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मच्‍छर को टक्‍कर: एहतियात से मच्‍छरों से बचा सकते हैैं अपने बच्‍चों को: VIDEO

मच्छर अपने आसपास पाए जाने वाले छोटे प्राणियों में शुमार किया जाता है। जैसे-जैसे ने मच्छरजनित रोगों पर काबू पाने के उपाय जा रहे हैं वैसे-वैसे मच्छर बलशाली होता जा रहा है। यह दुनिया का सबसे जानलेवा...

मच्‍छर को टक्‍कर: एहतियात से मच्‍छरों से बचा सकते हैैं अपने बच्‍चों को: VIDEO
वरिष्‍ठ संवाददाता ,गोरखपुरMon, 26 Aug 2019 04:38 PM
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मच्छर अपने आसपास पाए जाने वाले छोटे प्राणियों में शुमार किया जाता है। जैसे-जैसे ने मच्छरजनित रोगों पर काबू पाने के उपाय जा रहे हैं वैसे-वैसे मच्छर बलशाली होता जा रहा है। यह दुनिया का सबसे जानलेवा प्राणी बना हुआ है। यह बच्चों के लिए सबसे बड़ा दुश्मन बनता जा रहा है। मच्छरों के लिए बच्चे साफ्ट टारगेट बन गए हैं। इंसेफेलाइटिस के कारण हर साल सैंकड़ों मासूमों की मौत हो रही है। इस बीमारी की एक वजह मच्छर हैं। डेंगू और मलेरिया भी पांव पसारे हुए है। 

पूर्वी यूपी में बच्चों के लिए मच्छर खतरनाक साबित हो रहे हैं। हिन्दुस्तान द्वारा शनिवार को आयोजित संवाद मच्छर को टक्कर में बच्चों की सेहत व सुरक्षा का मामला छाया रहा। होटल क्लार्क में आयोजित संवाद का विषय था 'मच्छर जनित रोगों की चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे आते हैं मच्छरों से बच्चों को कैसे सुरक्षित रखें?'। संवाद  में गृहणियां , शिक्षक, छात्र, अभिभावक और चिकित्सक मौजूद रहे। इस दौरान लोगों ने बेबाकी से अपनी बात रखी।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉ. राजेश गुप्ता ने संवाद की शुरूआत की। उन्होंने कहा कि मच्छर वातावरण में मौजूद सबसे खतरनाक प्राणियों में से एक है। इसके कारण देश में हर साल 10 लाख बच्चे गंभीर रूप से बीमार होते हैं। इनमें से कई की मौत हो जाती है। मच्छरों की बीमारी से बचाव के लिए घरों के आसपास गंदगी को जमा न होने दें। जहां पानी रूकता हों उन गड्ढों को पाट दें। 

पशु रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय श्रीवास्तव ने कहा किदेश में मच्छरों की 300 से अधिक प्रजातियां हैं, इनमे से 20 ही खतरनाक हैं। अलग-अलग प्रजातियों के मच्छरों के काटने से अलग-अलग बीमारियां होती है। कुछ मच्छर साफ पानी में पनपते हैं और कुछ गंदे पानी। मच्छर सबसे ज्यादा सूर्यास्त के दौरान सक्रिय होता है। मादा मच्छर ही खून चूसते हैं। समाजसेवी सीमा पाण्डेय ने कहा कि नगर निगम की लापरवाही से मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया।  महानगर में नालियां चोक हैं। मलेरिया के मच्छर गंदे और ठहरे हुए पानी में पनते हैं।

सिमरन नेभानी ने कहा कि मच्छरों के कारण ही पूर्वी यूपी इंसेफेलाइटिस के प्रकोप से जूझ रहा है। जागरूकता से ही मच्छरों के डंक से बचा जा सकता है। कोशिश की जाए कि मच्छर पैदा ही न हों। इसके लिए घर की सफाई की जाए। वंदना सिंह ने कहा कि बच्चों को मच्छरों के डंक से बचाना बड़ी चुनौती है। स्कूल, क्लॉस, घर, बाजार और खेल के मैदान में हर जगह मच्छरों का प्रकोप है। इन सभी जगहों पर उसे सुरक्षित रखना है। 

गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रो. अजय शुक्ला ने कहा कि मच्छरों को घर से बाहर करने के लिए घरेलू उपाय कारगर हैं। कपूर, पुदीना, नीम के पत्ते और लोहबान के धुआं से मच्छर भागते हैं। इन उपायों को प्रोत्साहित करने की जरूरत हैं। 

