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प्रकाशोत्सव के बाद करतारपुर जाने की तैयारी में गोरखपुर के सिख

गुरुनानक देव का 550 वां प्रकाशोत्सव मनाने की तैयारी गोरखपुर की सिख संगत जोरशोर से कर रही है। इस बीच पाकिस्तान के करतारपुर जाने की भी तैयारी चल रही है। सिख संगत का कहना है कि12 नवम्बर को गोरखपुर में...

प्रकाशोत्सव के बाद करतारपुर जाने की तैयारी में गोरखपुर के सिख
अजय कुुुुुमार सिंह,गोरखपुर Sun, 10 Nov 2019 01:52 PM
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गुरुनानक देव का 550 वां प्रकाशोत्सव मनाने की तैयारी गोरखपुर की सिख संगत जोरशोर से कर रही है। इस बीच पाकिस्तान के करतारपुर जाने की भी तैयारी चल रही है। सिख संगत का कहना है कि12 नवम्बर को गोरखपुर में धूमधाम से प्रकाशोत्सव मनाने के बाद वे करतारपुर जाने की औपचारिकताएं पूरी करने में जुटेंगे। 

गोरखपुर के मोहद्दीपुर, पैडलेगंज और जटाशंकर गुरुद्वारे में पिछले एक पखवारे से बड़े पैमाने पर प्रकाशोत्सव की तैयारियां चल रहे हैं। मुख्य कार्यक्रम जटाशंकर गुरुद्वारे में हो रहा है जो शहर का सबसे प्राचीन गुरुद्वारा है। यह गुरुद्वारा गुरुनानक देव के यहां आने की याद में बनवाया गया था। गुरुनानक देव जी ने अपने कालखंड में समाज को जगाने के लिए 38 हजार मील की पदयात्रा कर चार उदासियां (पवित्र यात्राएं) की थीं। इन यात्राओं के जरिए उन्होंने दुनिया को सद्भावना और ‘सरबत दा भला’ का संदेश दिया। गुरुनानक देव पूरी जिन्दगी जात-पात, आडम्बर और कर्मकांडों के खिलाफ लोगों को जागरूक करते रहे। पहली उदासी 1500 ई. से 1505 तक, दूसरी उदासी 1506 से 1509 तक, तीसरी उदासी 1514 से 1516 तक और चौथी उदासी 1518 से उन्होंने की थी। इस दौरान उन्होंने दुनिया भर के 248 प्रमुख नगरों का भ्रमण किया। इस दौरान भाई मर्दाना भी उनके साथ थे। चार उदासी के जरिए गुरुनानक देव ने सामाजिक उत्थान का प्रयास किया और ‘परमात्मा एक’ का उपदेश दिया। 

गोरखपुर में उनका आगमन 1503-04 का बताया जाता है। जटाशंकर गुरुद्वारा के ग्रंथी राजेन्द्र सिंह ने बताया कि यानि पहली उदासी के दौरान वह यहां आए थे। वह कुरुक्षेत्र, करनाल, हरिद्वार, दिल्ली, आगरा, मथुरा, अलीगढ़, कानपुर, लखनऊ, अयोध्या होते हुए यहां पहुंचे थे। मान्यता है कि आज जहां जटाशंकर गुरुद्वारा है वहीं उन्होंने विश्राम किया था। श्रद्धालु राजकुमार मदान ने कहा कि गुरुनानक देव के प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में जटाशंकर गुरुद्वारे पर 21 अक्टूबर से सात नवम्बर तक रोज प्रभातफेरियां निकाली गईं। तीन नवम्बर को एक सोविनियर का विमोचन करने के बाद गुरु का लंगर हुआ।

रविवार को नगर कीर्तन के बाद गुरु का अटूट लंगर रखा गया है। सोमवार को गुरुद्वारे में रक्तदान शिविर लगेगा और कई लोग देहदान का संकल्प भी लेंगे। प्रकाशोत्सव तक कीर्तन और श्रीअखण्ड पाठ साहिब का आयोजन किया जाएगा। 11 नवम्बर की शाम बच्चों के कार्यक्रम होंगे। उसके बादर बाहर से आए हुए रागी जत्थे और प्रचारक कीर्तन, कथा, विचार रखेंगे। फिर गुरु का लंगर होगा। 12 नवम्बर को सुबह साढे़ आठ बजे से देर रात तक कई प्रकाशोत्सव समारोह चलेगा जिसमें सारे शहर के सिख और अन्य समुदायों के लोग हिस्सा लेंगे। 

 

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