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चुनावी मुद्दा: सूखी नहरों से किसान काटते रहे उम्मीदों की फसल

संतकबीरनगर के किसानों को सस्ती सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए चार दशक पहले सरयू नहर परियोजना शुरू हुई। इस योजना में जिले में 76 किमी लम्बी मुख्य सरयू नहर बनाई गई। यह आगे गोरखपुर जिले में जाकर...

चुनावी मुद्दा: सूखी नहरों से किसान काटते रहे उम्मीदों की फसल
राजेश पाण्डेय,संतकबीरनगरSat, 27 Apr 2019 01:12 PM
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संतकबीरनगर के किसानों को सस्ती सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए चार दशक पहले सरयू नहर परियोजना शुरू हुई। इस योजना में जिले में 76 किमी लम्बी मुख्य सरयू नहर बनाई गई। यह आगे गोरखपुर जिले में जाकर मिल जाती हैं। मुख्य नहर में पानी आता है। इससे निकली माइनर और रजवाहों में पानी नहीं जा रहा है। 

ये नहरें आज भी अधूरी हैं। इस वजह से किसानों के खेत की सिंचाई नहीं हो पा रही है। किसान भविष्य की उम्मीदों के सहारे किसी तरह अपनी खेती कर रहे हैं। ये अधूरी नहरें राजनीतिज्ञों के लिए कभी चुनावी मुद्दा नहीं बनतीं। नहरों के टेल तक पानी पहुंचता तो किसानों का आंगन खुशियों से भर उठता। किसानों के खेतों में फसलें लहलहातीं। घर में अनाज आता। चारो ओर खुशहाली ही खुशहाली रहती।
 
संतकबीरनगर जिला सरयू नहर परियोजना से आच्छादित है। इसके मुख्य नहर की खोदाई हो चुकी है। बस्ती जिले से होकर आने वाली यह नहर करही के पास जिले की सीमा में प्रवेश करती है। इसी मुख्य नहर से 68 माइनर और रजवाहों को निकाला गया है। इसके लिए पूरी तरह से प्रोजेक्ट बन कर तैयार है। कार्य भी आधा अधूरा हुआ है। कार्ययोजना पर अमल इस गति से हुई की उसकी प्रगति को देख कर कछुआ भी शरमा जाए। जिले में एक दर्जन रजवाहों के निर्माण में गैप है। 

इसकी वजह किसानों की जमीन का बैनामा नहीं हो पाना है। कुछ स्थानों पर न्यायालय में मुकदमा चलने की वजह से गैप जिंदा है। जिले के जनप्रतिनिधियों ने किसानों और अधिकारियों के बीच सेतु का कार्य किया होता तो जिले के लगभग चार सौ गांवों में धान की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल जाता और किसान भी प्रफुल्लित रहता। विभाग का कहना है कि इन गैप को भरने के लिए पहल हो रही है। काफी विवादों को हल कर लिया गया है। कुछ बचे हैं उन्हें भी जल्द निपटाकर समस्या कर ली जाएगी।

इन गांवों में है विवाद  
जिले के हरिहरपुर गांव में भूमि विवाद न्यायालय में लंबित होने की वजह से माइनर का गैर अभी तक नहीं भरा जा सका है। इसकी वजह से हरिहरपुर की नौ किमी की माइनर सूखी हुई। इस माइनर में पानी न आने से झाड़ियां उग गई हैं। 

बैनामा नहीं होने से नहीं भरा गया गैप 
माइनर और रजवाहा की खुदाई में कुछ किसानों का अड़ंगा होने की वजह से अरबों के प्रोजेक्ट पर पानी फिर रहा है। जिले में धौरहरा माइनर, जगदीशपुर माइनर, सिधौली मइनर, बैदौली माइनर और बेलौली सहित एक दर्जन स्थानों पर जमीन का वैनामा न होने की वजह से माइनरों का गैप नहीं भरा गया। इसकी वजह से टेल तक पानी नहीं पहुंच रहा है। 

जल्द खत्म होगी समस्या  
अधिशाषी अभियंता सरयू खंड विजय कुमार ने बताया कि अधिकतर माइनरों की राह में आन वाले किसानों के जमीन का बैनामा हो चुका है। जल्द ही इस पर कार्य शुरू हो जाएगा। खरीफ की फसल की सिंचाई तक अधिकतर माइनरों में पानी पहुंच जाएगा।

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