आद्रभूमि घोषित होने के पांच साल बाद भी रामगढ़ताल का सीमांकन नहीं
Gorakhpur News - गोरखपुर में रामगढ़ झील को 07 दिसंबर 2020 को आर्द्रभूमि घोषित किया गया था। हालांकि, 5 साल बाद भी प्रभावित क्षेत्र में डिमार्केशन और पिलर लगाने का काम शुरू नहीं हो सका। जिलाधिकारी दीपक मीना की सख्ती के...

गोरखपुर। मुख्य संवाददाता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल से रामगढ़ झील को 07 दिसंबर 2020 को आर्द्रभूमि घोषित कर नोटिफिकेशन जारी हो गया। लेकिन 05 साल बाद भी गोरखपुर विकास प्राधिकरण रामगढ़झील के प्रभावित क्षेत्र (जोन ऑफ इन्फ्लुएंस ) के 50 मीटर दायरे में डिमार्केशन और पिलर लगाने का काम शुरू नहीं हो सका। इस लापरवाही के चलते अतिक्रमण लगातार बढ़ते रहे। लेकिन अब जिलाधिकारी दीपक मीना की सख्ती पर गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने स्टेशन सर्वेक्षण और पिलर लगाने के लिए फर्म चयन की तैयारियां शुरू कर दी हैं। जिलाधिकारी दीपक मीणा की अध्यक्षता में गुरुवार को गंगा समिति और जिला पर्यावरण समिति की बैठक होनी है।
पिछली बैठक में दीपक मीणा ने विकास प्राधिकरण (जीडीए) को निर्देश दिए गए कि ताल के 50 मीटर के भीतर स्थित सभी अतिक्रमणों का चिन्हांकन और सीमांकन शीघ्रता से पूरा किया जाए। ताकि चिन्हित अतिक्रमण हटाया जा सके। उन्होंने निर्देश के क्रम में की गई कार्रवाई से अवगत कराने के आदेश भी दिए थे। फिलहाल जीडीए ने इस कार्य के लिए आंतरिक समिति का गठन कर दी है। जल्द होगा स्टेशन सर्वेक्षण, लगेंगे पिलर 0.65 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से स्टेशन सर्वेक्षण कराने पर तकरीबन 08 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है। इसके अलावा सर्वेक्षण के बाद पिलर लगाने पर तकरीबन 10 लाख रुपये खर्च होंगे। जीडीए की कोशिश है कि इन दोनों कार्यो के लिए टेंडर के जरिए जल्द से जल्द फर्म का चयन कर लिया जाए। पांच साल बाद प्रशासन की सक्रियता भले ही देर से दिखी है लेकिन उम्मीद की जा रही है कि सर्वेक्षण पूरा होने के उपरांत पिलर लगने के बाद कानूनी कार्रवाई में तेजी आएगी। ताल क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त कर संरक्षित किया जा सकेगा। ताल की चौहदी और क्षेत्रफल उत्तर प्रदेश असाधारण गजट (7 दिसंबर 2020) के अनुसार, रामगढ़ ताल आर्द्रभूमि उत्तर की ओर पैडलेगंज चौकी से कुशीनगर-देवरिया मार्ग तक, पूर्व में महादेव झारखंडी ग्राम संख्या-2, दक्षिण देवरिया बाईपास मार्ग और ग्राम सिक्टौर तक और पश्चिम पैडलेगंज चौकी से सर्किट हाउस रोड होते हुए प्राणि उद्यान और देवरिया बाईपास तक है। कुल क्षेत्रफल 742.245 हेक्टेयर है, जिसमें से 529.169 हेक्टेयर ताल क्षेत्र, 177.325 हेक्टेयर राजकीय संपत्ति और 35.751 हेक्टेयर निजी काश्तकारों की भूमि शामिल है। इस पूरे एरिया का स्टेशन सर्वेक्षण कराया जाएगा।
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