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डीडीयू में नियुक्तियों पर छिड़ा बवाल, पूर्व कुलपति और विश्‍वविद्यालय कार्यपरिषद के सदस्‍य ने ही उठा दिए सवाल

डीडीयू कार्य परिषद के सदस्य, अवध विवि के पूर्व कुलपति व उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. रामअचल सिंह ने डीडीयू में पिछले दिनों हुई नियुक्तियों में व्यापक भ्रष्टाचार का आरोप...

डीडीयू में नियुक्तियों पर छिड़ा बवाल, पूर्व कुलपति और विश्‍वविद्यालय कार्यपरिषद के सदस्‍य ने ही उठा दिए सवाल
वरिष्‍ठ संवाददाता ,गोरखपुर Tue, 20 Aug 2019 01:20 PM
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डीडीयू कार्य परिषद के सदस्य, अवध विवि के पूर्व कुलपति व उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. रामअचल सिंह ने डीडीयू में पिछले दिनों हुई नियुक्तियों में व्यापक भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। कुलाधिपति, उच्च शिक्षा सचिव समेत शासन के कई जिम्मेदारों को बिंदुआर शिकायत भेजकर कार्रवाई की मांग की है।

बीते माह जुलाई में भी प्रो. राम अचल सिंह ने ऐसे ही आरोप लगाते हुए कार्यपरिषद की बैठक का बहिष्कार किया था और अब उन्होंने नगर विधायक डॉ. आरएमडी अग्रवाल को पत्र लिखकर मामले की गहन जांच कराने की गुजारिश की है। 

कार्यपरिषद के वरिष्ठ सदस्य के इस आरोप पत्र की विवि परिसर में काफी चर्चा है। उन्होंने शिकायती पत्र में लिखा है कि यूं तो पूरी नियुक्ति प्रक्रिया में ही भ्रष्टाचार हुआ है लेकिन हिंदी और बायोटेक्नालॉजी की प्रक्रिया पूरी तरह नियमविरुद्ध है। विश्वविद्यालय को इकाई मानकार जारी आरक्षण रोस्टर संबंधी केंद्र सरकार के नए शासनादेश के अनुरूप ही इसकी प्रक्रिया होनी चाहिए थी। कार्यपरिषद की बैठक में प्रो. सिंह ने जब नियमों की याद दिलाई तो कुलपति सुनने को तैयार न थे। 

अंतत: चयन समिति की संस्तुतियां परिषद के समक्ष रख दी गईं। प्रो. सिंह ने सदस्य के रूप में अपनी आपत्ति भी जताई लेकिन उसे  बैठक की कार्यवृत्ति में शामिल नहीं किया गया। इस पर बीते आठ अगस्त को कुलसचिव को पत्र लिखकर उन्होंने अपनी आपत्तियों को बैठक कार्यवृत्ति में शामिल करने का पुन:अनुरोध किया और ऐसा न होने पर इसकी शिकायत कुलाधिपति से करने की चेतावनी भी दी। 

मांगने पर भी नहीं दिया दस्तावेजी साक्ष्य
प्रो. सिंह ने कहा है कि कार्यपरिषद बैठक में यह पूछे जाने पर कि अनारक्षित सीटों पर आरक्षित वर्ग के कितने अभ्यर्थी चयन के लिए अर्ह पाए गए, कुलपति का जवाब था -कोई नहीं। जाहिर है आरक्षित वर्ग को जानबूझ कर कम नंबर दिए गए ताकि वह सामान्य वर्ग की सूची अंतर्गत अर्ह ही न हो।  प्रो. सिंह ने कहा है कि शिक्षक चयन साक्षात्कारों का कुलपति ने कोई दस्तावेजी साक्ष्य नहीं दिया।

शिक्षक पाल्यों व रिश्तेदारों की नियुक्ति 
प्रो.राम अचल सिंह ने आरोप लगाया है कि विवि में शिक्षकों के पुत्र-पुत्रियों व रिश्तेदारों की नियुक्ति की गई है। हिंदी में प्रो. सुरेंद्र दुबे के पुत्र प्रत्यूष दुबे का चयन प्रोफेसर पद पर, प्रो.अनंत मिश्र के नाती अखिल मिश्र का चयन सहायक आचार्य पद पर हुआ है तो रसायन विज्ञान विभाग में प्रो. जीएस शुक्ल के बेटे डॉ. निखिल कांत और प्रो. एमएल श्रीवास्तव के बेटे डॉ. अखिलेश श्रीवास्तव का चयन सहयुक्त आचार्य पद पर हुआ है। दूसरे विभागों में प्रो. जितेंद्र मिश्र की बेटी डॉ. लक्ष्मी मिश्रा और प्रो. केडीएस यादव के पुत्र डॉ. कमलेश का चयन असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर हुआ है। 

61 वर्ष पार चुके व्यक्ति को बनाया प्रोफेसर
हिंदी विभाग में आचार्य पद पर नियुक्त हुए अरविंद त्रिपाठी की नियुक्ति पर सवाल उठाया गया है। आकाशवाणी में सेवारत अरविंद त्रिपाठी की उम्र नियुक्ति के समय 61 वर्ष पार थी और अगले ही वर्ष उन्हें सेवानिवृत्त हो जाना है। यही नहीं प्रो. राम अचल सिंह का कहना है कि यह अभ्यर्थी आचार्य पद की अर्हता नहीं रखते और उनकी नियुक्ति ने भ्रष्टाचार को रेखागणितीय प्रगतिक्रम में बढ़ाया है। 

साक्षात्कार एक नाटक था
शिकायती पत्र में कहा गया है कि रसायन विज्ञान और भौतिकी जैसे विषयों में अभ्यर्थियों की संख्या 600-700 थी। प्रतिदिन करीब 100 अभ्यर्थी साक्षात्कार देते थे। यदि एक अभ्यर्थी को पांच मिनट भी मिले तो साक्षात्कार का समय आठ घंटे से अधिक होगा। सवाल किया है कि महज पांच मिनट में ही बायोडाटा का वाचन और विशेषज्ञों के सवाल के आधार पर किसी की पात्रता कैसे तय की जा सकती है। साक्षात्कार एक नाटक था।

मैंने शिकायतों की प्रति कुलाधिपति व शासन के उन सभी जिम्मेदार पदाधिकारियों को भेजी है, जो उच्च शिक्षा की नीति निर्धारण से जुड़े हैं। इसी क्रम में नगर विधायक को भी इसकी एक प्रति सौंपी है ताकि वह अपने स्तर यह मामला उठाएं। 
प्रो. रामअचल सिंह, पूर्व कुलपति, अवध विवि 

प्रो राम अचल सिंह एक असंदिग्ध निष्ठा के सिद्ध ईमानदार व्यक्ति हैं। जौनपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तथा उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग के पूर्व अध्यक्ष हैं और निर्विवाद रूप से खरे उतरे हैं। हम उनके द्वारा लिखित रूप से लगाये गये आरोपों को अपनी टिप्पणियों सहित महामहिम राज्यपाल तथा उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. दिनेश शर्मा  से पत्र लिखने के बाद मुलाकात करेंगे।
डॉ. आरएमडी अग्रवाल, नगर विधायक 

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