कृष्ण-रुक्मणि विवाह के साक्षी बने थे गुरु गोरखनाथ: VIDEO
शिवावतारी गुरु गोरखनाथ के बारे में मान्यता है कि वे सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलयुग यानि हर युग में विद्यमान रहे हैं। महाभारत काल में न सिर्फ उनका उल्लेख मिलता है बल्कि दूर-दूर तक फैली उनकी कीर्ति का भी...
शिवावतारी गुरु गोरखनाथ के बारे में मान्यता है कि वे सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलयुग यानि हर युग में विद्यमान रहे हैं। महाभारत काल में न सिर्फ उनका उल्लेख मिलता है बल्कि दूर-दूर तक फैली उनकी कीर्ति का भी पता चलता है। मान्यता है कि गुरु गोरखनाथ को श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह का न्यौता खासतौर पर आया था और वे इस विवाह के साक्षी बने थे।
गुरु गोरखनाथ के श्रीकृष्ण से इस अटूट सम्बन्ध की स्मृति में उनके गोरखपुर स्थित मंदिर में हर साल जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है। बच्चे श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का प्रदर्शन करते हैं। हर साल की तरह इस बार भी जन्माष्टमी पर्व के इस समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मौजूद रहने की सम्भावना है।
गुरु गोरखनाथ का सम्बन्ध श्रीकृष्ण, महाभारत के महायोद्धाओं और पांडवों से कितना गहरा है इसका एक उदाहरण मंदिर परिसर में भीम सरोवर और यहां भीम की लेटी हुई यह विशाल प्रतिमा भी है। मान्यता के अनुसार महाराज युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के लिए दुनिया भर से संतों और राजाओं को निमंत्रण भेजा गया। गुरु गोरखनाथ की महत्ता को देखते हुए युधिष्ठिर ने अपने भाई भीम को भेजने का निर्णय लिया।
बताते हैं कि महाबली भीम यहां पहुंचे तो गुरु गोरखनाथ तपस्या में लींन थे। गुरु के शिष्यों ने भीम को प्रतीक्षा करने को कहा। महीनों प्रतीक्षा करते करते एक समय ऐसा आया जब भीम को नींद आ गई। मान्यता है कि भीम जहां सोये थे, वहां उनके शरीर के वजन से एक बड़ा गड्ढा बन गया। उससे पानी फूट पड़ा। आज भी इस स्थान पर एक तालाब है जिसे भीम सरोवर के नाम से जाना जाता है।