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130 करोड़ खर्च के बाद भी रामगढ़ झील में मर रही मछलियां

रामगढ़ झील को सेहतमंद और सुंदर करने के लिए जलनिगम 130 करोड़ से अधिक रुपये खर्च चुका है लेकिन झील में पानी की गुणवत्ता में सुधार होता नहीं दिख रहा है। दो-दो एसटीपी के निर्माण के बाद भी झील के आसपास की...

130 करोड़ खर्च के बाद भी रामगढ़ झील में मर रही मछलियां
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरWed, 07 Feb 2018 06:51 PM
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रामगढ़ झील को सेहतमंद और सुंदर करने के लिए जलनिगम 130 करोड़ से अधिक रुपये खर्च चुका है लेकिन झील में पानी की गुणवत्ता में सुधार होता नहीं दिख रहा है। दो-दो एसटीपी के निर्माण के बाद भी झील के आसपास की कालोनियों का गंदा पानी झील में गिर रहा है। यहीं नहीं सिल्ट निकासी नहीं होने झील के बड़े हिस्से में जलकुंभी का जाल फैल चुका है। झील को लेकर बेपरवाही ही सप्ताह भर से मर रही मछलियों की वजह बताई जा रही हैं।

रामगढ़ झील में मछलियों की मौत से जलनिगम द्वारा किया गया काम सवालों के घेरे में है। जलनिगम के अफसर ठंड को मछलियों की मौत की वजह बता रहे हैं तो वहीं प्रदूषण विभाग के अफसर अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं। वजह कुछ भी हो लेकिन जानकार झील की गंदगी को मछलियों के मरने की बड़ी वजह मान रहे हैं। पहले भी झील में गंदगी के चलते पानी में हुई ऑक्सीजन की कमी से मछलियों की मौत हुई है।

तेजी से बढ़ रहा जलकुंभी का दायरा

जलनिगम ने करोड़ों रुपये खर्च कर झील से सिल्ट को निकाला था तो पानी का रंग काफी हद तक साफ हो गया था। तय हुआ था कि समय-समय पर जलकुंभी निकलने के साथ सिल्ट निकासी का कार्य भी होगा। लेकिन न तो सिल्ट निकासी हो रही है न ही जलकुंभी का ही निस्तारण हो रहा है। पैड़लेगंज और आरकेबीके के एक छोर पर पूरी तरह जलकुंभी पसरा हुआ है। वहीं देवरिया बाईपास पर एसटीपी के ईद-गिर्द पूरे क्षेत्र में जलकुंभी फैल गया है।

बिना ट्रीटमेंट में गिर रहा है सीवर का पानी

जल निगम ने एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिव्यूनल) में हलफनाम दाखिल कर रखा है कि 1700 एकड़ में फैले रामगढ़ताल में नालों से आने वाले कचरे का शोधन कर ताल में गिराया जा रहा है। हकीकत यह है कि झील से सटे आधा दर्जन मोहल्लों की करीब 20 हजार आबादी से निकलने वाला कचरा बगैर शोधन के ही रामगढ़ताल में गिराया जा रहा है। सहारा स्टेट, गिरधरगंज, कूड़ाघाट, शिवपुर, महेरवा की बारी, यादव टोला व आवास विकास कालोनी का गंदा पानी नालियों से होकर सीधे ताल में गिर रहा है। मोहद्दीपुर के आरकेबीके से लेकर सहारा स्टेट कालोनी तक आधा दर्जन स्थानों से कचरा सीधे झील में गिर रहा है। सहारा स्टेट के करीब डेढ़ हजार आवास से निकलने वाले कचरे को रोकने का कोई इंतजाम नहीं है।

दो एसटीपी पर खर्च होते हैं लाखों

नालों से आने वाले कचरों को दो एसटीपी (सिवेज ट्रिटमेंट प्लॉट) से शोधन कर ताल में गिराया जा रहा है। आरकेबीके व चिड़ियाघर के पास लगे 45 एमएलडी एसटीपी पर लाखों रुपये बिजली का खर्च आता है। इसके रखरखाव पर नगर निगम और जीडीए ने 4 करोड़ रुपये जलनिगम को देने पर सहमति जताई है।

पानी की जांच कराई गई है। सभी मानकों पर पानी खरा उतरा है। ठंड में सूरज का प्रकाश पानी को नहीं मिला। जिससे ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। सिल्ट निकासी का जितना कार्य होना था, हो चुका है।

रतनसेन सिंह, परियोजना प्रबंधक, रामगढ़झील परियोजना

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