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365 दिन में ‘ढाई कोस’ भी नहीं चला बिजली निगम

आम उपभोक्ताओं को बिजली योजनाओं का लाभ देने के लिए सरकार चाहे कितना भी जतन कर लें, अफसर उसे पलीता लगाने में बाज नहीं आ रहे है। अब लाइनलास का ही मामला लें। बिजली अभियंताओं ने 365 दिन तक लगातार कोशिश की...

365 दिन में ‘ढाई कोस’ भी नहीं चला बिजली निगम
धर्मेन्द्र मिश्र, गोरखपुरWed, 30 May 2018 01:05 PM
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आम उपभोक्ताओं को बिजली योजनाओं का लाभ देने के लिए सरकार चाहे कितना भी जतन कर लें, अफसर उसे पलीता लगाने में बाज नहीं आ रहे है। अब लाइनलास का ही मामला लें। बिजली अभियंताओं ने 365 दिन तक लगातार कोशिश की लाइन लास कम करने की। बावजूद इसके पिछले मार्च-17 के 19 फीसदी लाइन लास था। जो इस मार्च-18 में 17 फीसदी हो गया। इस दौरान सिस्टम सुधार और अभियान में लगे अभियंताओं के वेतन व भत्ते पर करोड़ों रुपये गवाने के बाद महज दो फीसदी ही लाइन लास कम कर सका। अब भी बिजली अफसरों के लिए 15 फीसदी  लाइन लास के आकंड़े तक पहुंचना बड़ी चुनौती बनी हुई है।

लापरवाही
दो फीसदी ही लाइनलास कम सके बिजली अधिकारी, टागेट था 15 फीसदी तक लाने का 
बिजली निगम सालभर में सिर्फ 2 फीसदी घटा सका लाइन लास
-कारपोरेशन के निर्देश पर सालभर तक अभियान चलाता रहा बिजली निगम
-बिजली अफसरों के लिए 15 फीसदी लाइन लास लाना अब भी बड़ी चुनौती

नगरीय वितरण मण्डल के जिम्मेदारों का कहना है कि वित्तीय वर्ष-16-17 में एटीसी लाइन लास 26.34 फीसदी था। अभियंताओं के प्रयास से एटीसी लाइन लास में 5 फीसदी की कमी आई है। वित्तीय वर्ष-17-18 में 21.34 फीसदी एटीसी लाइन लास दर्ज की गई है। सूत्रों का कहना है कि अफसरों ने 365 दिन में चार फीसदी लाइन लास कम करके 15 फीसदी पर ला दिया होता तो केन्द्र सरकार की योजनाएं धरातल पर उतर जाती। पर अफसर दो फीसदी ही लाइन लास को घटा सकें।
दरअसल प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद से पावर कारपोरेशन के निर्देश पर बिजली अधिकारी लाइन लास को 15 फीसदी करने और बिजली चोरी पकड़ने के लिए लगातार प्रयास करते रहे। इसीबीच केन्द्र सरकार ने आईपीडीएस योजना के तहत सिस्टम सुधार के लिए 104 करोड़ रुपये आवंटित किया। इससे पहले भी  88 करोड़ की स्काड योजना से नगरीय विद्युत वितरण मण्डल में सिस्टम सुधार का काम चल रहा था। कटिया से होने वाली बिजली चोरी रोकने के लिए 50 से अधिक मोहल्लों में एबीसी केबल लगाए गए। जर्जर तार बदले गए। बिजली चोरी रोकने के लिए टीम बनाकर घर-घर काम्बिंग की गई। बावजूद अधिकारी लाइनलास कम करने के तय लक्ष्य तक नहीं पहुंच सके। केन्द्र सरकार की शर्तो पर खरा नहीं उतर सकें।

नगर के तीनों वितरण खण्डो में लाइन लास
वितरण खण्ड        लाइनलास मार्च-17        लाइनलास मार्च-18
वितरण खण्ड प्रथम    14.56 फीसदी             14.23 फीसदी
वितरण खण्ड द्वितीय   22.97 फीसदी              19.53 फीसदी
वितरण खण्ड तृतीय  20.43 फीसदी                18.67 फीसदी
वितरण खण्ड चतुर्थ      -----                        9.82 फीसदी
नगरीय वितरण मण्डल   19.39 फीसदी              17.31 फीसदी

‘‘महानगर में बेहतर बिजली आपूर्ति देने के साथ ही लाइनलास कम करने और बिजली चोरी  पर प्रभावी अंकुश लगाने का प्रयास किया जा रहा है। अभियंताओं के प्रयास का परिणाम है कि लाइन लास में दो  फीसदी कमी होने के साथ ही एटीसी लाइन लास में 5 फीसदी की कमी दर्ज हुई है। इस साल 15 फीसदी तक लाइन लास का आकड़ा लाने का प्रयास किया जा रहा है।’’
ई. एके सिंह, अधीक्षण अभियंता, नगरीय विद्युत वितरण मण्डल

ऐसे समझे लाइन लास को
लाइन लास दो प्रकार के होते हैं। टेक्नीकल लास व एटीसी लाइन लास (एग्रीटेक टेक्नीकल एंड कार्मशियल लास) । टेक्नीकल लास में तकनीक खामी सेे बिजली खर्च होती है। खंभों की अधिक दूरी, ट्रांसफार्मरों की कम संख्या और लाइन में कुछ फाल्ट की वजह से यह कमी आती है। जैसे एक बड़े बिजली स्टेशन से 100 यूनिट बिजली दूसरे सब स्टेशन तक भेजी जाती है, पर पहुंचती 99.90 यूनिट है। बीच में प्वाइंट 10 यूनिट बिजली लास हो जाती है। एटीसी लाइन लास में बिजली आपूर्ति के मुताबिक राजस्व की प्राप्ती नहीं हो पाता है। इसमें प्रति यूनिट रेट देखा जाता है।

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