जिला अस्पताल में औसतन 200 मरीजों को लग रहा एंटी रेबीज वैक्सीन
Gorakhpur News - विश्व रेबीज दिवस- जिला अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन (एआरवी) की मांग लगातार बनी हुई है। यहां रोजाना औसतन 200 से अधिक मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, एक सितंबर से 27 सितंबर के बीच कुल 4492 मरीजों को एंटी रेबीज वैक्सीन लगाया गया। इनमें कुत्ता, बंदर और बिल्ली के काटने के मामले अधिक है।

जिला अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन (एआरवी) की मांग लगातार बनी हुई है। यहां रोजाना औसतन 200 से अधिक मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, एक सितंबर से 27 सितंबर के बीच कुल 4492 मरीजों को एंटी रेबीज वैक्सीन लगाया गया। इनमें कुत्ता, बंदर और बिल्ली के काटने के मामले अधिक हैं । जिला अस्पताल के रिकॉर्ड के मुताबिक बीते एक हफ्ते में एआरवी लगवाने वालों की संख्या लगातार 150 से 200 के बीच रही। अस्पताल में संचालित एआरवी सेंटर में बीते 22 सितंबर को 192 मरीज, 23 सितंबर को 158 मरीज, 24 सितंबर को 198 मरीज, 25 सितंबर को 166 मरीज, 26 सितंबर को 168 मरीज और 27 सितंबर को 172 मरीजों को एआरवी का टीका लगाया गया।
नौ महीने में 32 हजार डोज अस्पताल प्रशासन का कहना है कि पिछले 9 महीनों में करीब 32 हजार डोज एंटी रेबीज वैक्सीन के अस्पताल में लगाए जा चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा मामले कुत्ता, बंदर, बिल्ली, चूहा और खरगोश जैसे जानवरों के काटने से जुड़े हैं। डॉक्टरों का कहना है कि बरसात के मौसम में भी ऐसे मामले कम नहीं हुए हैं। गर्मियों में मामलों में पहले ही इजाफा दर्ज किया जा चुका था। सबसे ज्यादा मामले अगस्त में सामने आए थे। अस्पताल में एआरवी की पर्याप्त उपलब्धता है। मरीजों को समय पर दवा दी जा रही है।
जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ. बीके सुमन ने कहा कि रेबीज एक जानलेवा रोग है। इसका एकमात्र बचाव समय पर एंटी रेबीज वैक्सीन लेना है। किसी भी पशु के काटने पर घाव को तुरंत पानी और साबुन से धोना चाहिए और बिना देर किए अस्पताल पहुंचकर टीका लगवाना चाहिए। एसआईसी डॉ. संजय कुमार ने बताया कि चाहे पालतू जानवर हो या आवारा, काटने के हर मामले में लापरवाही खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए तुरंत अस्पताल पहुंचकर टीका लगवाएं। इसमें लापरवाही न करें।
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