संवाद में बालरोग विशेषज्ञ डॉ. नुपुर श्रीवास्तव ने कहा कि डेंगू का मच्छर घर के अंदर ही पनपता है, साफ-सफाई कर डेंगू से बचाव हो सकता है। इंसेफेलाइटिस का कारक मच्छर सिर्फ तीन फिट की उंचाई तक उड़ सकता है। फुल पैंट और पैरों में मोजे पहन कर इंसेफेलाइटिस के मच्छरों से बचाव हो सकता है। 

विश्वविद्यालय की छात्रा प्रीति यादव और राशि रूपानी ने कहा कि खुले में कूड़ा फेंकने से मच्छर पनपते हैं। इसलिए अपने घर के आसपास सफाई जरूर करें।  इसके लिए नगर-निगम पर आश्रित न रहें। हफ्ते में एक दिन घर के कोनों और छत, कूलर पर ठहरे हुए पानी की सफाई जरूर करें। 

मच्छरों के प्रजनन का केन्द्र पानी है। अलग-अलग मच्छरों के लिए पानी के प्रकार बदल जाते हैं। कुछ मच्छर गंदे तो कुछ साफ पानी में प्रजनन करते हैं। बचाव ही मच्छरों के प्रकोप से बचने का बेहतर तरीका है।
डॉ राजेश गुप्ता, बाल रोग विशेषज्ञ

घर के अलावा आसपास की सफाई व लोगों में जागरुकता बहुत ही जरूरी है। बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए न की स्वयं इसका इलाज करें। बीमारी में चिकित्सकीय परामर्श बहुत ही जरूरी है।
डॉ. नूपुर श्रीवास्तव, बाल रोग विशेषज्ञ

इलाज से बेहतर हमेशा बचाव होता है। मच्छरों से होने वाले विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचने के लिए स्वयं जागरूक होना पड़ेगा। साथ ही बच्चों को भी जागरूक करना होगा जिससे ईलाज की जरूरत ही न पड़े।
रीना जायसवाल द्विवेदी, वरिष्ठ रंगकर्मी

अपने घर के आसपास बने गड्ढों को मिट्टी से भरना होगा। खेलने से पहले बच्चों के शरीर में तेल लगाकर ही उन्हें बाहर भेजना चाहिए। घरेलू नुस्खों के जरिए मच्छरों को आसानी से भगाया जा सकता है।
किरण पांडेय, समाजसेवी

मादा मच्छर ही काटती हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि प्रजनन के लिए मादा मच्छरों को प्रोटीन की जरुरत होती है। इसलिए मादा मच्छरों को प्रजनन करने से रोकने के लिए हमें उपाय करने चाहिए।
डॉ. संजय श्रीवास्तव, विशेषज्ञ

लोगों को मानसिक रूप से मजबूत होना होगा। मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों से लड़ने के लिए सभी को जागरूक रहना होगा। बीमारी होने से पहले ही उसके बचाव के बारे में लोगों का जानकारी रखनी चाहिए।
वंदना सिंह, समाजसेवी

लोगों को जागरूक होना पड़ेगा। साथ ही आसपास के गड्ढों में लोगों को रूटीन वाइज केरोसिन, ब्लीचिंग पाउडर, चूना आदि डालकर मच्छरों को प्रजनन से रोकना होगा। इसके अलावा घर घर की सफाई भी हमेशा करनी होगी। 
सीमा पांडेय, समाजसेवी

कॉलोनी को साफ सुथरा रखने से ही मच्छरों के प्रजनन को रोका जा सकता है। इसके अलावा गड्ढे, नालियों आदि में पानी इकट्ठा होने से रोकना होगा। नवजात शिशुओं व बच्चों को हमेशा मच्छरदानी के अंदर ही सुलाना चाहिए।
चित्रा देवी, समाजसेवी

डेंगू के मच्छरों का प्रजनन घर में पड़े बेकार सामानों में भरे पानी में होता है इसलिए सबसे ज्यादा जरूरी घर की साफ-सफाई है। घर के आसपास व मोहल्लों की सफाई से मच्छरों से होने वाली बीमारी से बचा जा सकता है।
सिमरन निभानी, गृहिणी

