चुनार के मिट्टी के दीए, चरण पादुका में परंपरा और कला का अद्भुत संगम
संक्षेप: Gorakhpur News - - चुनार के मिट्टी के दीए, चरण पादुका में परम्परा और कला का अद्भुत संगम

गोरखपुर, निज संवाददाता उप्र खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड गोरखपुर द्वारा उप्र माटीकला बोर्ड के तत्वावधान में दीपावली के अवसर पर माध्यमिक शिक्षा परिषद कैम्पस नार्मल रोड में जनपद स्तरीय 7 दिवसीय मेले में मिट्टी और टेरीकोटा से बने समानों की परंपरा और कला का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। मेले में दूसरे दिन मंगलवार को 30 स्टॉलों में चुनार से आए महेंद्र कुमार के नीले, पीले, लाल, हरे और विभिन्न रंगों के संयोजन और मोतियों को व्यवस्थित रूप से सजे मिट्टी के दीए, चरण पादुका, तुलसी पाट और छोटे मटके अलग ही छटा बिखेर रहे थे। उनका स्टॉल आगंतुकों को बरबस अपनी तरफ खींच रहे हैं।
स्वदेशी सामानों की इस माटीकला के मेले में खजनी के राजकुमार और संदीप ने मिट्टी के गुल्लक, दीए और कोसे भी परंपरागत कलाकारी को प्रदर्शित कर रहे हैं। वहीं शहर के हड़हवा फाटक के विवेश प्रजापति के स्टाल पर टेरीकोटा से बने गमले, हाथी, मछली और कछुआ की अद्भुत कलाकारी देखने को मिल रही है। सरोज की टेराकोटा की ज्वेलरी भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। डीहघाट ब्रह्मपुर के बृजभान प्रजापति ने मुख्यमंत्री माटीकला योजना के तहत 10 लाख का लोन लेकर मिट्टी से बनी विभिन्न कलाकृतियों का स्टॉल लगाए हुए हैं। उनका स्टॉल अलग तरह के मिट्टी से बने शंख वाले दीपक, गिलास, मिट्टी का थर्मस, कप, मिट्टी का तावा, थाली से सजा हुआ है। पिपरौली ब्लॉक के किरण प्रजापति के स्टॉल पर चाय वाला गिलास, गुड्डा-गुड़िया भी मनमोह रही है। इस संबंध में जिला ग्रामोद्योग अधिकारी आरके श्रीवास्तव ने कहा कि उप्र माटीकला बोर्ड के तत्वावधान में यह स्वदेशी मेला लगाया गया है। इसका उद्देश्य है कि मिट्टी और टेरीकोटा से बने उत्पादों को जन-जन तक पहुंचाया जाय। साथ ही क्षेत्रीय कलाकार अपनी आत्मनिर्भर होकर सशक्त हो सकें।

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