अब बीआरडी में बैठेंगे सीआरएमई के निदेशक
पूर्वांचलवासियों के लिए बड़ी खबर है। बीआरडी मेडिकल कालेज में संचालित हो रहे एनआईवी के सेंटर के विस्तार में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च(आईसीएमआर) ने अहम फैसला किया है। आईसीएमआर ने कर्नाटक के मदुरई...
पूर्वांचलवासियों के लिए बड़ी खबर है। बीआरडी मेडिकल कालेज में संचालित हो रहे एनआईवी के सेंटर के विस्तार में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च(आईसीएमआर) ने अहम फैसला किया है। आईसीएमआर ने कर्नाटक के मदुरई में संचालित हो रहे सेन्टर ऑफ रिसर्च इन मेडिकल एन्टोमोलॉजी (सीआरएमई) के निदेशक का पद अब बीआरडी मेडिकल कालेज के एनआईवी में शामिल करने का आदेश दिया है।
पूर्वांचल में इंसेफेलाइटिस के प्रकोप को देखते हुए केन्द्र सरकार ने पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी(एनआईवी) का सेटेलाइट सेंटर बीआरडी में शुरू किया। केन्द्र में भाजपा की सरकार के गठन के बाद से ही एनआईवी सेंटर के विस्तार की कवायद तेज हो गई।
184 करोड़ की लागत से बनना है रिजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्ढा ने एक अक्तूबर 2016 को बीआरडी में एक कार्यक्रम के दौरान एनआईवी के विस्तार को मंजूरी दी। नया सेंटर आईसीएमआर के तहत बनेगा। इस सेंटर का नाम रिजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर(आरएमआरसी) होगा। नए सेंटर के निर्माण की प्रक्रिया को अब पंख लग गए हैं। एनआईवी के वर्तमान सेंटर के पास ही नए सेंटर का निर्माण होना है। इसकी लागत करीब 85 करोड़ रुपए आएगी। केन्द्र सरकार ने निर्माण के लिए पहली किश्त जारी कर दी।
एनआईवी सेंटर में मर्ज हुआ मदुरई के निदेशक का पद
आईसीएमआर के प्रशासनिक अधिकारी भरत भूषण ने देश में सभी सेंटरों को पत्र जारी कर बताया कि सीआरएमई मदुरई के निदेशक के पद को खत्म कर अब इस पद को बीआरडी में बन रहे आरएमआरसी में शामिल किया जा रहा है। यहीं से निदेशक दोनों सेंटरों के संचालन को देखेंगे।
इंसेफेलाइटिस के अलावा दूसरे बीमारियों पर होगा शोध
प्रस्तावित आरएमआरसी में इंसेफेलाइटिस के अलावा दूसरे बीमारियों के कारणों की तलाश की जाएगी। इसके लिए वायरस व दूसरे बैक्टीरिया पर शोध किया जाएगा। इसके लिए वैज्ञानिकों की बड़ी टीम तैनात की जाएगी।
वापस बुलाए गए डॉ. बीपी बोन्द्रे
गोरखपुर। एनआईवी के प्राभारी के तौर पर तैनात डॉ. बीपी बोन्द्रे का तबादला हो गया है। उन्हें वापस पुणे स्थित मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। उन्होंने अपना चार्ज डॉ. कामरान को सौंप दिया है। वर्ष 2015 के अप्रैल में डॉ. बोन्द्रे बतौर प्रभारी तैनात हुए। उनका कार्यकाल काफी विवादित रहा। एनआईवी में चल रहे कई प्रोजेक्ट बंद हो गए। सबसे बड़ा झटका रहाइंसेफेलाइटिस के कारणों व इंट्रोवायरस का प्रोजेक्ट बंद होना। बीआरडी के डॉक्टरों के कुछ विभागाध्यक्षों से उनकी टसल शासन तक पहुंच गई। बीते दिनों प्रमुख सचिव के दौरे में भी यह बात सामने आई। जिसपर प्रमुख सचिव ने फटकार भी लगाई।