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कुशीनगर में पत्नी के इलाज में कर्ज के बोझ से दबे किसान ने दे दी जान

कुशीनगर के कसया थाना क्षेत्र के ग्राम धुरिया में एक किसान ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी है। यह किसान कर्ज को लेकर काफी दिनों से परेशान चल रहा था। मृतक के बेटे के अनुसार कर्ज से परेशान होकर ही उसके...

कुशीनगर में पत्नी के इलाज में कर्ज के बोझ से दबे किसान ने दे दी जान
हिन्दुस्तान टीम,कुशीनगरWed, 12 Jun 2019 10:05 PM
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कुशीनगर के कसया थाना क्षेत्र के ग्राम धुरिया में एक किसान ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी है। यह किसान कर्ज को लेकर काफी दिनों से परेशान चल रहा था। मृतक के बेटे के अनुसार कर्ज से परेशान होकर ही उसके पिता ने अपनी जान दे दी है। इस मामले में पुलिस को तहरीर दे दी गई है। पुलिस ने पोस्टमार्टम कराकर शव परिवार के हवाले कर दिया है। गुरुवार की सुबह किसान का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

बुधवार को ग्राम धुरिया निवासी किसान गोविन्द सिंह (45 वर्ष) अपने घर के एक कमरे में रस्सी से लटकते हुए पाया गया। घटना की जानकारी होने पर पूरे गांव में सनसनी फैल गयी। मौके पर भारी भीड़ इकट्ठा हो गयी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लिया और पंचनामा बनवाकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। घटना को लेकर मृतक के पुत्र मनीष सिंह ने पुलिस को तहरीर दी है। मनीष ने तहरीर में लिखा है कि कर्ज की वजह से उसके पिता काफी दिनों से अवसाद में थे और इस तरह का कदम उठाए हैं। एसओ सुनील कुमार राय ने कहा तहरीर मिली है। पुलिस मामले में जरूरी कार्रवाई करेगी।

पत्नी का दिल्ली तक कराया इलाज, लाखों के हो गए थे कर्जदार
मृत किसान के बेटे मनीष ने बताया कि उसकी मां किरन की तबीयत काफी दिनों से खराब चल रही है। उसके पिता ने दिल्ली तक इलाज कराया। इलाज के चक्कर में समिति से तीन लाख और इधर-उधर से एक लाख मिलाकर चार लाख के कर्जदार हो गए थे। कुछ चार कट्ठा जमीन भी रेहन रख दिया था। कर्ज चुका न पाने के कारण वे अवसाद में रहते थे।

बेटा नाबालिग, बेटी की नहीं हुई है शादी
मृत किसान गोविन्द सिंह के दो संतान हैं। 15 वर्षीय बेटा मनीष अभी कुछ करने लायक नहीं है, तो 20 साल की बेटी रिंकू की शादी नहीं हुई है।

राशन कार्ड है, लेकिन नहीं मिलता राशन
किसान गोविन्द सिंह के नाम राशन कार्ड तो बना है, लेकिन पीओएस मशीन में थंब यानी अंगूठा स्वीकार नहीं होने से राशन नहीं मिलता है। जब से पीओएस मशीन से राशन मिलने लगा, किसान का परिवार राशन से वंचित हो गया। मनीष की मानें तो इसे दुरूस्त कराने के लिए उसके पिता ने काफी भागदौड़ की, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो सका।

आयुष्मान योजना की सूची से बाहर है परिवार
किसान का परिवार आयुष्मान योजना की सूची से बाहर है। इस संबंध में सीएमओ डा. हरिचरण सिंह का कहना है कि 2011 की जनगणना में बने शेक डाटा के अनुसार गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को आयुष्मान योजना में शामिल किया गया है। अगर किसान इस योजना में शामिल नहीं है तो शेक डाटा में उसका नाम नहीं रहा होगा।

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