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13 साल बाद भी इंटरनेट से 30 मीटर दूर रह गए चार भवन

केन्द्र सरकार की विश्वविद्यालयों को इंटरनेट से जोड़ने के लिए चल रही योजना नेशनल नॉलेज नेटवर्क का गोरखपुर विश्वविद्यालय में पलीता लग गया। करीब डेढ़ दशक बाद भी चार बड़े विभाग इंटरनेट से महरूम हैं।...

13 साल बाद भी इंटरनेट से 30 मीटर दूर रह गए चार भवन
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरTue, 03 Mar 2020 02:07 AM
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केन्द्र सरकार की विश्वविद्यालयों को इंटरनेट से जोड़ने के लिए चल रही योजना नेशनल नॉलेज नेटवर्क का गोरखपुर विश्वविद्यालय में पलीता लग गया। करीब डेढ़ दशक बाद भी चार बड़े विभाग इंटरनेट से महरूम हैं। इसमें कॉर्मस भवन, मूल्यांकन सेंटर, साइंस म्यूजियम, दीनदयाल शोध पीठ शामिल है। यह योजना 31 मार्च को खत्म हो जाएगी। इसके अलावा आधा दर्जन विभागों में इंटरनेट दूर की कौड़ी साबित होने लगी है।

केन्द्र सरकार ने 2006 में नेशनल नॉलेज नेटवर्क योजना शुरू की। इसमें विश्वविद्यालय में ऑप्टिकल फाइबर का जाल बिछाना था। डीडीयू को भी इसके तहत इंटरनेट से जोड़ने का एलान किया गया। ऑप्टिकल फाइबर बिछाने की जिम्मेदारी बीएसएनएल को दी गई थी।

तीन जगह शिफ्ट हुआ सर्वर रूम : यह योजना शुरू से ही हाशिए पर रही। वर्ष 2008 में तत्कालीन रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष इसके प्रभारी बने। उन्होंने विभाग में सर्वर रूम बनाया। इसके बावजूद योजना में कुछ खास रुचि नहीं ली। कुछ साल बाद लाइब्रेरी इंचार्ज इसके प्रभारी बने। एक बार फिर सर्वर रूम रसायन विभाग से लाइब्रेरी शिफ्ट किया गया। अब इस योजना के इंचार्ज कम्प्यूटर सेंटर के प्रभारी हैं। ऐसे में सर्वर रूम को कम्प्यूटर सेंटर में शिफ्ट किया गया।

कॉमर्स भवन समेत चार भवनों में नहीं है इंटरनेट

विश्वविद्यालय के कॉमर्स विभाग में आज तक इंटरनेट की सुविधा नहीं है। यह कॉर्मस विभाग का भवन हिन्दी विभाग के बगल में ही है। हिन्दी विभाग में ऑप्टिकल फाइबर पहुंच गया है। कॉर्मस से सटे ही मूल्यांकन भवन भी इंटरनेट से महरूम हैं। विवि के मुख्य द्वार से दक्षिण तरफ स्थित साइंस भवन में भी इंटरनेट नहीं है। जबकि सटे हुए वनस्पति विज्ञान विभाग में इंटरनेट की सुविधा है। प्रशासनिक भवन में बने गोरखनाथ शोध पीठ में भी इंटरनेट की सुविधा नहीं है। जबकि प्रशासनिक भवन में इंटरनेट मुहैया है।

लांच होगी डिजिटल इंडिया-टू

केन्द्र सरकार ने इस योजना को खत्म करने का फैसला कर लिया है। आगामी 31 मार्च को योजना खत्म हो जाएगी। इसके बाद सरकार डिजिटल इंडिया-टू लांच करेगी। इसका पत्र विश्वविद्यालय को मिल चुका है। ऐसे में इन विभागों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने की योजना में पेंच फंस सकता है।

आधा दर्जन विभागों में शोपीस बना है इंटरनेट

ऑप्टिकल फाइबर से जुड़े विश्वविद्यालय के कई विभागों के लिए भी इटरनेट महज कागजी ही बना है। हिन्दी विभाग में बिछे फाइबर को दो साल पहले चूहों ने कुतर दिया। तब से आज तक वहां इंटरनेट ठप है। विधि विभाग में भी इसका प्रयोग नहीं हो रहा है। रक्षा-अध्ययन विभाग में यह सिर्फ एक कम्प्यूटर तक ही सीमित है। विभाग में अन्य कंप्यूटर को इससे नहीं जोड़ा गया है।

ऑप्टिकल फाइबर से कुछ विभाग नहीं जुड़ सके हैं। उन्हें जोड़ने की अभी कोई प्रस्ताव या योजना नहीं है। इस पर कितना खर्च होगा इसका आकलन भी नहीं कराया गया है।

- सच्चिदानंद पाण्डेय, प्रभारी, कम्प्यूटर सेंटर

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