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अच्‍छी खबर: बच्चेदानी के कैंसर के बावजूद मां बन सकेंगी महिलाएं

बच्चेदानी के कैंसर से जूझ रही महिलाओं के लिए राहत की खबर है। इस कैंसर के इलाज के बाद महिलाएं दोबारा मां बन सकेंगी। बीआरडी मेडिकल कालेज के रेडियोथेरेपी के विभागाध्यक्ष मेजर डॉ. एमक्यू बेग ने जस्टिशनल...

अच्‍छी खबर: बच्चेदानी के कैंसर के बावजूद मां बन सकेंगी महिलाएं
मनीष मिश्र,गोरखपुर Wed, 25 Oct 2017 10:34 AM
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बच्चेदानी के कैंसर से जूझ रही महिलाओं के लिए राहत की खबर है। इस कैंसर के इलाज के बाद महिलाएं दोबारा मां बन सकेंगी। बीआरडी मेडिकल कालेज के रेडियोथेरेपी के विभागाध्यक्ष मेजर डॉ. एमक्यू बेग ने जस्टिशनल प्रोफोग्राफिक ट्यूमर का सटीक इलाज करने का दावा किया है। देश में कैंसर से जूझ रही दो फीसदी महिलाएं इस बीमारी की शिकार हैं। 10 महिलाओं पर किए गए रिचर्स में शत-प्रतिशत परिणाम मिला है।  

पुरूषों के शुक्राणु से होता है महिलाओं में यह कैंसर
महिलाओं में होने वाले इस कैंसर का कारक पुरूष होते हैं। कुछ पुरूषों के जीन में आंशिक गड़बड़ी होती है। इसका असर उसके शुक्राणु पर पड़ता है। कुछ शुक्राणु खराब हो जाते हैं। महिला के संपर्क में आने पर शुक्राणु बच्चेदानी में अंडाणु से निशेचित होते हैं। इस दौरान भ्रूण बनने के बजाए बच्चेदानी में ट्यूमर बन जाता है। 

फाल्स प्रेगनेंसी का मिलता है संकेत
इस बीमारी से पीड़ित महिला को गर्भधारण होने के लक्षण मिलते हैं। मासिक चक्र रूक जाता है। ऐसे हार्मोन का निर्माण होने लगता है जो कि गर्भावस्था में ही बनते हैं। रैपिड टेस्ट किट से जांच में भी गर्भधारण होने की पुष्टि होती है। पहले त्रैमासिक में होने वाले अल्ट्रासाउंड में भी भ्रूण जैसा दिखता है।

भ्रूण की जगह बनता है ट्यूमर
डॉ. बेग ने बताया कि इस बीमारी में महिला के गर्भ में भ्रूण के बजाए ट्यूमर का निर्माण होता है। सही समय पर पहचान न होने पर यह ट्यूमर कैंसर में तब्दील हो जाता है। कैंसर अगर फेफड़े तक पहुंच गया तो मरीज की मौत हो जाती है। 

इलाज के लिए निकाल दी जाती थी बच्चेदानी
डॉ. बेग ने बताया कि इस बीमारी की शिकार ज्यादातर नवविवाहिताएं ही होती। पहले गर्भधारण में ही वह इस बीमारी की शिकार हो जाती है। इसके इलाज में दवाएं तो हैं लेकिन उनका सटीक परिणाम नहीं मिलता। जब दवाएं कारगर नहीं होती तो डॉक्टर बच्चेदानी निकाल कर मरीज की जान बचाते। दोनों ही परिस्थिति में महिला दोबारा मां नहीं बन पाती। 

कीमोथेरेपी से किया इलाज
इस बीमारी के इलाज के लिए पिछले तीन साल से शोध चल रहा है। इस दौरान 10 महिलाओं का चयन किया गया। जांच में महिलाओं में जस्टिशनल प्रोफोग्राफिक ट्यूमर की तस्दीक हुई। इसके बाद महिलाओं को एक निश्चित अंतराल के बाद कीमोथेरेपी दी गई। यह अंतराल कैंसर के मान्य नियमों से इतर है। कीमोथेरेपी की सिर्फ चार साईकिल में कैंसर पूरी तरह से ठीक हो गया। स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों की जांच में महिलाएं मां बनने के लिए पूरी तरह से सक्षम मिली। 

कीमोथेरेपी की पद्धति को दिया बीआरडी का नाम
डॉ. बेग इस रिसर्च की सफलता से खासे उत्साहित हैं। उन्होंने कीमोथेरेपी के नई पद्धति का नाम बीआरडी रिजीम रखा है। इस शोध को अमेरिकन सोसायटी ऑफ क्लीनिक में प्रकाशित होने के लिए भेज दिया है। 
 

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