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दिमागी बुखार से बच्चों को बचा रही हैं डॉक्टर की मीठी गोलियां

दिमागी बुखार (इंसेफेलाइटिस) से स्कूली बच्चों को बचाने के लिए मीठी गोलियां दी जा रही हैं। यह मीठी गोलियां होम्योपैथिक विशेषज्ञ डॉ. एफजे सिद्दीकी बच्चों को दे रही हैं। इस समय चार स्कूलों के करीब 800...

दिमागी बुखार से बच्चों को बचा रही हैं डॉक्टर की मीठी गोलियां
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरMon, 02 Sep 2019 02:34 AM
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दिमागी बुखार (इंसेफेलाइटिस) से स्कूली बच्चों को बचाने के लिए मीठी गोलियां दी जा रही हैं। यह मीठी गोलियां होम्योपैथिक विशेषज्ञ डॉ. एफजे सिद्दीकी बच्चों को दे रही हैं। इस समय चार स्कूलों के करीब 800 बच्चों को हर हफ्ते वह दवा की खुराक खिला रही हैं।

इंसेफेलाइटिस के नजरिए से सहजनवा को संवेदनशील माना जाता है। बीते एक दशक में कस्बे के अलावा गांव से बड़ी संख्या में इंसेफेलाइटिस के मरीज मिले हैं। तहसील क्षेत्र के एक दर्जन गांव में छह या उससे अधिक बच्चे बीमारी की चपेट में आ चुके हैं।

छात्रों को दे रहे दिमागी बुखार से बचाव की दवा : इंसेफेलाइटिस से बचाव के लिए होम्योपैथिक विभाग ने पहल की। विभाग के जिला होम्योपैथिक अधिकारी डॉ. विजय गुप्ता के निर्देशन में सीएचसी पर तैनात होम्योपैथिक विशेषज्ञ डॉ. एफजे सिद्दीकी स्कूलों में जाकर इंसेफेलाइटिस से बचाव के लिए बच्चों को दवा खिला रही हैं। इसके लिए पहले चरण में चार स्कूलों का चयन किया गया है। इसकी शुरुआत नगर पंचायत स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय से हुई। इस विद्यालय में दिमागी बुखार से बचाव के लिए 95 छात्राओं को दवा की पहली खुराक दी गयी ।

1-15 साल के बच्चों को दी जाती हैं गोलियां

डॉ. सिद्दीकी ने बताया कि होम्योपैथिक से इंसेफेलाइटिस का सटीक इलाज होता है। एक वर्ष से लेकर पंद्रह वर्ष तक के बच्चों को मीठी गोलियों के साथ बेलाडोना, कैल्केरिया कार्ब और टीयूबरा केलम दी जाती है। इह दवा की खुराक तीन बार आठ-आठ दिन के अंतराल में दी जाती है। उन्होंने बताया कि पहले दिन बेलाडोना, उसके आठवें दिन कैल्केरिया कार्ब और फिर आठवें दिन टीयूबरा केलम दवा का खुराक दी जाती है। इस दवा के सेवन के बाद एक घंटे तक दवा का सेवन करने वाले बच्चे को पानी, अचार और खट्टा पदार्थ का सेवन नही करना है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है दवा

उन्होंने बताया कि होम्योपैथिक दवाओं के साइड इफेक्ट नहीं है। यह दवाएं बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करती है। ओपीडी में इन दवाओं के सकारात्मक परिणाम मिले हैं।

इन स्कूलों में बच्चों को दी जा रही है दवा

- प्राथमिक विद्यालय, केशोपुर

- पूर्व माध्यमिक विद्यालय, केशोपुर

- मुरारी इंटर कालेज

- कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय

- रमन पब्लिक स्कूल

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