कॉलोनी में हर तरफ गंदगी फैली रहती है लेकिन हमारा दायित्व है कि प्रतिदिन मोहल्ले के सभी लोग मिलकर आधे घण्टे भी सफाई कर दें तो मच्छरों से होने वाली बीमारी से निजात पाया जा सकता है। इसके लिए सभी को एकजुट होना होगा।
नम्रता श्रीवास्तव, गृहिणी

हमेशा हम लोगों को सरकार पर ही निर्भर नहीं रहना होगा। हमारी अपनी भी कुछ नैतिक जिम्मेदारियां होती हैं। यदि सभी लोग अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें तो मच्छरों से होने वाली बीमारी से निजात पाया जा सकता है।
माया श्रीवास्तव, गृहिणी

सभी नागरिक टैक्स भरते हैं। इसके बदले में वह सारी उम्मीदें सरकार से ही लगाए रहते हैं। इसलिए शहर में गंदगी पसरी रहती है। हमें अपनी जिम्मेदारी समझते हुए आसपास की सफाई व घर की सफाई करनी होगी।
अश्वनी त्रिपाठी, शोधार्थी, डीडीयू

सरकारी अभियान बनाने से स्वच्छता नहीं होगी बल्कि इसे जन-अभियान बनाना होगा। तभी समस्या से निजात पाया जा सकेगा। घरों में साफ-सफाई के अलावा अपने आसपास की सफाई भी बेहद जरूरी है।
प्रो. अजय शुक्ला, छात्रा, डीडीयू

नगर निगम द्वारा फागिंग नहीं किया जा रहा है। मच्छरों के बढ़ते प्रकोप का यह भी एक कारण है। मच्छरों से निजात पाने के लिए घरों के आसपास, नालियों व गडढों में चूने व ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया जाना चाहिए।
सृष्टि त्रिपाठी, छात्रा, डीडीयू

घरों के खिड़की और दरवाजे को हमेशा बंद रखना चाहिए। इसके अलावा क्लासरूम, कमरे व उसमें रखे सामानों की हमेशा साफ-सफाई करते रहना चाहिए। इससे मच्छरों के प्रकोप से बचा जा सकता है।
प्रीति यादव, छात्रा, डीडीयू

बरसात के दिनों में सड़कों में बने गड्ढों में पानी भरने व जलभराव से मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। आसपास के गड्ढों को पाटकर, नालों में दवाओं के छिड़काव से मच्छरों से निजात पाया जा सकता है।
अनुपम श्रीवास्तव, छात्र, डीडीयू

इलाज से बेहतर हमेशा बचाव होता है इसलिए मच्छरों से होने वाली बीमारियों के प्रति पहले से सचेत होना चाहिए। गंदगी ही मच्छरों के पनपने का मुख्य स्थान है। साफ-सफाई से ही इस पर अंकुश लगाया जा सकता है।
सौरभ कुमार, छात्र, डीडीयू

समाज के लोगों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। साथ ही नगर निगम को भी आगे आना होगा। सफाई के लिए दोनों के सहयोग की जरूरत होती है। सभी को मिलकर मच्छरों से होने वाली बीमारियों के खिलाफ अभियान चलाने की जरूरत है।
डॉ. राकेश नेभानी, खिलाड़ी    

संवाद के दौरान सामने आए महत्वपूर्ण बिन्दु

देश में मच्छरों की 300 से अधिक प्रजातियां हैं, इनमे से 20 ही खतरनाक हैं
इंसेफेलाइटिस का कारक मच्छर सिर्फ तीन फिट की उंचाई तक उड़ सकता है
फुल पैंट और पैरों में मोजे पहन कर इंसेफेलाइटिस के मच्छरों से बचाव हो सकता है
डेंगू का मच्छर घर के अंदर ही पनपता है, साफ-सफाई कर डेंगू से बचाव हो सकता है
मच्छर सबसे ज्यादा सूर्यास्त के दौरान सक्रिय होता है, मादा मच्छर ही खून चूसते हैं 
खेलते समय बच्चे फुल पैंट और फुल शर्ट पहने, इससे मच्छर उन्हें डंक नहीं मार सकेंगे
हफ्ते में एक दिन घर में रूके हुए पानी को साफ करने का अभियान चलाएं, इससे मच्छर नहीं पनपेंगे
घर के आसपास सफाई जरूर करें, इसके लिए नगर-निगम पर आश्रित न रहें, खुद पहल करें
खुले में कूड़ा फेंकने से पनपते हैं मच्छर
ज्यादातर कालोनियों में नहीं होती है फागिंग
चोक नालियों की नियमित सफाई हो

 

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