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डॉक्टर प्रोटोकाल निभाने में व्यस्त, नहीं हो पा रहा ऑपरेशन

केस एक

डॉक्टर प्रोटोकाल निभाने में व्यस्त, नहीं हो पा रहा ऑपरेशन
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरMon, 26 Aug 2019 02:20 AM
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केस एक

शास्त्रीनगर निवासी अरविंद वर्मा के बाएं पैर की हड्डी टूट गई है। वह बीते 10 अगस्त से भर्ती हैं। वार्ड में 18 नंबर बेड पर भर्ती गोला बाजार निवासी सुधीर भी 12 दिन से ऑपरेशन का इंतजार कर रहा है। उसका बांया कंधा टूटा हुआ है।

केस दो

सड़क हादसे में घायल 12 वर्षीय सूरज 10 दिन से आर्थो वार्ड में भर्ती है। इसके अलावा रिक्शा चालक महेन्द्र भी 15 अगस्त से वार्ड में भर्ती है। दोनों का दायां पैर टूटा हुआ है। डॉक्टरों ने दोनों को अब तक ऑपरेशन की डेट नहीं दी है।

जिला अस्पताल में संचालित दो ऑपरेशन थिएटर में से एक बीते छह महीने से मरम्मत के नाम पर बंद है। सिर्फ एक ऑपरेशन थिएटर चल रहा है। वह भी आए दिन वीआईपी दौरे के कारण प्रोटोकाल में सील हो जा रहा है। ऐसे में ऑपरेशन के लिए मरीजों को लंबी वेटिंग मिल रही है। अस्पताल में सामान्य सर्जरी के मरीजों को दो-दो महीने की वेटिंग दी जा रही है।

करीब 330 बेड वाले जिला अस्पताल में मरीजों की यह मुसीबत बीते छह महीने से है। अस्पताल के ओपीडी में रोजाना दो हजार मरीज इलाज के लिए आते हैं। करीब 80 मरीज इमरजेंसी में इलाज कराने पहुंचते हैं। इनमें ज्यादातर जनरल सर्जरी और हड्डी टूटने के मरीज होते हैं।

माड्यूलर हो रही हड्डी रोग विभाग की ओटी : अस्पताल में हड्डी रोग विभाग में ऑपरेशन थिएटर का आधुनिकीकरण हो रहा है। इसे माड्यूलर बनाया जा रहा है। यह काम बीते छह महीने से चल रहा है। इस कारण ओटी को बंद कर दिया गया है। ऐसे में जनरल सर्जरी की ओटी में ही दोनों विभाग के ऑपरेशन होते हैं। हफ्ते में तीन दिन जनरल सर्जरी के मरीजों का ऑपरेशन होता है। दो दिन आर्थो के डॉक्टर ऑपरेशन करते हैं। एक दिन ओटी की करीने से सफाई होती है।

आठ दिनों में चार दिन सील रही ओटी

वीआईपी ड्यूटी भी मरीजों की मुसीबत में इजाफा कर रही है। सीएम के शहर में आए दिन वीआईपी दौरे हो रहे हैं। हाल ही में सीएम और राज्यपाल का दौरा रहा। इसके कारण बीते आठ दिन में से चार दिन ओटी सील करनी पड़ी। जनरल सर्जरी और आर्थो सर्जरी के डॉक्टर वीआईपी के प्रोटोकाल ड्यूटी में रहे। ऐसे में ऑपरेशन नहीं हो सके।

ऑपरेशन की वेटिंग लिस्ट लंबी है। इससे मरीजों को कुछ समस्या हो रही है। आर्थो, जनरल सर्जरी और एनेस्थिसिया के डॉक्टरों से बात करके वैकल्पिक रास्ता तलाशते हैं।

- डॉ. राजकुमार गुप्ता, एसआईसी

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