ऐसे भी दानदाता जिन्हें नाम चाहिए न फोटो
मैं रोज 200 गरीबों के खाने के लिए राशन उपलब्ध कराना चाहता हूं। जहां कहेंगे राशन उपलब्ध करा दूंगा। बस अनुरोध इतना है कि इसे दान मत समझिएगा ये मानव सेवा है इसलिए नाम गुप्त रखिएगा। शहर के एक स्कूल...
मैं रोज 200 गरीबों के खाने के लिए राशन उपलब्ध कराना चाहता हूं। जहां कहेंगे राशन उपलब्ध करा दूंगा। बस अनुरोध इतना है कि इसे दान मत समझिएगा ये मानव सेवा है इसलिए नाम गुप्त रखिएगा। शहर के एक स्कूल संचालक ने तहसील प्रशासन से यह सिफारिश की है।
कोरोना के बढ़ते प्रकोप में अब लगातार मदद के लिए लोग कदम बढ़ा रहे हैं। मदद करने वाले कुछ ऐसे भी हैं जो इसे मानव सेवा का रूप दे रहे हैं और नाम गुप्त रखने का अनुरोध कर रहे हैं। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया कि दिल्ली से आ रहे कामगारों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए एक स्कूल संचालक ने फोन कर अपनी बसों को सेवा में लगाने का अनुरोध किया और कहा कि जब तक चाहें बस की सेवा लोगों को पहुंचाने या राहत सामग्री की डिलीवरी में ले सकते हैं। यह भी अनुरोध किया वे उनका नाम सार्वजनिक न करें। उन्होंने बताया कि इस तरह से गुप्त सेवा करने वाले कई लोगों ने सम्पर्क किया और राशन व अन्य जरूरत की चीजें मुहैया भी करा रहे हैं।
चार बसें प्रशासन को सौंपी
इस तरह से सेवा करने वाले दो लोगों से ‘हिन्दुस्तान ने बात की। इसमें सिविल लाइंस के एक विद्यालय संचालक आसपास के करीब 200 गरीब लोगों को भोजन मुहैया करा रहे हैं। इसके लिए वह तहसील प्रशासन को राशन मुहैया करा रहे हैं जबकि मानीराम क्षेत्र में एक विद्यालय संचालक ने अपनी चार बसें लोगों की सेवा के लिए तहसील प्रशासन को सौंप दी हैं।
रात में चुपचाप कराते हैं भोजन
कोरोना आपदा से निपटने के लिए सेना की एक टीम भी जुट गई है। यह टीम अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर गरीब और असहाय लोगों को भोजन करा रही है। अगर इस दौरान टीम के लोग फोटो खिचवाने से मना करते हैं। सेना की यह टीम लगातार तहसील प्रशासन के सम्पर्क में है और जहां भी जरूरत है वहां लोगों को भोजन करा रही है। पहचान गोपनीय रखने के लिए सेना की बजाय प्राइवेट गाड़ी का इस्तेमाल कर रहे हैं।