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नौकरी छोड़कर रामकाज में मगन हो गए परदेशी

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गोरखनाथ मंदिर में रहने वाले परदेशी राम काफी खुश हैं। कहते हैं कि,‘आखिरकार बड़े महराज का सपना सच हो गया। परदेशी राम ने सिर्फ 33 साल की उम्र में नौकरी छोड़ दी और मंदिर...

नौकरी छोड़कर रामकाज में मगन हो गए परदेशी
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरMon, 11 Nov 2019 02:05 AM
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गोरखनाथ मंदिर में रहने वाले परदेशी राम काफी खुश हैं। कहते हैं कि,‘आखिरकार बड़े महराज का सपना सच हो गया। परदेशी राम ने सिर्फ 33 साल की उम्र में नौकरी छोड़ दी और मंदिर आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की शरण में आ गए। तब से वह रामकाज में मगन हैं।

परदेशी देवरिया जिले के भलुअनी ब्लॉक के पिपरखेमकरन गांव के निवासी हैं। 1981 में उन्होंने नौकरी शुरू की। प्रयागराज के संत सम्मेलन में उनकी तैनाती थी। राम मंदिर निर्माण पर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के भाषण ने उन्हें प्रभावित किया। रामजन्मभूमि के 9 नवंबर 1988 को हुए शिलान्यास कार्यक्रम में बिना अवकाश लिए अयोध्या पहुंच गए। यहां उन्हें महंत अवेद्यनाथ से करीब से मिलने का अवसर मिला। 30 अक्तूबर 1990 के मंदिर निर्माण आंदोलन में परदेशी गिरफ्तार हुए। शाहपुर थाने में उन पर मुकदमा दर्ज करा दिया गया। बस फिर क्या था, परदेसी घर-बार छोड़ पूरी तरह राम के हो गए। 6 दिसंबर 1992 के आंदोलन में भी उन्होंने हिस्सा लिया। 1993 में उन पर दर्ज मुकदमा साक्ष्य के अभाव में खारिज हो गया। परदेशी ने नौकरी से त्यागपत्र देकर गोरखनाथ मंदिर में रहते हुए रामकाज में लीन हो गए। वह कहते हैं कि बड़े महराज (ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ) के आशीर्वाद से ही कोर्ट का फैसला आया है।

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