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गोरखपुर हादसा: बीआरडी में बेटे की सांसों के लिए डॉक्टर के थप्पड़ भी खाए, देखें वीडियो

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती आठ साल का वह मासूम दर्द से बिलबिला रहा था। शरीर तोड़-मरोड़ रहा था। इस दौरान कभी ड्रिप निकल जा रही थी तो कभी जमीन पर गिर जा रही थी। जब मासूम के माता-पिता डॉक्टर के पास...

गोरखपुर हादसा: बीआरडी में बेटे की सांसों के लिए डॉक्टर के थप्पड़ भी खाए, देखें वीडियो
अरविंद कुमार राय,गोरखुपरMon, 14 Aug 2017 12:30 PM
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बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती आठ साल का वह मासूम दर्द से बिलबिला रहा था। शरीर तोड़-मरोड़ रहा था। इस दौरान कभी ड्रिप निकल जा रही थी तो कभी जमीन पर गिर जा रही थी। जब मासूम के माता-पिता डॉक्टर के पास उसकी परेशानी लेकर गए तो उसने संवेदनहीनता की हदें पार कर दीं। दम्पति को खूब गालियां दीं। यही नहीं, दंपति और बीमार बच्चे को ताबड़तोड़ थप्पड़ भी जड़ दिए। दंपति की आंखों में आंसू थे लेकिन बेटे की सांसों को बचाने के लिएवे डॉक्टर के इस वहशीपन को भी सह गए। 

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बिहार से आया है परिवार : बिहार के बेतिया निवासी जंगबहादुर और उसकी पत्नी अनीता आठ दिन पहले बेटे बुलेट को बीआरडी ले आएथे। उसका शरीर अकड़ जा रहा था। वह दर्द से तड़प रहा था। डॉक्टरों ने उसे भर्ती कर लिया। एक डॉक्टर ने उसे ड्रिप लगा दी। अनीता को देखते रहने की हिदायत और जंगबहादुर को बाहर से दवा लाने को कह कर दूसरे मरीज को देखने लगा। 

महिला को जड़ा थप्पड़ : इधर, बुलेट की छटपटाहट कम नहीं हो रही थी। इसी दौरान उसकी ड्रिप निकल गई। अनीता ने डॉक्टर को बताया। वह दौड़ते हुए आया और अनीता के पास पहुंचकर जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। वह डर गई। डॉक्टर ने दोबारा ड्रिप लगाया और चला गया। कमजोर अनीता बेटे को काबू में नहीं कर पा रही थी। इसी बीच ड्रिप फिर निकल गई। अनीता डॉक्टर के व्यवहार से इस कदर डर गई थी कि उसे दोबारा बुलाने का साहस नहीं जुटा पाई। 

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पति से बताई सारी बात : जंग बहादुर दवा लेकर आया तो उसने पूरी बात बताई। जंगबहादुर भी डर गया। उसने बेटे की तरफ देखा। उसका हाल देख वह खुद को रोक नहीं पाया। डॉक्टर के पास पहुंच गया। हाथ जोड़े उसे ड्रिप निकलने की बात बताई। डॉक्टर ने पहले उसे गालियां दीं और फिर थप्पड़ भी जड़ दिया। हालांकि डॉक्टर बच्चे के पास गया और ड्रिप लगा दी। जंगबहादुर और उसकी पत्नी ने सब भुला दिया। उसके बाद गांव से परिवार के आठ सदस्यों को बुला लिया। ताकि वे बारी-बारी बुलेट को पकड़ते रहे। दूसरे दिन बुलेट को इंसेफेलाइटिस वार्ड में ट्रांसफर कर दिया गया। पूरा परिवार बुलेट की तीमारदारी के लिए बीआरडी में रह रहा है।

गांव के लोग चंदा लगाकर भेजते हैं जंगबहादुर को पैसे

जंगबहादुर गरीब है। वह और उसके परिवारीजन मेहनत-मजूरी कर दो वक्त की रोटी जुटाते हैं। बुलेट की तबीयत खराब हुई तो गांव के लोगों ने चंदा जुटाकर जंगबहादुर को 3000 रुपया दिया। कहा कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले जाओ, इलाज कराओ। रविवार को जंगबहादुर का भतीजा सिकंदर आया है। गांव से 4000 रुपया ले आया है। गांव के लोगों ने बीआरडी में बच्चों की मौतों की खबर जान ली है। उन्होंने चंदा लगाकर रुपये जुटाए और सिकंदर के हाथों यहां भिजवाया। इस मंशा से कि कहीं रुपये के के कारण बुलेट का इलाज न रुके।

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