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ड्रोन कैमरे से गंडक की गतिविधियों की हुई रिकार्डिंग

कुशीनगर के तमकुहीराज क्षेत्र के एपी तटबंध के किनारे रविवार को ड्रोन कैमरे से गंडक नदी की गतिविधियों की रिकार्डिंग हुई। नदी के कटान से हुई क्षति, स्पर व बंधे की मौजूदा हालत पर रिपोर्ट तैयार की गई।...

ड्रोन कैमरे से गंडक की गतिविधियों की हुई रिकार्डिंग
हिन्दुस्तान टीम,कुशीनगरSun, 20 Jan 2019 05:05 PM
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कुशीनगर के तमकुहीराज क्षेत्र के एपी तटबंध के किनारे रविवार को ड्रोन कैमरे से गंडक नदी की गतिविधियों की रिकार्डिंग हुई। नदी के कटान से हुई क्षति, स्पर व बंधे की मौजूदा हालत पर रिपोर्ट तैयार की गई। मुख्यमंत्री के निर्देश पर बाढ़ खंड विभाग ने एपी तटबंध के किमी 12 से 14.500 तक की रिपोर्ट तैयार की और इसे तत्काल शासन को भेजा जाएगा।

एपी तटबंध पर हर साल हो रहे कटान और बाढ़ पीड़ितों की मुख्यमंत्री ने स्वत: संज्ञान लिया है। इस समस्या का स्थाई समाधान कराने के लिए नदी की गतिविधियों की रिपोर्ट मांगी, जिसके क्रम में रविवार को बाढ़ खंड विभाग ने ड्रोन कैमरे से रिकार्डिंग तैयार कराई। रविवार को एपी तटबंध के किनारे बाघाचौर के टोला नुनियापट्टी के आसपास लोगों की भारी भीड़ जुट गई थी। एपी तटबंध के किमी 12.500 का मेन स्लोप कट चुका है और यहां नदी का कटान जारी है। इस संबंध में बाढ़ खंड के अवर अभियंता सुनील कुमार यादव ने बताया कि ड्रोन कैमरे से तटबंध के अति संवेदनशील जगहों की रिकार्डिंग तैयार की गई। इसकी सीडी तत्काल शासन को भेज दी जाएगी।

1954 में बना था अहिरौलीदान से पिपराघाट तक तटबंध
एपी तटबंध यानी अहिरौलीदान से पिपराघाट तक तटबंध 1954 में बना था। इसकी लंबाई 17.300 किमी है, जो आज गंडक नदी के सीधे निशाने पर है। तमकुहीराज तहसील क्षेत्र के अंतिम ग्राम सभा अहिरौलीदान के कचहरीटोला, नुनियापट्टी, मदरही, बाघाचौर, बाक खास, बिरवट, चैनपट्टी, पिपराघाट, नरवाजोत में इस समय भी गंडक नदी का कटान जारी है। ग्राम बाघाचौर के टोला नुनियापट्टी के समीप किमी 12.500 पर नदी की धारा का दबाव बढ़ता जा रहा है, जिससे बन्धे का मेन स्लोप कट चुका है। 

ग्रामीणों का कहना है कि विभाग द्वारा जो कार्य किया जा रहा है, वह बन्धे को बचाने के लिए पर्याप्त नहीं है। यदि बन्धे के बचाव कार्य के लिए कोई ठोस उपाय न करते हुए कार्य में कार्य में तेजी नहीं लायी गई तो बन्धे को बचाना मुश्किल हो जाएगा। हजारों घरों सहीत लाखों लोगों के साथ ही बिहार के भी कई गांवों के लोगों पर बेघर होने का खतरा मंडराने लगेगा। बीते वर्ष साधू सिंह, कमल सिंह, चन्देश्वर सिंह, धनेश्वर सिंह, रामेश्वर सिंह, दिलीप सिंह सहित तमाम लोगों के घर नदी की धारा में विलीन हो चुके हैं।
 

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