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फिराक की पुण्यतिथि: मौत उसकी जिस पर जमाना करे अफ़सोस

' मौत उसकी जिस पर जमाना करे अफ़सोस/ यूं तो सभी आते है दुनिया में मरने के लिए।' फ़िराक गोरखपुरी का लिखा यह शेर उन्हीं पर चरितार्थ हो गया।फ़िराक को दुनिया को अलविदा कहे 36 साल गुजर गए लेकिन...

फिराक की पुण्यतिथि: मौत उसकी जिस पर जमाना करे अफ़सोस
हिंदुस्तान संवाद,गोपालपुर गोलाबाजार Sat, 03 Mar 2018 09:19 PM
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' मौत उसकी जिस पर जमाना करे अफ़सोस/ यूं तो सभी आते है दुनिया में मरने के लिए।' फ़िराक गोरखपुरी का लिखा यह शेर उन्हीं पर चरितार्थ हो गया।फ़िराक को दुनिया को अलविदा कहे 36 साल गुजर गए लेकिन आज भी उनके शेर बूढ़ो से लेकर नौजवानों तक की जुबान पर है।जिंदगी के हर अनुभव और हर उपलब्धि पर उन्होंने शेर लिखे और वे लोगों के लिए उदाहरण बन गए।शायद फ़िराक भी यह बात बखूबी जानते थे कि उनके न रहने पर दुनियां उन्हें याद करेगी,तभी तो उन्होंने कहा था,आने वाली नस्ले तुम पर नाज करेंगी हम-मसरों,जब उनको ऐ मालूम होगा तुमने फ़िराक को देखा है।' 
पैतृक गांव  बनवारपार में काव्य गोष्ठी व श्रधांजलि सभा का हुआ आयोजन

आने वाली नस्‍लों को फख्र तो है पर फिक्र नहीं
    शनिवार को प्रख्यात  एवं मशहूर शायर रघुपति सहाय उर्फ़ फ़िराक गोरखपुरी की 36 वीं पुण्यतिथि थी।इस अवसर पर उनके पैतृक निवास बनवारपार में फ़िराक सेवा संस्थान के तत्वाधान में काव्यगोष्ठी व श्रद्धाजंलि  सभा आयोजित की गई ।समारोह को बतौर मुख्य अतिथि चिल्लूपार के पूर्व राज्य मंत्री राजेश त्रिपाठी ने संबोधित करते हुए  अपनी कविताओ के माध्यम से फ़िराक के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला ।उन्होंने कहा कि फ़िराक साहब उर्दू साहित्य के प्रशांत महासागर थे,जिसकी सतह जितनी शांत,उदास और गंभीर है गहराई में उतनी ही बेचैनी है।कवि गोष्ठी के पहले मुख्य अतिथि द्वारा पंडित रामबली मिश्र मार्ग जो देईडीहा से फ़िराक नगर बनवारपार तक  गया है उस मार्ग का फीता काटकर लोकार्पण किया गया।

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   विशिष्ठ अतिथि आनन्द चंद ने अपनी कविता में कहा 'साहित्य में अमर है निशानी फ़िराक की,होगी न कोई बात पुरानी फ़िराक की,खुशुबू वफ़ा की आती है हर एक शेर से,गजले है जैसे रात की रानी फ़िराक की।' 
शायर तालिब गोरखपुरी ने  कहा कि फ़िराक साहब एक सफल शायर थे । हिन्दुस्तान की सरजमी पर कई हस्तियां पैदा हुई लेकिन उर्दू अदब के क्षेत्र में 20 वीं सदी में फ़िराक साहब ने जो मुकाम हासिल किया वहां तक पहुचना सबके बस की बात नहीं है।

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   फ़िराक सेवा संस्थान के अध्यक्ष डा0 छोटेलाल यादव नेअपनी कविता के माध्यम से कहा कि 'मशहूर इस कदर हुऐ दुनिया में दोस्तों,हर शख्स गा रहा है तराना फ़िराक का।' 
फ़िराक साहब जू.हा स्कूल बनवारपार  के छात्र एवं छात्राओं द्वारा काव्य गोष्ठी के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया । बिरहा कलाकारों द्वारा बिरहा प्रस्तुत  किया गया । 
 इस कार्यक्रम में राजनाथ यादव,मो0 शाहिद,वीरेंद्र यादव,अरुणेश शाही,उपेन्द्र यादव,विपिन पाण्डेय,राजमंगल यादव,मो0 अरशद,सुरेश प्रसाद राय आदि  मौजूद रहे ।

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