गोरखपुर में तेजी से कम हो रही है इंसेफेलाइटिस
चार दशक से इंसेफेलाइटिस का दंश झेल रहे पूर्वांचलवासियों के लिए राहत की खबर है। इंसेफेलाइटिस से पीड़ित मरीजों की संख्या में गिरावट के साथ ही मौतों का ग्राफ भी तेजी से नीचे गिरा है। आलम यह है कि जिले...
चार दशक से इंसेफेलाइटिस का दंश झेल रहे पूर्वांचलवासियों के लिए राहत की खबर है। इंसेफेलाइटिस से पीड़ित मरीजों की संख्या में गिरावट के साथ ही मौतों का ग्राफ भी तेजी से नीचे गिरा है। आलम यह है कि जिले में इंसेफेलाइटिस के कारण मौतों का ग्राफ 60 फीसदी से अधिक नीचे गिरा है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इस वर्ष 19 सितंबर तक जिले में इंसेफेलाइटिस से 29 मरीजों की मौत हुई। सीएमओ कार्यालय के डेथ आडिट में अब तक सिर्फ 19 की तस्दीक हो सकी है। जबकि वर्ष 2017 में इस समय तक मौतों का आकड़ा 64 था।
शासन के तमाम कवायदों के कारण जिले में इंसेफेलाइटिस का प्रकोप धीरे-धीरे कम होना शुरु हो गया है। दो चरणों में चले दस्तक अभियान के साथ ही इलाज की सुविधाओं में बढ़ोत्तरी का असर दिखा है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, तीन सीएचसी में बने मिनी पीआईसीयू और इटीसी में मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराया जा रहा है। इससे मरीज के साथ ही मौत के आंकड़ों में भी काफी कमी आई है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक वर्ष 2017 में जिले में इंसेफेलाइटिस से 511 मरीज पीड़ित हुए। इनमे से 64 मरीजों की मौत इलाज के दौरान हो गई। वहीं इस वर्ष यह आंकड़ा फिलहाल 29 है। इनमें से डेथ आडिट से 19 मौतों की तस्दीक हो चुकी है। इंसेफेलाइटिस से हुई 10 मरीजों की मौत के संबंध में डेथ आडिट चल रही है। जांच पूरी होने के बाद ही विभाग तय कर सकेगा कि उनकी मौत इंसेफेलाइटिस से हुई या फिर किसी अन्य कारणों से हुई।
पिछले वर्षों में 19 सितंबर तक मरीज व मौत के आंकड़े
वर्ष मरीज मौत
2018 290 19 (इस वर्ष तक डेथ ऑडिट में पुष्टि)
2017 511 64
2016 370 72
2015 307 46
2014 412 108
स्वास्थ्य विभाग के दावों पर उठ रहे हैं सवाल
इंसेफेलाइटिस नियंत्रण को लेकर स्वास्थ्य विभाग भले ही अपनी पीठ थपथपा रहा हो लेकन कुछ विशेषज्ञ इसे पूरी तरह सही नहीं बता रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस वर्ष बीमारी में आंशिक कमी ही आई है। उसकी वजह बारिश का कम होना है। डेथ आडिट के डर से भी बीआरडी में डॉक्टर मरीजों को एईएस करार देने से कतरा रहे हैं।
इंसेफेलाइटिस का ग्राफ तेजी से गिरा है। इसकी वजह शासन की योजनाओं के साथ विभाग का प्रयास रहा है। इस वर्ष फरवरी से ही इंसेफेलाइटिस नियंत्रण के लिए अभियान संचालित किया गया। जमीनी स्तर पर काम हुआ। पीएचसी स्तर पर डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टॉफ की ट्रेनिंग के साथ दवाएं उपलब्ध कराई गई। बुखार के मरीजों का फौरन इलाज के लिए प्रेरित किया गया। इन सभी का असर है।
डॉ. श्रीकांत तिवारी, सीएमओ