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लोक गायिका मैनावती देवी का निधन, सी्एम ने जताया दु:ख

गोरखपुर जिले के निजी अस्पताल में भर्ती लोक गायिका मैनावती देवी का गुरुवार की सुबह निधन हो गया। 24 अक्तूबर को तबीयत बिगड़ने पर उन्हें उपचार के लिए निजी अस्पताल में दाखिल किया गया था। डाक्टरों की कड़ी...

लोक गायिका मैनावती देवी का निधन, सी्एम ने जताया दु:ख
मुख्य संवाददाता,गोरखपुर Thu, 16 Nov 2017 10:03 PM
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गोरखपुर जिले के निजी अस्पताल में भर्ती लोक गायिका मैनावती देवी का गुरुवार की सुबह निधन हो गया। 24 अक्तूबर को तबीयत बिगड़ने पर उन्हें उपचार के लिए निजी अस्पताल में दाखिल किया गया था। डाक्टरों की कड़ी निगरानी में वे आईसीयू में भर्ती थी।


 पिछले कुछ दिनों से उनकी हालत स्थिर बनी हुई थी लेकिन सुधार ज्यादा नहीं दिख रहा था। बुधवार की रात एक बार उनकी तबीयत बिगड़ी तो चिकित्सकों ने उन्हें वेंटीलेटर पर रख दिया। गुरुवार की सुबह उन्होंने आखिरी सांस ली।

75 वर्षीया लोकगायिका मैनावती देवी आकाशवाणी एवं दूरदर्शन केंद्र से बी-हाई श्रेणी की कलाकार थी। स्वर्गीय मैनावती देवी आकाशवाणी गोरखपुर से उसके स्थापना काल से जुड़ी रही। उन्होंने संस्कार गीतों पर भी बड़ा काम किया। अंतरराष्ट्रीय लोक गायक राकेश श्रीवास्तव की मॉ मैनावती देवी का अंतिम संस्कार गुरुवार की दोपहर 2 बजे राप्ती नदी के तट पर राजघाट में किया गया। 

मैनावती देवी के निधन का समाचार सुन कर काफी संख्या में शहर के मौजिज लोग हॉस्पिटल पहुंच गए। उनके आवास पर शोक व्यक्त करने के लिए आने वालों की कतार लगी रही। मैनावती देवी और उनके पुत्र राकेश श्रीवास्तव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी काफी करीब रहे हैं।

सी्एम ने जताया दु:ख

लोक गायिका मैनावती देवी के निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गहरा दु:ख वक्त किया है। उन्होंने मैनावती देवी के पुत्र राकेश श्रीवास्तव को फोन कर संवेदना व्यक्त की। उनका हौसला बढ़ाया। उन्होंने कहा कि मैनावती देवी ने जीवन पर्यंत लोक गीतों के संरक्षण-संवर्धन और उनके प्रचार-प्रसार के दिशा में कार्य किया। संस्कार गीतों पर भी उनका विशेष कार्य था। उनके इस योगदान को सदैव स्मरण रखा जाएगा। मुख्यमंत्री राकेश श्रीवास्तव के आवास पर भी अपनी शोक संवेदना वक्त करने के लिए जा सकते हैं। 

5 तक पढ़ी थी हो गई शादी, ससुराल में किया एमए
मैनावती देवी का जन्म सिवान, बिहार में 1 मई 1940 को हुआ था। सिर्फ 5 तक पढ़ाई कर विवाह के बंधन में बंधी मैनावती देवी ने विवाह के बाद अर्थशास्त्र से एमए किया। उनका सफर यही नहीं रूका, साहित्य रत्न करने के बाद बीटीसी की डिग्री ली। संगीत से लगाव के कारण उन्होंने प्रवीण, गायन, संगीत प्रभाकर वादन तबला प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद से किया। जीवन भर उन्होंने लड़कियों को शिक्षा के प्रति प्रेरित किया। वह स्वयं का उदाहरण रखती। महिलाओं को चौखट के बाहर निकल गायन-वादन के क्षेत्र में भी आगे आने के लिए प्रेरित किया। तमाम महिलाएं उनसे प्रेरणा पाकर मंचों तक पहुंची। 

इतनी लम्बी सेवा के बाद भी नहीं मिला कोई राजकीय सम्मान
भोजपुरी लोक साधिका- 1981, भोजपुरी शिरोमणि- 1994, भोजपुरी श्रम रत्न सम्मान- 2001, भोजपुरी भूषण सम्मान- 2001, नवरत्न सम्मान- 2005, लोकनायक भिखारी ठाकुर सम्मान- 2006, युवा चेतना समिति व जर्नलिस्ट प्रेस एसोसिएशन द्वारा लाइव एचीवमेंट सम्मान- 2012, गोरखपुर गौरव सम्मान- 2012। इसके अलावा कई मंचों पर वह अनेक बार सम्मानित हो चुकी हैं। 


मैनावती देवी की पुस्तकें
गांव के गीत (भोजपुरी गीत)
पपीहा सेवाती (भोजपुरी गीत)
पुरखन के थाती (भोजपुरी पारंपरिक गीत)
श्री सरस्वती चालीसा
श्री चित्रगुप्त चालीसा 

अप्राशित पुस्तकें
कचरस (भोजपुरी गीत)
याद करे तेरी मैना (ङ्क्षहदी गीत)
चोर के दाढ़ी में तिनका (कविता)
बेघरनी घर भूत के डेरा (कहानी)

 

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