ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश गोरखपुरगोरखनाथ शिखर सम्‍मान पाने के बाद बोले डॉ.प्रदीप राव, नाथ पंथ है ज्ञान का भंडार, इसे स्‍लेबस का हिस्‍सा बनाएं

गोरखनाथ शिखर सम्‍मान पाने के बाद बोले डॉ.प्रदीप राव, नाथ पंथ है ज्ञान का भंडार, इसे स्‍लेबस का हिस्‍सा बनाएं

हिन्दुस्तानी एकेडमी प्रयागराज द्वारा गुरु गोरक्षनाथ शिखर सम्मान 2019 से सम्मानित डॉ.प्रदीप राव ने गुरु गोरखनाथ और नाथ पंथ को स्‍लेबस का हिस्‍सा बनाने की पुरजोर वकालत की है। डॉ.राव ने कहा कि...

गोरखनाथ शिखर सम्‍मान पाने के बाद बोले डॉ.प्रदीप राव, नाथ पंथ है ज्ञान का भंडार, इसे स्‍लेबस का हिस्‍सा बनाएं
हिन्‍दुस्‍तान टीम ,गोरखपुर Thu, 06 Aug 2020 11:41 PM
ऐप पर पढ़ें

हिन्दुस्तानी एकेडमी प्रयागराज द्वारा गुरु गोरक्षनाथ शिखर सम्मान 2019 से सम्मानित डॉ.प्रदीप राव ने गुरु गोरखनाथ और नाथ पंथ को स्‍लेबस का हिस्‍सा बनाने की पुरजोर वकालत की है। डॉ.राव ने कहा कि नाथ पंथ युग परिवर्तन की आधारशिला है। गुरु गोरखनाथ हिन्‍दी और भोजपुरी के आदि कवि हैं। संस्‍कृत भाषा में उनकी दर्जनों पुस्‍तकें हैं। यही नहीं क्रियात्‍मक योग की चर्चा गुरु गोरखनाथ के बिना की ही नहीं जा सकती।

उनका पूरा जीवन ज्ञान का भंडार है। नाथ पंथ में बौद्ध, शैव और योग सहित विभिन्‍न मतों, पंथों और सम्‍प्रदायों का समन्‍वय दिखाई देता है। यह हमें स्‍वयं और सृष्टि के विभिन्‍न रहस्‍यों से परिचित कराता है। वर्तमान और भावी पीढि़यों को ज्ञान की इस धारा से जुड़कर स्‍वयं के विकास का अधिकार है। उनके लिए गुरु गोरखनाथ और नाथ पंथ को भारतीय हिन्दी साहित्य, भोजपुरी, संस्कृत, दर्शन और इतिहास का विषय होना चाहिए। इसे इन विषयों में पढ़ाया जाना चाहिए। इसके साथ ही विश्वविद्यालयों में यह शोध का विषय होना चाहिए। 

यह भी पढ़ें: गोरखपुर के डा.प्रदीप राव को 2019 का गुरु गोरक्षनाथ शिखर सम्‍मान 

डा.प्रदीप राव गुरुवार को ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गुरु गोरखनाथ और नाथ पंथ पर यदि थोड़े समय के लिए छोड़ दिया जाए तो गोरखपुर विश्वविद्यालय में इस विषय पर कभी अध्ययन-अध्यापन नहीं हुआ। विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में कुछ दिनों तक नाथ पंथ पढ़ाया गया। इस पंथ पर एकेडमिक काम नहीं हो रहा था। जिन लोगों ने गुरु गोरखनाथ और नाथपंथ पर काम किया है उन्होंने स्वांत: सुखाय ही किया है। डा. राव ने कहा कि उन्होंने भी स्वांत:सुखाय के लिए ही काम किया।

डॉ.राव ने कहा कि पुरानी पीढ़ी के अब कुछ ही लोग रह गए हैं। नई पीढ़ी में गिने-चुने लोग ही हैं। उन्होंने कहा कि गुरु गोरक्षनाथ शिखर सम्मान निश्चित तौर पर इस दिशा में अकादमिक तौर पर काम करने के लिए लोगों को प्रेरित करेगा। उन्होंने वर्ष 2005 से नाथ पंथ पर काम करना शुरू किया है और इसे अब अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है। 

डॉ.प्रदीप राव का जीवन परिचय
देवरिया जिले के नगवा खास गांव निवासी स्व. वीरेंद्र बहादुर राव के पुत्र डॉ.प्रदीप राव वर्तमान समय में महाराणा प्रताप पीजी कालेज जंगल धूसड़ में प्राचार्य हैं। उन्होंने स्नातकोत्तर की उपाधि गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग से ली है। यहीं से प्रो.राजवंत राव के निर्देशन में शोध भी किया है। एक मई 1970 को पैदा हुए डॉ. राव उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ के साधारण सभा और कार्यकारिणी के सदस्य हैं। उत्तर प्रदेश हिन्दी सस्थान पुरस्कार  समिति के सदस्य और दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में महायोगी गोरक्षनाथ शोध पीठ की अधिशासी समिति के भी सदस्य हैं। डॉ.राव महाराणा प्रताप पीजी कालेज जंगल धूसड़ में संचालित गुरु श्री गोरक्षनाथ शोध एवं अनुसंधान केंद्र के निदेशक तथा नेपाल शोध एवं अध्ययन केंद्र के भी निदेशक हैं। अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के क्षेत्रीय संगठन सचिव और समर्थ भारती के अध्यक्ष हैं। डा.राव ने दर्जन भर से अधिक पुस्तकें लिखीं हैं और तकरीबन इतनी ही पुस्तकों का सम्‍पादन किया है। इनमें सर्वाधिक पुस्‍तकें नाथ पंथ और गुरु गोरखनाथ से सम्‍बन्धित हैं। 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें