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लाशें देख कर आंखें रोईं मगर जुबां क्यों खामोश रही

मेडिकल कॉलेज की मोर्चरी में कुछ मीटर के फासले पर दो जवान लाशें तीन दिन रखी रहीं। एक 17-18 बरस की लड़की और दूसरी 30-35 साल के नौजवान की। कहने को दोनों के बीच कोई रिश्ता नहीं, लेकिन इलाके की फुसफुसाहटों...

लाशें देख कर आंखें रोईं मगर जुबां क्यों खामोश रही
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरTue, 23 Jul 2019 05:48 AM
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मेडिकल कॉलेज की मोर्चरी में कुछ मीटर के फासले पर दो जवान लाशें तीन दिन रखी रहीं। एक 17-18 बरस की लड़की और दूसरी 30-35 साल के नौजवान की। कहने को दोनों के बीच कोई रिश्ता नहीं, लेकिन इलाके की फुसफुसाहटों में रिश्ते की ही कहानी है। लोग कह रहे हैं कि दोनों अपने-अपने घरों से गायब हुए तो फिर जिंदा नहीं मिले। उनकी लाशें चंद मील के फासले पर मिलीं। इलाके में जिन घरों के बच्चे गायब थे, उनके लोग बुलाए गए। इनमें से कुछ की आंखें लाशें देख कर छलक पड़ीं। कुछ गलों में सिसकियां उभरीं। कुछ कंठों से चीत्कार गूंजी। लेकिन... उनसे लाशें नहीं पहचानी गईं। दर्द ने सब कुछ कहा, जुबां ने इनकार कर दिया। अब डीएनए टेस्ट ही राज खोलेगा कि ये किनके बच्चे थे? कैसे मरे या क्यों मार डाले गए? और छलकती आंखों के बावजूद जुबानें क्यों खामोश रहीं।

अपहरण से कत्ल तक राज ही राज

यह दास्तान गोरखपुर से कुछ ही दूर की है। पिछले सप्ताह एक 17-18 बरस की छात्रा लापता हुई। घर वालों ने खूब तलाशा। नहीं मिली तो पुलिस में गए। इलाके के ही एक युवक के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा दी। उधर जिसे नामजद किया गया, वह भी अपने घर से गायब निकला। पुलिस समेत जिसने भी सुना, यही माना कि लड़का राजी-बेराजी, जैसे भी हो, लड़की को ले गया है। दोनों किसी शहर में रोजी-रोटी के लिए खाक छान रहे होंगे। किसे पता था कि दोनों खाक नहीं छान रहे थे, खाक में मिल रहे थे।

रोती हुई आंखों ने ठुकरा दी लाश

18 जुलाई को चौरीचौरा क्षेत्र में पोखरी में एक युवती की लाश देखी गई। चर्चा फैली। सूचना पाकर पुलिस भी पहुंची। जिला पुलिस की डायरियों से सारी गुमशुदा लड़कियों के नाम-पते निकाले गए। उनके परिवारों को सूचना दी गई। शिनाख्त को पहुंचे ज्यादातर परिवार एक नजर देख कर ही इनकार कर गए। बस एक परिवार की महिलाएं अकड़ी हुई लड़की की लाश देखते ही विलाप करने लगीं। पुलिस को लगा शिनाख्त हो गई लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इस परिवार ने भी अंतत: लाश ठुकरा दी। कहा-यह हमारे घर की बेटी नहीं है। बेबस पुलिस ने लावारिस में दर्ज कर लाश मार्चुरी भेज दी। तीन दिन बाद पोस्टमार्टम में उसके सिर पर गहरी चोट से मौत की तस्दीक हुई है। पुलिस का कहना है- केस मर्डर में तरमीम किया जाएगा। हमने डीएनए सैंपल लिया है। टेस्ट के जरिए शिनाख्त की कोशिश करेंगे। लावारिस की तरह उसका अंतिम संस्कार किया जा चुका है।

लड़के की भी लाश मिली, आया हैरतअंगेज मोड़

लड़की की लाश बरामद होने के अगले ही दिन 20-22 किमी दूर एक युवक की लाश पाई गई। बदन पर चोट के 15-20 निशान थे। चंद घंटे के अंदर चर्चा शुरू हो गई कि यह तो ‘उस की लाश है। जिसे इलाके की एक लड़की के अपहरण में नामजद किया गया था।

उसके घर वाले बुलाए गए। पुरानी फोटो से मिलान हुआ। इलाके के लोगों ने माना कि यह वही है लेकिन शिनाख्त करने आए परिवार ने कहा-यह हमारे बेटे की लाश नहीं है। अलबत्ता यह कहते वक्त, गला रुंधा था, आवाज कांप रही थी। आंखें डबडबाई थीं। कदम लड़खड़ा रहे थे। सोमवार को इस लाश का पोस्टमार्टम हुआ। पता चला कि बदन में तमाम चोटें हैं। इनकी वजह से ही मौत हुई। जहां लाश मिली थी, वहां कई इंजेक्शन भी बरामद हुए थे। पुलिस का मानना है कि उसे नशे के इंजेक्शन देकर लाया गया और यहां मार कर फेंक दिया गया।

दो लाशें, एक कहानी और बाकी खामोशियां

दो कुनबों की खामोशियां इलाके में चर्चा में हैं। सवाल है कि ये इलाके के गुमशुदा युवक-युवती नहीं थे, तो आखिर कौन थे। तीन दिन तक इंतजार के बाद भी इन्हें पहचानने वाले क्यों नहीं आए? क्या इन्हें कहीं दूर से लाकर फेंका गया? या फिर अगवा होने वाली और अगवा करने वाले, दोनों की लाशों का मिलना कोई और इशारा कर रहा है। दोनों के डीएनए सैंपल इस गुत्थी को सुलझा सकते हैं। पुलिस इसकी कोशिश में लगी है।

इलाके में चर्चा के आधार पर एलआईयू से भी इनपुट मांगा गया है। दोनों लाशों से डीएनए सैंपल लिए गए हैं। संभावित परिवारों के लोगों के सैंपल भी लिए जाएंगे। दोनों के मिलान से शिनाख्त होगी। जांच जारी है।

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