरोजाबाद, पीलीभीत, सीतापुर, बलिया, बागपत नगर एवं शाहजहांपुर शामिल किए गए थे। तब पुलिस अधिकारियों ने बताया था कि इन यूनिट पर मानव तस्करी से जुड़े क्राइम की एफआईआर, उनकी विवेचना और आगे की कार्रवाई की जाएगी। इसका कार्यक्षेत्र पूरा जिला होगा। तभी से थाने के लिए भूमि की तलाश शुरू हो गई थी। लेकिन चार साल बाद भी बिल्डिंग का निर्माण नहीं हो सका। इसलिए जैसे-तैसे यूनिट चल रही है। चार साल बाद इन सभी 23 थानों का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। थाना निर्माण के लिए रकम भी जारी कर दी गई है। हालांकि भवन निर्माण के लिए अभी जमीन फाइनल नहीं हो पाया है।
कैंट में दर्ज कराते थे अपनी एफआईआर : एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट अभी तक कभी भी कोई कार्रवाई करती है तो कैंट थाने में उसकी एफआईआर दर्ज कराती है। मुकदमा दर्ज होने के बाद थाना की पुलिस विवेचना करती है। हालांकि अब कुछ मामलों को एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में ट्रांसफर किया जाने लगा है।
पुलिस परेड ग्राउंड के पास तलाशी जा रही थी जमीन
एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग थाने के लिए पिछले साल पुलिस परेड ग्राउंड के पास जमीन की तलाश की गई थी। जमीन लगभग फाइनल भी हो गई थी। हालांकि किन्हीं कारणों से मामला लटक गया था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक नोटिफिकेशन जारी होने के बाद अब एक बार फिर जमीन की तलाश पूरी करने के साथ थाने के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
बच्चों के लापता होने के केस भी होंगे ट्रांसफर
चार साल पहले यह आदेश हुआ था कि बच्चों के लापता होने के चार महीने बाद भी अगर वे बरामद नहीं हो पाते हैं तो मानव तस्करी का मामला मानते हुए केस को एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। बच्चों की तलाश करने से लेकर केस की विवेचना तक की जिम्मेदारी एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की होगी। लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। थाने के रूप में एचटीयू अस्तित्व में आने के बाद अब उम्मदी है कि बच्चों से जुड़े सारे केस यहां ट्रांसफर किए जाएंगे।
गोरखपुर की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को थाने के रूप में नोटिफिकेशन जारी होने के बाद अब उसकी पूरी प्रक्रिया थाने की ही तरह होगी। मानव तस्करी से जुड़े सभी तरह के एफआईआर वहीं दर्ज किए जाएंगे और विवेचना भी उसी थाने की टीम करेगी। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग में पहले से इंस्पेक्टर सहित अन्य पुलिसकर्मी तैनात हैं। जरूरत के हिसाब से जल्द ही उन्हें और संसाधन मुहैया कराया जाएगा।
- जोगेन्द्र कुमार, एसएसपी